मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है भारत से
फ़ज़ल इमाम मल्लिक की कहानी— 'उदास आँखोंवाला लड़का'


स्टेडियम के एक सिरे पर बने लोहे के फाटक को थामे वह चुपचाप खड़ा था... उदास... उदास...।
जगमगाती रोशनी... छूटती फुलझड़ियाँ... और लोगों के हजूम में चुपचाप उदास खड़े उस लड़के को देख कर भीतर कहीं कुछ हुआ था... कुछ टूटा-सा खट से... ये तीसरा दिन था जब उसके चेहरे पर सन्नाटा पसरा रहा था और वह लोहे के फाटक से लगा लोगों को खुशियाँ मनाते चुपचाप देख रहा था... आखिर वह क्यों उदास है। जैसे किसी ने चुपके से मुझसे पूछा। आज तो उसे खुश होना चाहिए, मेरे भीतर किसी ने कहा... जहाँ हज़ारों लोग खुश हों वहाँ अकेले उस एक लड़के की उदासी भीतर ही भीतर मुझे परेशान कर रही थी।

ईडेन गार्डन में जमा हज़ारों की भीड़ में वह अकेला चेहरा मुझे अपनी तरफ़ खींच रहा था। जबकि ऐसा होना नहीं चाहिए था। मुझे भी लोगों की उस जमाअत में शामिल होकर अज़हरुद्दीन और उनके साथियों के स्वागत में तालियाँ बजानी चाहिए थी। पर मैं ऐसा नहीं कर पा रहा था। अज़हर और भारतीय टीम के दूसरे साथी खिलाड़ी कप को ताजिए की तरह सरों पर उठाए मैदान की परिक्रमा कर रहे थे और पूरा स्टेडियम तालियों से गूँज रहा था। अख़बारों की मशाल जला कर लोग वेस्ट इंडिज पर भारतीय जीत का जश्न मना रहे थे।

पृष्ठ : . . .

आगे-

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।