पुरालेख तिथि-अनुसार। पुरालेख विषयानुसार हिंदी लिंक हमारे लेखक लेखकों से
SHUSHA HELP // UNICODE  HELP / पता-


४. १. २०१०

सप्ताह का विचार- कोई भी भाषा अपने साथ एक संस्कार, एक सोच, एक पहचान और प्रवृत्ति को लेकर चलती है। - भरत प्रसाद

अनुभूति में-
1
नचिकेता, कृष्ण शलभ, तनहा अजमेरी, शशि पाधा और ऋषिपाल धीमन की रचनाएँ

कलम गहौं नहिं हाथ- कल जिस समय यह लेख वेब पर दिखाई देना शुरू होगा दुबई विश्व में भवन निर्माण का एक नया इतिहास रच रहा होगा ...आगे पढ़ें

सामयिकी में- बीते हुए वर्ष की प्रमुख साहत्यिक कृतियों पर विभिन्न आलोचकों की टिप्पणियों का संकलन- वर्ष २००९ में हिंदी का साहित्यिक परिदृश्य

रसोईघर से सौंदर्य सुझाव - एक गिलास पानी में एक छोटा चम्मच शहद मिलाकर रोज़ सुबह पीने से पेट साफ होता है और चेहरे पर निखार आता है।

पुनर्पाठ में- १ जनवरी २००१ को पर्व परिचय के अंतर्गत प्रकाशित टीम अभिव्यक्ति का आलेख- जनवरी माह के पर्व।

क्या आप जानते हैं? कि प्राचीन रोमन कैलेंडर में जनवरी और फरवरी के महीने नहीं होते थे। अतः उनका नव वर्ष १ मार्च को मनाया जाता था।

शुक्रवार चौपाल- शुक्रवार १ जनवरी को चौपाल में नव वर्ष के उपलक्ष्य में छुट्टी रही। ... आगे पढ़ें

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला-६ में घोषित कुहासा या कोहरा विषय पर गीतों का प्रकाशन जारी है पाठकों की प्रतिक्रिया का स्वागत  है।


हास परिहास

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में यू.एस.ए. से
सुधा ओम ढींगरा की कहानी
फन्दा

उसका का दिल आज बेचैन है, किसी भी तरह काबू में नहीं आ रहा, तबीयत बहुत उखड़ी हुई और भीतर जैसे कुछ टूटता-सा महसूस हो रहा है। सुबह के पाठ में भी मन नहीं रमा। चित्त स्थिर नहीं हो पा रहा था, भीतर-बाहर की घुटन जब बढ़ गई, तो वह अपने बिस्तर से उठ गया। कमरे की खिड़की खोली, ताज़ी हवा का झोंका आया, पर अस्थिरता बढ़ती गई। वह कमरे में ठहर नहीं सका। बाहर दलान में आ गया। उजाला दबे पाँव फैलने की कोशिश कर रहा था। धुंधली रौशनी में वह अपनी नवार की मंजी देखने लगा। जिसे उसने बड़े शौक से पंजाब से मँगवाया था। वह खेत के एक कोने में पड़ी थी। घुसपुसे में सँभल-सँभल कर पाँव रखता, राह को टोह -टोह कर चलता, वह चारपाई तक पहुँच गया, धम्म से उस पर बैठ गया, जैसे मानों बोझ ढोह कर लाया हो और चारपाई पर पटका हो। खुली हवा में उसने लम्बा-सा साँस लिया, तनाव ग्रस्त स्नायु ढीले पड़ते महसूस हुए। पूरी कहानी  पढ़ें...
*

दिनेश थपलियाल का व्यंग्य
किस्सा कहावतों का

*

तेजेन्द्र शर्मा के साथ मोहन राणा की बातचीत
जीवन अगर कहानी है तो कहानी क्या है?

*

डॉ. पवन अग्रवाल का आलेख
लखनऊ विश्वविद्यालय

*

पर्व परिचय में
वर्ष २०१० के पर्वों की सूचना पर्व पंचांग में

पिछले सप्ताह नव वर्ष विशेषांक में

डॉ रामनारायण सिंह मधुर का व्यंग्य
खर्च हुए वर्ष के नाम
*

अरविंद कुमार सिंह का आलेख
भारतीय रेल पत्रिका का स्वर्णजयंती वर्ष

*

आशीष और दीपिका के साथ मनाएँ
देश-देश में नव वर्ष

*

समाचारों में
देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ

*

समकालीन कहानियों में भारत से
सरस्वती माथुर की कहानी पूर्व संध्या

राधा देवी ने रोज़ की तरह अपना कंप्यूटर ऑन किया, पासवर्ड देकर डायरी का पन्ना खोला लेकिन जाने क्यों उनका कुछ भी लिखने का मन नहीं हुआ। उनकी बहू विभा कंप्यूटर इंजिनियर थी। उसने उनकी वेबसाइट बना दी थी और जब भी वह अमेरिका से आती थी उन्हें काफी कुछ सिखा जाती थी। कंप्यूटर विंडो पर 'गूगल टॉक’ की खिड़की खोल कर राधा देवी ने सरसरी निगाहें डाली तो पता लगा कोई भी आनलाईन नहीं है न उनके बच्चे न पति।
वे उठीं और मेज़ पर बिखरे काग़ज़ों में कुछ ढूँढ़ने लगीं। नए साल के अवसर पर बच्चों का अमेरिका से ग्रीटिंग कार्ड आया था। उन्होनें एक सरसरी निगाह उस कार्ड पर डाली। फिर अमृतयान निकेतन काटेज की अपनी बालकनी में कुर्सी पर बैठ कर वे वहाँ से दूर दिखाई देती झील को देखने लगी। पूरी कहानी  पढ़ें...

अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

अभिव्यक्ति से जुड़ें   आकर्षक विजेट के साथ

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
डाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसर हमारी पुस्तकें

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

 

पत्रिका की नियमित सूचना के लिए अभिव्यक्ति समूह के सदस्य बनें। यह निःशुल्क है।

Google  
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org

hit counter

आँकड़े विस्तार में
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०