हास परिहास

२००९


"इस घर की मै गृह मंत्री हूँ, साथ ही मै वित्त मंत्रालय भी संभालती हूँ, तुम्हारे ससुर विदेश मंत्री हैं, मेरा बेटा आपूर्ति मंत्री है एवं बेटी योजना मंत्री है। तुम कौन सा विभाग लेना पसंद करोगी?" सास ने अपने मंत्रीमंडल का विस्तार समझाते हुए नई बहू से पूछा।
"जी, मै तो विपक्ष मे बैठूँगी। बहू ने तपाक से जवाब दिया।"

२ नवंबर २००९


'हम इतनी बड़ी बन्दगोभी पैदा करते हैं कि एक के नीचे सिपाहियों की एक बटालियन विश्राम कर सकती है' पंजाबी ने शान मारी।
'यह तो कुछ भी नहीं....।' बिहारी ने उत्तर दिया- 'हम तांबे की इतनी बड़ी देगची बनाते हैं कि उस पर एक हज़ार आदमी ठोक पीट करते हैं। फिर भी वे इतनी दूर होते हैं कि एक दूसरे के हथौड़े की ध्वनि नहीं सुन पाते।'
पंजाबी खुलकर हंसा- 'पर इतनी बड़ी देगची का कोई क्या करेगा?'
'क्यों? तुम्हारी बन्दगोभी पकाने के काम आएगी।'

२६ अक्तूबर २००९


एक आदमी नेत्र- चिकित्सक से अपनी परीक्षा करवा रहा था।उसने पूछा '
डाक्टर साहब - चश्मा लगाकर मैं पढ़ भी सकूँगा।'
'हाँ, हाँ, क्यों नहीं?' नेत्र चिकित्सक ने फौरन जवाब दिया।
'ओह फिर तो बहुत अच्छा रहेगा। अब तक तो मुझे पढ़ना भी नहीं आता था।' रोगी बोला।

१९ अक्तूबर २००९


दीपावली के दिन एक आदमी थाने पहुँचा और थानेदार से बोला,"आप मेरे घर की चाबी रख लीजिये।"
थानेदार सकपका गया और बोला "क्यों?"
वह आदमी बोला, "आज दिवाली के अवसर पर एक ड्रिंक पार्टी है,
और जाहिर है कि मै पार्टी में छककर व्हिस्की और वोदका पिऊँगा,
और ऐसी हालत में मेरी चाबियाँ गिर सकती है,
और मैं यह सोच रहा हूँ कि नशे में धुत सड़क से मुझे पकड़कर कोई पुलिसवाला थाने लायेगा तो मै आपसे घर की चाबी ले लूँगा।"  
-------------------------------------------------- १२ अक्तूबर २००९


रावण के दुष्कर्मों से सब हैरान थे ग्यारह मुल्कों की पुलिस उसके पीछे पड़ी थी कि एक दिन रावण भारतीय पुलिस की पकड़ में आ गया और उसे कचहरी में पेश कर दिया गया।
पूरे फ़िल्मी अंदाज में लाल कपड़े में लिपटी गीता उसके सामने लाई गई और जज ने कहा,
"गीता पर हाथ रखकर कहो- जो कहूँगा सच कहूँगा सच के सिवा कुछ नहीं कहूँगा।"
रावण घबराकर बोला, "भई, एक बार सीता पर हाथ रखा तो जान देकर पीछा छूटा।
अब गीता पर हाथ रखने को न कहो।"
---------------------------------------------------------------------५ अक्तूबर २००९


एक बिल्ली ने चूहे से कहा,
"इधर आओ मैं तुम्हें खुशहाल बना दूँगी। तुम्हारा घर मक्खन और रोटी से भर दूँगी।"
चूहे ने दूर से ही प्रणाम करते हुए कहा,
"मैं जानता हूँ कि तुम राजनीति की बातें कर रही हो।"

२१ सितंबर २००९


हिंदी दिवस के अवसर पर एक साहित्यिक परिहास

"तेल का पकौड़ियाँ कितनी बिकीं?" लक्ष्मीचंद्र जैन ने फोन पर किसी से कहा।
"सब बिक गयीं।" दूसरी ओर से आवाज़ आई।
"अच्छा एक सौ और भेज देता हूँ।" लक्ष्मीचंद्र जैन बोले। सामने ही एक मित्र बैठे थे। आश्चर्य से उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। भारतीय ज्ञानपीठ के कर्ता-धर्ता और तेल की पकौड़ियाँ! कुछ क्षण वे चुप रहे। फिर पूछ बैठे, "क्यों जी, जैन साहब यह रोज़गार कब से?"
"जी, यही कोई दो मास से शौक लगा है। लीजिये आप भी आनंद उठाइए।" दूसरे ही क्षण जैन साहब ने डॉ. माचवे का कविता संग्रह "तेल की पकौड़ियाँ" थमा दिया।
----------------------------------------------------------------१४ सितंबर २००९


