अनुभूति
में-
देवेंद्र शर्मा
इंद्र, डॉ. अश्वघोष, ममता कालिया, नंद चतुर्वेदी, और रामनिवास
मानव की नई रचनाएँ। |
कलम गही नहिं हाथ-
ऊपर वाले ने इन्सान को छोटी सी
मुट्ठी दी है और वैसा ही छोटा सा दिल। लेकिन इस छोटे से दिल में... आगे पढ़ें |
रसोई
सुझाव-
तरबूज़ के छिलके सुखाकर पीस लें। ये पाउडर सोडा बाई कार्ब की जगह
प्रयोग किया जा सकता है। |
पुनर्पाठ में - १ नवंबर
२००१ को
प्रकाशित अश्विन गाँधी की कहानी-
मरना है
एक बार। |
क्या
आप जानते हैं?
कि पटना से हाजीपुर गंगा नदी पर बना महात्मा गांधी सेतु दुनिया
का सबसे लम्बा एक ही नदी पर बना सड़क पुल है। |
शुक्रवार चौपाल- बहुत दिनों बाद इस बार चौपाल चौपट रही। इसके कई
कारण हैं। रमज़ान का महीना शुरू हो चुका है और इसके ... आगे
पढ़ें |
नवगीत की पाठशाला में-
१1सितंबर से प्रतिदिन प्रकाशित
कर रहे हैं- एक नया गीत। गीतों में समान-वाक्यांश है- बिखरा पड़ा
है। |
हास
परिहास |
1
सप्ताह का
कार्टून
कीर्तीश की कूची से |
|
|
इस सप्ताह
समकालीन कहानियों के अंतर्गत डेन्मार्क से
चाँद शुक्ला हदियाबादी की कहानी
अंतिम पड़ाव
पिछले दो हफ्तों से कोहरे की चादर ने डेनमार्क के
शहर नोरेब्रो को अपनी जकड़ में ले रखा था, लेकिन यह कोई अनोखी या नई
बात नहीं थी। बर्फ़ीली सर्द हवायें डेन्मार्क के लम्बे ठन्डे
मौसम की शान होती हैं, लेकिन जब किसी दिन कोहरे की घनी चादर को चीरकर सूरज
अपनी चमक को धरती पर बिखेरता है तो इन्सान ही नहीं, वनस्पतियाँ
भी उसकी रोशनी के स्वागत में पलक-पाँवड़े बिछा देती हैं। उजाले की
किरणें अपनी छठा बिखेरती हैं तो सार्वजनिक स्थल युवाओं की मदहोश साँसों और बच्चों की किलकारियों से गुन्जायमान
हो जाते हैं। यहाँ तक कि,
चिकनी साफ़ सड़कें भी बेकार और बेमकसद आवा-जाही की चहल
पहल से भर जाती हैं। ऐसी ही सर्दी की एक सुबह सूरज अपनी प्रकृति
के विपरीत लाल दायरे के साथ निश्चित दिशा के आसमान में आँखें मूँदे आगे बढ़
रहा था। 'जैन्सन आपार्टमेंन्ट' की तीसरी मंज़िल के एक फ्लैट
में जब यश मखीजा ने खिड़की के परदे की डोरी को खींचा, पूरी कहानी पढ़ें...
*
डॉ. टी महादेव
राव का व्यंग्य
बिन सेलफोन सब सून
*
संस्कृति में अनंत राम गौड का
आलेख
खानपान नवाबों
के
*
सहित्यिक निबंध
में राधेश्याम बंधु से जानें
गीत का आधुनिक स्वरूप नवगीत
*
विज्ञानवार्ता में
डॉ. गुरुदयाल प्रदीप की चेतावनी
सावधान! खतरों की भी है
संभावना |
|
|
पिछले
सप्ताह
डॉ. अशोक गौतम
का व्यंग्य
परेशान पड़ोसी
*
दृष्टिकोण में ऋषभदेव शर्मा का
आलेख
हिंदी में वैज्ञानिक लेखन
*
कुबेर नाथ राय
का ललित निबंध
कुब्जा सुंदरी
*
समाचारों में
देश-विदेश से
साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ
*
कथा महोत्सव में पुरस्कृत-
भारत से फ़ज़ल इमाम
मल्लिक की कहानी
उदास आँखोंवाला लड़का
स्टेडियम के
एक सिरे पर बने लोहे के फाटक को थामे वह चुपचाप खड़ा था...
उदास... उदास...। जगमगाती रोशनी... छूटती फुलझड़ियाँ... और
लोगों के हजूम में चुपचाप उदास खड़े उस लड़के को देख कर भीतर
कहीं कुछ हुआ था... कुछ टूटा-सा खट से... ये तीसरा दिन था जब
उसके चेहरे पर सन्नाटा पसरा रहा था और वह लोहे के फाटक से लगा
लोगों को खुशियाँ मनाते चुपचाप देख रहा था... आखिर वह क्यों
उदास है। जैसे किसी ने चुपके से मुझसे पूछा। आज तो उसे खुश
होना चाहिए, मेरे भीतर किसी ने कहा... जहाँ हज़ारों लोग खुश
हों वहाँ अकेले उस एक लड़के की उदासी भीतर ही भीतर मुझे परेशान
कर रही थी। ईडेन गार्डन में जमा हज़ारों की भीड़ में वह अकेला
चेहरा मुझे अपनी तरफ़ खींच रहा था। जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए
था।
पूरी कहानी पढ़ें...
|