पुरालेख तिथि-अनुसार। पुरालेख विषयानुसार हिंदी लिंक हमारे लेखक लेखकों से
SHUSHA HELP // UNICODE HELP / पता-


. ४. २०१०

सप्ताह का विचार- कीर्ति का नशा शराब के नशे से भी तेज़ है। शराब छोड़ना आसान है, कीर्ति छोड़ना आसान नहीं। -सुदर्शन

अनुभूति में-
दिनेश सिंह, श्यामल सुमन, सुभाष राय, अशोक अंजुम और राज जैन की रचनाएँ।

कलम गहौं नहिं हाथ- अपने बचपन की जो चीज़ें अभी तक मुझे याद हैं उसमें से एक है जूथिका राय की आवाज जो अक्सर छुट्टी के दिनों या ...आगे पढ़ें

सामयिकी में- पाकिस्तानी संसद में पारित १८वें संशोधन के विषय में वेदप्रताप वैदिक की टिप्पणी- प्रतीक्षा किसी बड़े नेता की

रसोईघर से सौंदर्य सुझाव - धूप में बाहर निकलने पहले चेहरे और हाथों-पैरों में चाय का पानी लगाने से त्वचा झुलसती नहीं।

पुनर्पाठ में- १ मई २००२ को विशिष्ट कहानियों के स्तंभ गौरव गाथा के अंतर्गत प्रकाशित अज्ञेय की कहानी जयदोल

क्या आप जानते हैं? कि विश्व की सबसे भारी धातु ऑस्मियम है। इसकी २ फुट लंबी, चौड़ी व ऊँची सिल्ली का वज़न एक हाथी के बराबर होता है।

शुक्रवार चौपाल- इस बार  चौपाल में आँसू और मुस्कान का दूसरा भाग पढ़ा जाना था। बहुत दिनों बाद आज दिलीप परांजपे साहब पहुँचे  ... आगे पढ़ें

नवगीत की पाठशाला में- इस सप्ताह कार्यशाला-८ के विषय आतंक का साया पर रचनाओं का प्रकाशन प्रारंभ हो जाएगा। टिप्पणी के लिए तैयार रहें।


हास परिहास
1

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में भारत से
विनीत गर्ग की कहानी उम्मीद के आँसू

घर्रर्र... की आवाज के साथ ऑटो स्टार्ट हुआ और खाली पड़ी सड़क पर रफ्तार पकड़ता हुआ चल पड़ा। सर्दियों की रात में ऑटो में बैठना वैसे ही आसान काम नहीं और ऊपर से ये गढ्ढे। पुणे की सड़कों पर कोई भी गढ्ढों के अलावा कुछ सोच नहीं सकता और ये ऑटो ड्राइवर भी तो इतना महान था कि रात के ढाई बजे, गुप्प अंधेरे में भी सड़क के हर गढ्ढे की इकजैक्ट लोकेशन से पूरी तरह वाकिफ था। मज़ाल क्या जो पिछले पाँच मिनट में सड़क का एक गढ्ढा भी इसने मिस किया हो। शैः, सरकार भी जाने कैसे-कैसे लोगों को ऑटो चलाने का परमिट दे देती है। वरुण ऑटो ड्राइवर को कोसने लगा।
''कहाँ जा रहे हैं साहब? कुछ ज्यादा ही जल्दी की ट्रेन में टिकिट कटा ली। अब देखिये ना नींद खराब हो गई।''
''किसकी ? मेरी या आपकी?'' वरुण चिढ़ता हुआ बोला।
''अजी, हमारी नींद का क्या है साहब! हमें तो रात भर ऑटो चलानी है।'' पूरी कहानी पढ़ें...
*

ब्रजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष का व्यंग्य
फिर गिरी छिपकली
*

विज्ञान वार्ता में जाने-
कैंसर के इलाज में मिली नई सफलताएँ
*

योगेशचंद्र शर्मा का आलेख
मई दिवस की यात्रा कथा
*

समाचारों में
देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ

पिछले सप्ताह

शरद तैलंग का व्यंग्य
मुझको भी जेल करा दे
*

रवींद्र स्वप्निल प्रजापति का संस्मरण
अगरिया गाँव क्यों नहीं जाते
*

महेश परिमल का ललित निबंध
तृप्ति वो ही प्याऊ वाली
*

डॉ. संजीता वर्मा का निबंध
कला और सौंदर्य

*

समकालीन कहानियों में यू.एस.ए. से
अनिल प्रभा कुमार की कहानी उसका इंतज़ार

झाड़न से तस्वीरों पर की धूल हटाते-हटाते, धरणी के हाथ रुक गए। बाबू जी की तस्वीर के सामने आकर उसकी आँखें अपने आप झुक गईं। बाबू जी की आँखें जैसे अभी भी किसी के आने का इंतज़ार करती हों। एक ही प्रश्न होता था उनका। उस दिन भी यही हुआ था।
''कोई बात बनी?'' प्रश्न सुनते ही सभी ठठा कर हँस पड़े थे। यह प्रत्याशित प्रश्न था। बेटे का परिवार अभी दरवाज़े से घर में दाखिल भी नहीं हो पाया कि न नमस्ते न जय राम जी की। सीधे-सादे बाबू जी की उत्कंठा एकदम औपचारिकता के सारे जाल को लाँघ कर प्रगट हो उठी। सब लोगों के हँसने से थोड़ा वह झेंप गए और थोड़ा समझ गए कि जवाब ना में है। न हँस सकी तो धरणी। जी चाहा, बाबू जी को छोटे बच्चे कि तरह बाहों में भर लें और सहला कर कहें कि मैं समझती हूँ आपकी बेचैनी,  पूरी कहानी पढ़ें...

अपनी प्रतिक्रिया लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

अभिव्यक्ति से जुड़ें आकर्षक विजेट के साथ

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
डाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसरहमारी पुस्तकें

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

पत्रिका की नियमित सूचना के लिए अभिव्यक्ति समूह के सदस्य बनें। यह निःशुल्क है।

Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org

hit counter

आँकड़े विस्तार में
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०