एक बार किसी वाक्पटु राज ज्योतिषी ने प्रधान मंत्री से मज़ाक किया, 'आप अगले दिन मर जाएँगे'।
संयोग से अगले दिन प्रधान मंत्री घोड़े से गिरकर चल बसा। यह जानकर उस देश का राजा आग बबूला हो गया, ' अरे ज्योतिषी तुम्हारी ही बददुआ से प्रधान मंत्री की मौत हुइ है। तुम्हें इसकी सज़ा दी जाएगी। अगर तुम यह जान सकते हो कि प्रधान मंत्री कब मरेगा, तो यह भी जान सकते हो कि तुम खुद कब मरोगे? अगर न बता सके तो आज ही नर्क में भेज दिये जाओगे।'
'महाराज ! मैं आपसे ठीक दो दिन पहले मरूँगा।' चतुर ज्योतिषी ने जवाब दिया।
ज्योतिषी की बात सुनकर राजा मुँह देखता रह गया।
-------------------------------------------------------७ सितंबर २००९


एक वकील महोदय ने गवाह का नाम, गाँव आदि पूछने के बाद उससे प्रश्न किया, "क्या तुम्हारा विवाह हुआ है?"
"जी हुजूर, उस देहाती गवाह ने कहा, "एक औरत के साथ।"
उसका जवाब सुनकर वकील साहब गुस्से में आ गए और बोले, "अरे बेवकूफ़ किसी का विवाह क्या मर्द से भी होता है?"
"जी हुजूर पिछले साल मेरी बहन का विवाह एक मर्द के साथ हुआ था।" गवाह ने सहमते हुए उत्तर दिया।
_________________________________________________________________________३१ अगस्त २००९

एक सिपाही ने अपनी पत्नी को अपने बटुए से रुपये निकालते हुए देख लिया। सिपाही तुरंत आगे बढ़ा और पत्नी की कलाई थामते हुए बोला,  "मेरे बटुए में से चोरी, याद रखना मैं तुम्हारी पति ही नहीं पुलिसवाला हूँ। मैं तुम्हें चोरी के जुर्म में गिरफ़्तार भी कर सकता हूँ।
पत्नी ने चुराए गए रुपयों में से पाँच रुपये का नोट पति के हाथ पर रखते हुए कहा, जाने भी दीजिये हुजूर बात यहीं खतम कीजिए न।

२४ अगस्त २००९


दिल्ली शहर की बात है। एक गंजा व्यक्ति सड़क पर जा रहा था। उसके पास से एक महिला गुज़री जिसने बहुत ऊँचा जूड़ा बना रखा था। गंजे ने महिला से पूछा, "बहन जी, पहाड़गंज किधर है?"
महिला थोड़ी जल्दी में थी, बोली- "पहाड़ मेरे सिर पर और गंज आपके सिर पर।"

१७ अगस्त २००९


स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाया जा रहा था। पंडाल सजा था और मंच पर नेता जी भाषण दे रहे थे। जनता श्रोताओं के लिए बनाई गई जगह पर जमी हुई थी। भाषण के बाद लौटते समय एक व्यक्ति नेता जी की चमचागिरी करते हुए बोला, "आपका भाषण तो लाजवाव था सर।"
नेता जी कुछ अप्रसन्न मुद्रा में थे। बोले, "लेकिन सुनने वाले तो सभी गधे थे।"
अब चमचे से न रहा गया। वह तपाक से बोला, "तभी आप ज़ोर ज़ोर से पुकार रहे थे- प्यारे भाइयो! प्यारे भाइयो!"

