सप्ताह
का
विचार-
जिस प्रकार बिना जल के धान नहीं उगता उसी प्रकार बिना विनय के
प्राप्त की गई विद्या फलदायी नहीं होती। -भगवान महावीर |
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अनुभूति
में-
शंभुशरण मंडल, प्राण शर्मा, अवतंस कुमार, जयजयराम आनंद और राजेश
पंकज की रचनाएँ। |
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इस सप्ताह
साहित्य संगम में
सरोजिनी साहू की
उड़िया कहानी का हिंदी रूपांतर-
प्रतिबिंब
जब वे पहुँचे
थे, तब नीपा अपनी दिनचर्या में अत्यंत व्यस्त थी। एक हाथ में
उसके टोस्ट था, तो दूसरे हाथ में पानी का गिलास। डाइनिंग-टेबल
के पास खडी होकर, वह किसी भी तरह टोस्ट को गटक लेना चाहती थी।
इस प्रकार उसने सुबह का नाश्ता खत्म कर लिया। फिर शेल्फ से
निकाल कर चप्पलें पहन ली, हाथ-घड़ी बाँध ली, नौकरानी को दो-तीन
कामों के बारे में आदेश भी दे दिये और सोने के कमरे का ताला भी
लगा दिया। अब वह सोच रही थी कि घर से निकल कर ड्यूटी पर चले
जाना चाहिये। ऐसे हड़बड़ी के समय में शरीर की तुलना में मन कुछ
ज्यादा ही सक्रिय होता है। मन के साथ ताल-मेल मिलाकर काम करते
समय अगर कोई उसे रोक दे, यहाँ तक कि अगर टेलिफोन की घंटी भी बज
उठे तो उसके लिये असहनीय हो जाता है, वह तुरंत ही तनाव-ग्रस्त
हो जाती है और मन ही मन नाराज हो उठती है...
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अनूप शुक्ला का व्यंग्य
ग्रीष्म ऋतु कुछ नए बिंब
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मोहन अवस्थी
का संस्मरण
अविस्मरणीय
पदुमलाल पन्नालाल बख्शी
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रामचंद्र सरोज
का आलेख
संबोधि का पर्व :
बुद्धपूर्णिमा
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समाचारों में
देश-विदेश से
साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ |
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पिछले सप्ताह
मनोज लिमये का व्यंग्य
मेरे शहर की मॉल संस्कृति
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योगेश पांडे
का नगरनामा
साईं का साधना स्थल शिरडी
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डॉ. शोभाकांत
झा का ललित निबंध
निर्वासन
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डा. सत्यव्रत वर्मा
का आलेख
केरल का हिन्दी कवि : स्वाति
तिरुनाल
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समकालीन कहानियों में
संयुक्त अरब इमारात से
मिलिंद तिखे की कहानी-
एक प्यार का पल हो
बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी। मेरी गाड़ी बिगड़ चुकी थी।
मैं फुजैराह से दुबई लौट रहा था। रात के या यों कहिए सुबह के
दो बज रहे थे। बीस सालों से संयुक्त अरब इमारात में इतनी घनघोर
वर्षा न तो मैंने देखी थी न ही सुनी थी।
असंभव! मैंने अपने आपसे कहा।
फुजैराह अपने सफेद-काले पर्वतों के लिए मशहूर है। इस वक्त
बिजली कौंधने से ये सफेद काले पर्वत साफ-सुथरे और चमकीले दिखाई
देते थे। चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। दूर-दूर तक कोई गाड़ी
या इन्सान नजर नहीं आ रहे थे। मैं, मेरी बिगड़ी हुई गाड़ी और
गाड़ी का चालक- जोसेफ। सिर्फ हम तीनों इस तूफानी रात- बरसात का
सामना कर रहे थे।
गाड़ी में बैठकर संगीत सुनने की कोशिश करने लगा था मैं। सारे
रेडियो स्टेशन छान मारे मगर मनपसंद गीत किसी भी स्टेशन पर
नहीं थे।... पूरी कहानी पढ़ें। |