१० अगस्त २००९


एक दिन सरदार जी टैक्सीवाले से एक जापानी व्यक्ति ने एअरपोर्ट चलने के लिए कहा। रास्ते भर वह जापानी व्यक्ति जापान की तारीफ करता रहा। एक होंडा उनकी टैक्सी को पीछे छोड़कर आगे निकल गई तो जापानी खुशी से बोला, “होंडा‚ सबसे तेज़! मेड इन जापान!” सरदार जी को अच्छा नहीं लगा।
थोडी देर बाद एक ‘टोयोटा’ बगल से गुज़री और आगे निकल गई तो फिर से वह बोला, “टोयोटा‚ सबसे तेज़! मेड इन जापान!” अब सरदार जी को गुस्सा आया, लेकिन वे शांत रहे।
एअरपोर्ट पहुचने पर जापानी ने किराया पूछा, सरदार जी बोले ५०० रुपये।
जापानी ने चौंकते हुए पूछा ” इतना ज्यादा ?”
अब सरदार जी को बोलने का अवसर मिला, "मीटर, सबसे तेज़! मेड इन इंडिया।”

अगस्त २००९


एक बहुत मुश्किल मरीज़ डॉक्टर के पास पहुँचकर बोला- "डॉ. साहब मैं पुराने डाक्टर को छोड़कर आपके पास इलाज के लिए आया हूँ।"
"क्यों भई, क्या पहले डॉक्टर के इलाज से फ़ायदा नहीं हुआ?"
"फ़ायदा हुआ या नहीं, वह तो दूर की बात है डाक्टर साहब, उसने मुझे झिड़कते हुए कहा कि तुम्हारा इलाज तो कोई गधा ही कर सकता है।" मरीज़ ने उत्तर दिया।

२७ जुलाई २००९


एम.बी.बी.एस. पूरी करने के बाद मुन्नाभाई ने अपने पहले मरीज़ का मुआयना शुरु किया।
टार्च जला कर आँखे देखी, कान देखे, जीभ और गला देखा और कहा,
" बोले तो टार्च एक दम मस्त है बाप"

२० जुलाई २००९


जेलर ने काल कोठरी खोलते हुए कहा -"बन्दी आज तुम्हारा अन्तिम दिन है। जो तुम खाने को कहोगे वह इच्छा पूरी की जाएगी।"
"धन्यवाद। मैं तरबूज़ खाऊंगा ।"
लेकिन अब तो दिसम्बर है।"  जेलर ने लाचारी दिखाई- " अभी तो तरबूज़ पकना तो दुर रहे, बोए भी नही गए हैं।"
"मैं इन्तज़ार कर सकता हूँ जेलर साहब।"

१३ जुलाई २००९


कब्रिस्तान के चौकीदार को नशे की आदत थी। नशे की झोंक में एक दिन उसने कब्र खोदना शुरु किया और खोदता ही चला गया। जब नशा टूटा तो उसे पता चला कि कब्र इतनी गहरी खुद गई है कि वहाँ से निकला भी नही जा सकता। शाम का आधेरा घिरने लगा था। उसे देख कर उसकी घबराहट और ज्यादा हो गयी।
तभी कब्रिस्तान में धूमता हुआ एक व्यक्ति उसके पास से गुज़रा। पैरों की आहट सुनकर कब्र में से चौकीदार चिल्लाया, 'अरे कौन हो भाई? खुदा के वास्ते मुझे निकाल लो, मैं ठन्ड के मारे सिकुड़ रहा हूँ।'
उसकी आवाज़ सुनी तो बाहर वाले व्यक्ति ने कब्र के अन्दर झाँका और सहानुभूति के स्वर में बोला, ठंड जरुर लग रही होगी भाई, जो लोग तुम्हें दफनाने आये थे, वे तुम्हारे ऊपर मिटटी डालना भूल गए हैं। लो मैं मिटटी डाले देता हूँ॰ ॰ ॰।'

६ जुलाई २००९


एक अमरीकी पर्यटक किसी एस्किमो बस्ती से गुज़रा। उस समय रात्रि का अँधेरा फैल रहा था। वह रात उस इलाके में पर्यटक की पहली रात थी। ठंडी हवाओं से बचाव की कोई सूरत न देख, वह एक सराय में पहुँचा। रात बिताने के लिए मालिक से बात की, तो मालिक ने कहा, "यहाँ एक रात ठहरने का किराया ५००० डॉलर होगा।"
किराए की रकम सुनकर सैलानी की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई।
सराय के मालिक ने हकलाते हुए कहा, "लेकिन श्रीमन! आप सोचिए तो सही कि यहाँ की एक रात भी छे माह के बराबर होती है।"

२९ जून २००९


एक बार की बात है किसी देश में तीन आदमियों पर कत्ल का मुकदमा चला और उनको मृत्युदंड दिया गया। पहले व्यक्ति को कुर्सी पर बिठाकर पूछ गया कि उसकी अंतिम इच्छा क्या है।
"मुझे छोड़ दो, मैं एक चिकित्सक हूँ। वादा करता हूँ कि आज के बाद सबका मैं मुफ़्त इलाज करूँगा।" पहले व्यक्ति ने कहा। उसकी अंतिम इच्छा नहीं मानी गई और बटन दबा दिया गया, पर कुर्सी में बिजली प्रवाहित नहीं हुई। जल्लाद बोला, "कानूनन यह छूट गया है, क्यों कि हम इसे एक बार मृत्युदंड दे चुके हैं।"
दूसरे व्यक्ति ने अपनी इच्छा बताई, "मुझे छोड़ दो, मैं वकील हूँ। छूटने के बदले मैं पचीस साल तक सरकार की मुफ़्त सेवा करूँगा।" उसकी भी अंतिम इच्छा नहीं मानी गई और बटन दबा दिया गया। फिर कुर्सी में बिजली प्रवाहित नहीं हुई और वह भी छोड़ दिया गया।
जब तीसरे व्यक्ति को कुर्सी पर बैठाकर उसकी अंतिम इच्छा पूछी गई तो वह बोला, "मैं इंजीनियर हूँ, मुझे छोड़ दो मैं आपकी कुर्सी ठीक कर सकता हूँ। बात यह है कि यह लाल तार इस छेद में और यह सफ़ेद तार इससे निकालकर उसमें डालो तो बिजली चालू हो जाएगी।"

२२ जून २००९


एक बार एक अफ़ीमची बारिश में कहीं जा रहा था।
अचानक वह फिसलकर कीचड़ में जा गिरा। तभी जोर से बिजली कड़की तो वह बोला, "वाह! ऊपरवाले, पहले तो गिराते हो फिर फोटो भी खींचते हो?"

१५ जून २००९


एक साहब जी घबराए हुए आये और बीवी से बोले-”बेगम!मैं दफ्तर से आ रहा था कि रास्ते में एक गधा ……!”
इतने में उनकी बच्ची बोल उठी-”मम्मी! रीता ने मेरी गुडिया तोड़ दी है !”
पति ने फिर कहना शुरू किया -”हाँ तों बेगम! मैं कह रहा था कि रास्ते में एक गधा …….!
इतने में उनका लड़का बोला -”मम्मी! रीता ने मेरी कार तोड़ दी है !”
बीवी झल्लाकर बोली -”ईश्वर के लिए तुम सब चुप हो जाओ, मुझे पहले गधे की बात सुन लेने दो!”

८ जून २००९


कालेज की अर्धवार्षिक परीक्षा के बाद कापियाँ जाँचते समय एक बड़ी अजीब बात नज़र आई। कापियों में नाम के आगे तिथि और एक वज़न लिखा हुआ था जैसे-
मंजु वर्मा- २० दिसंबर, ३५ किलो
कविता पांडे- २० दिसंबर ३८ किलो
दूसरे दिन अध्यापिका ने कक्षा में छात्राओं से पूछा, "कापियों में अपने नाम के साथ यह ३५ किलो-३८ किलो क्यों लिखा है?"
एक छात्रा खड़ी होकर बोली, "परीक्षा में जो मैडम निरीक्षण कर रही थीं उन्होंने ही कहा था कि लड़कियों परिचय में सबकुछ ठीक ठाक लिखना गलती वल्ती मत करना और डेट वेट लिखना मत भूलना। इसीलिए हमने डेट के साथ वेट भी लिख दिया।"

१ जून २००९


रात के समय एक शराबी ने पुलिस स्टेशन पर फ़ोन किया और घबराते हुए रिपोर्ट लिखवाई, "मेरी कार का क्लच, एक्सीलेटर, डैश बोर्ड आदि सब चोरी हो गए।"
पुलिस स्टेशन के एक पुलिस अफ़सर ने जल्दी तलाश करने का वायदा किया, किंतु थोड़े समय बाद शराबी ने फिर फ़ोन किया, "माफ़ कीजिए, मुझे सबकुछ मिल गया है दर असल मैं गलती से पिछली सीट पर बैठ गया था।"

२५ मई २००९


एक अपराधी को फाँसी देने के लिए जंगल में ले जाया जा रहा था। तेज़ बारिश हो रही थी। रास्ता ऊबड़ खाबड़ और अँधेरा था। अपराधी बार बार ठोकर खाकर गिर जाता था।
आखिर वह झल्लाकर बोला,
"यह कहाँ की शराफ़त है?
मैं मरने जा रहा हूँ फिर भी ऐसे गंदे रास्ते पर चलाया जा रहा हूँ।"
"तुम्हें तो जाना ही जाना है भाई, जल्लाद बोला, "हम लोगों को तो इसी रास्ते से वापस लौटना है।"

१८ मई २००९


एक ग्राहक पान की दूकान पर पहुँचा और पानवाले से बोला,  "भाई, ये पाँच पैसे लो और बढ़िया सा पान लगा दो। हाँ इलायची भी डाल देना और हाँ थोड़ा पिपरमेंट।"
"जी.."
"मसाला कानपुरवाला डालना..."
"जी... जी..."
"थोड़ा गुलकंद भी.."
"बहुत अच्छा.."
"काला दाना तो होगा न तुम्हारे पास?"
"जी"
"तो फिर वह भी डालनी और लौंग हो तो वो भी डाल देना"
पान वाला इतनी फरमाइशें सुनकर तंग आ चुका था पर मीठी चुटकी लेते हुए बोला, "साहब इसमें एक चीज़ तो रह ही गई।
"वह क्या?" ग्राहक ने आश्चर्य से पूछा।
"आपका पाँच पैसा, कहिए तो वह भी डाल दूँ।"

११ मई २००९


मेज़बान टीम का कप्तान अम्पायर को समझा रहा था, आप इस मैच के अम्पायर हैं। वैसे तो मैं आपसे ईमानदारी की आशा करता हूँ पर आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मैदान के साथ की इमारत अस्पताल है। दूसरी ओर नदी बह रही है, जिसमें गिरने के बाद कोई जीवित नहीं बचा हैऔर इस मैदान में आज तक मेरी टीम कोई मैच हारी नहीं है।

४ मई २००९


एक ग्रामीण रेल के डिब्बे में चढ़ा और उसने भारी गट्ठर एक ऐसी बर्थ पर रख दिया जिसके ठीक नीचे एक महिला बैठी थी। वह गट्ठर आधा बर्थ पर और आधा बर्थ के बाहर निकला हुआ था। महिला ने परेशान होते हुए कहा, "अगर यह गट्ठर मेरे ऊपर गिर पड़ा तो...?"
"कोई बात नहीं, बहनजी। इसमें टूटने लायक कुछ भी नहीं है।" वह ग्रामीण इतमीनान से बोला।

२७ अप्रैल २००९


"वैद्यजी आपकी दवा से मुझे बहुत फ़ायदा हुआ है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।" एक मरीज़ ने वैद्यजी से कहा।
"अब तो तुम्हें भूख भी खुलकर लगने लगी होगी?" अपनी प्रशंसा से खुश होकर वैद्यजी ने पूछा।
"जी हाँ, जी हाँ, वही तो पूछने आया हूँ मैं आपसे, कि क्या क्या खा सकता हूँ।" मरीज़ बोला।
"ज्यादा खट्टी और चपटटी चीज़ों का परहेज़ रखते हुए कुछ भी खाइये।"
"मिठाई खा सकता हूँ?"
"हाँ - हाँ।"
"फल?"
"निस्संदेह।"
"मूँग की खिचड़ी?"
"बिलकुल बिलकुल।"
"हरी सब्जियाँ भी खा सकता हूँ क्या?
"मेरा सिर छोड़ दो बाकी कुछ भी खाओ।" परेशान वैद्यजी ने अंतिम उत्तर दिया।

२० अप्रैल २००९


एक महाशय नाई की दूकान पर गए और कुर्सी पर बैठते हुए बोले,
"तीनों को छोटा रखना।"
"तीनों को?" नाई ने हैरानी से पूछा।
"हाँ, मूछें, सिर के बाल और अपनी बातचीत को।" महाशय ने मुसकुराते हुए कहा।

१३ अप्रैल २००९


"माफ़ कीजिए जनाब, मेरे पास आपका बिल चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं।" एक ग्राहक ने रेस्टोरेंट के मैनेजर से कहा।
"फ़िक्र मत कीजिए, हम आपका नाम दीवार पर लिख देंगे, आप जब अगली बार आएँगे तो पैसे दे दीजिएगा।" मैनेजर ने कहा।
"मुझे यह बात पसंद नहीं आई, सभी मेरा नाम पढ़ेंगे।" ग्राहक बोला।
"ऐसा न होगा ऊपर आपका कोट जो टँगा होगा।" मैनेजर ने उत्तर दिया।
-------------------------------------- अप्रैल २००९

एक विद्यार्थी बहुत देर से गणित के प्रश्न हल करने की कोशिश कर रहा था। पहले प्रश्न में ही वह अटक गया। सब विद्यार्थी अपने अपने प्रश्न दिखाकर चले गए पर उसे छुट्टी नहीं मिली। जब बहुत देर हो गई तो अध्यापक ने उसकी अभ्यास पुस्तिका देखी और कहा, "तुम्हारा उत्तर अभी भी ठीक नहीं है। इसमें अब भी २५ पैसे कम हैं।"
विद्यार्थी ने २५ पैसे अपनी जेब से निकालकर अध्यापक महोदय को देते हुए कहा, "लीजिए सर, और मेरी जान छोड़िए।"
  --------------------------------------------------------------------------------------------          ३० मार्च २००९

बात चुनाव के दिनों की है। चुनाव में खड़े एक व्यक्ति को चुनाव चिह्न साइकिल मिला।
प्रचार के लिए वह प्रत्याशी अपने सहयोगियों को लेकर एक बुढ़िया के पास पहुँचा और बोला,
"माता जी, साइकिल का ध्यान रखना।"
उसकी बात सुनकर बुढ़िया ने जवाब दिया,
"मैं तो अभी दूध लेने जा रही हूँ बेटा, तू ताला लगा जा अपनी साइकिल को।"
 --------------           २३ मार्च २००९

दो भंगेड़ी किसी नए शहर पहुँचे। भंग की तलब जगी पर नए शहर में कहाँ ढूँढें भंग?
इससे उससे पूछा पर बात नहीं बनी।
आखिर एक पतंग उड़ाने की और दूसरा मांझे की चक्री संभालने की मुद्रा में आ गया।
उनके इस पागलपन को लोग देखते और निकल जाते। कुछ देर तक वे ऐसा ही अभिनय करते रहे। इतने में एक आदमी आया और सिर नीचे झुकाकर निकलने लगा, जैसे पतंग का धागा उसके सिर से लग जाएगा। दोनों भंगेड़ियों ने झट उसे पकड़ लिया, "अब मिला है जाकर, चल बता, भंग कहाँ मिलती है।"

१६ मार्च २००९


बहस से बुरी तरह खिसियाकर एक व्यक्ति ने दूसरे से कहा,
"यार तुम तो हर बात पर लाल पीले होने लगते हो?"
"हाँ, मैं पैदा ही होली के दिन हुआ था।"
दूसरे ने झल्लाकर उत्तर दिया।

९ मार्च २००९


एक साहब सुबह ऑफ़िस जाने के लिए बस में सवार हुए तो कंडक्टर ने सवाल किया, "रात ठीक से पहुँच गए थे जनाब?"
"क्यों? साहब के माथे पर बल पड़े, "मुझे क्या हुआ था रात को?"
" टुन्न थे आप।"
"तुमने कैसे जाना? मैंने तो तुमसे बात तक नहीं की थी?"
"जनाब, आप जब बस में बैठे हुए थे तो एक मैडम बस में चढ़ीं थीं, जिन्हें आपने उठकर सीट दी थी।"
"तो?"
"तब बस में आप दो ही यात्री थे जनाब।"
२ मार्च २००९


एक आदमी की शादी होने के कुछ ही दिन बाद उसका मित्र मिला।
मित्र ने पूछा, "कैसी चल रही है?"
आदमी ने कहा, "ठीक चल रही है।"
मित्र ने पूछा, "दोनो खुश हो या नहीं?"
"खुश हैं। मेरी बीवी मुझे रोज़ बर्तन उठाकर मारती है।"
मित्र ने बेसब्री से पूछा, "फिर दोनो खुश कैसे हो?"
आदमी ने कहा, "जब उसका निशाना सही लगता है तब वह खुश होती है, और जब निशाना चूक जाता है तो मैं खुश होता हूँ।"

२३ फरवरी २००९


एक दंपत्ति नाटक देखने गया।
पान की दूकान से पति ने पान का एक ही बीड़ा ख़रीदा और अपनी पत्नी को दे दिया।
अपने लिए भी तो ले लीजिए। पत्नी ने बीड़े को मुँह में रखते हुए कहा।
नहीं, उसकी कोई ज़रूरत नहीं। मैं मुख में कुछ रखे बिना भी खामोश रह सकता हूँ।

१६ फरवरी २००९


"प्रिये, यहाँ एक किताब थी पता नहीं कहाँ चली गई, क्या तुमने कहीं रखी?" पति ने पत्नी से पूछा।
"कौन सी किताब?" पत्नी ने प्रश्न किया।
"सौ साल तक जीवित रहने का रहस्य।" पति ने जवाब दिया।
"वह तो मैंने अग्नि को भेंट चढ़ा दी।" पत्नी बोली।
"मगर क्यों?" पति ने आश्चर्य से पूछा
"कल तुम्हारी माँ जी आ रही हैं ना, पत्नी बोली, "उनके हाथ लग जाती तो...?

९ फरवरी २००९


एक धार्मिक स्थल का निर्माण हो रहा था कि एक मज़दूर काफ़ी ऊँचाई से गिर गया। उसकी जान तो बच गई किंतु चोटें बहुत आईं। उस धार्मिक स्थल का मालिक जो दूर खड़ा उसे गिरता देख रहा था, दौड़कर उसके पास आया और उसे ज़िन्दा पाकर बोला, "ईश्वर तुम्हारे साथ है बेटा।"
मजदूर कराहते हुए बोला, "हाँ, कोई न कोई तो ज़रूर मेरे साथ था, वरना मुझे धक्का कौन देता।"

२ फरवरी २००९


विदेश में पढ़े-लिखे नेताजी गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने क्षेत्र के दूर-दराज गाँव में पहुँचे। मंच पर भाषण देते समय वह ग्राम-वासियों से कह रहे थे- "आप अपनी समस्याओं पर रोशनी डालिए, हम हल करेंगे.. "
बीच में ही श्रोताओं की भीड़ से एक किसान खड़ा होकर बोला- "सरकार, गाँव में बस खंभे और लट्टू दिख रहे हैं, महीनों से बिजली नहीं आई। और आप हमसे रोशनी डालने की बात कह रहे हैं!"

२६ जनवरी २००९


संतरी के काम के लिए एक व्यक्ति ट्रेनिंग ले रहा था। उसे बताया गया कि वह केवल ऐसी ही कारों को अंदर आने दे जिन पर एक विशेष चिह्न हो। सहसा एक बग़ैर चिह्न की कार आती दिखाई दी। संतरी के रोकने पर भी उसमें बैठे उच्च अधिकारी ने कार को आगे बढ़ाने की आज्ञा दी।
एक मिनट साहब, नया संतरी सैल्यूट मार कर बोला, मैं इस काम के लिए बिलकुल नया आया हूँ। यह तो बताइए कि गोली मैं आप पर चलाऊँ या ड्राइवर पर।

१९ जनवरी २००९


एक समाजसेवी किसी विद्यालय में चंदा माँगने पहुँचे।
वे चंदा माँगने का कारण समझाते हुए बोले,
"मेरे प्यारे बच्चों, तनिक ध्यान से सुनो, अफ्रीका में साठ लाख वर्ग मील धरती ऐसी है, जहाँ छोटे बच्चों के लिए कोई भी विद्यालय नहीं है। अच्छा तो बताओ हमें पैसा किस लिए बचाना चाहिए?"
"अफ़्रीका जाने के लिए।"- सब बच्चों ने एक साथ कहा।

१२ जनवरी २००९


ढब्बू जी नए साल के उत्सव में अपने मित्र गब्बू जी की ओर मुड़े और एक सिगरेट माँगी।
"अरे, मैंने तो सुना कि तुमने नए साल में धूम्रपान न करने का संकल्प लिया है।" गब्बू जी ने आश्चर्य से पूछा।
"हाँ, सही सुना, मैं धूम्रपान छोड़ने की प्रक्रिया में हूँ, ढब्बू जी ने खीसें निपोरते हुए कहा, "इस समय मैं इस प्रक्रिया के प्रथम चरण से गुज़र रहा हूँ।"
"प्रथम चरण?" गब्बू ने फिर आश्चर्य व्यक्त किया।
"हाँ, ढब्बू जी बोले, "मैं सिगरेट खरीदना बंद कर चुका हूँ।"

५ जनवरी २००९

२००८ | २००९