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 ३. ८. २००

इस सप्ताह-
साहित्य संगम में रमानाथ राय की बांग्ला कहानी का हिंदी रूपांतर तिमंज़िले का कमरा
तिमंज़िला मकान। पहली मंज़िल पर तीन कमरे। एक रसोईघर, एक बैठक और सोने वाला कमरा। सोने वाले कमरे में मेरी बुढ़िया रहती है। पोते-पोतियाँ रहते हैं। दोमंज़िले पर तीन कमरे हैं।  एक कमरे में बड़ा बेटा रहता है, बड़ी बहू रहती है। और एक कमरे में छोटा बेटा रहता है, छोटी बहू रहती है। इसके बाद वाले कमरे में मेरी बेटी रहती है। मगर तिमंज़िले पर सिर्फ़ एक कमरा है। उस कमरे में मैं अकेला रहता हूँ। हर वक़्त अकेला रहना अच्छा नहीं लगता। अपनी बुढ़िया से कभी-कभी बातें करने का बहुत मन करता है। सुबह मेरी पोती मेरे लिए चाय ले आती है। उसके हाथ से चाय का प्याला लेकर मैं एक चुस्की लेता हूँ। फिर उससे पूछता हूँ, ''तेरी दादी क्या कर रही है?''
''चाय पी रही हैं।''
''चाय पी ले तो ज़रा भेज देना।''  पूरी कहानी पढ़ें-

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महेश सांख्यधर का व्यंग्य
जिन लूटा तिन पाइयाँ

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सुषम बेदी का निबंध
प्रवासी भारतीयों का साहित्यिक उपनिवेशवाद

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आज सिरहाने मन्नू भंडारी की कृति
एक कहानी यह भी

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विज्ञान वार्ता में डॉ. गुरुदयाल प्रदीप की रचना
हमारी नींद हमारे सपने

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पिछले सप्ताह

शरद उपाध्याय का व्यंग्य
साहब का जाना

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रचना प्रसंग में डॉ. राजेन्द्र गौतम का आलेख
नवगीत का मूल्यांकन
कुछ महत्त्वपूर्ण कृतियाँ

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डाकटिकटों के स्तंभ में
देश विदेश के डाकटिकटों में गाँधी

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समाचारों में
देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ

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कथा महोत्सव में पुरस्कृत- भारत से
राहुल ब्रजमोहन की कहानी विनिवेश

मैंने चाबी के छल्ले की तरह गोल-गोल रूमाल घुमाकर उमस में भीजते जिस्म के साथ अपनापा निभाने की सतही कोशिश ही की थी, कि वह पूछ बैठे, ''कितने घंटे का रन है जी उज्जैन तक?''
''बमुश्किल दो घंटे।'' कमोबेश हैरत भरे अंदाज़ में मैंने जवाब दिया। आम तौर पर कम ही लोग मुझसे बातचीत करते हैं। नौजवानों को मुझसे अपनी जमात का पिटा हुआ मोहरा नज़र आता है और अधेड़ मुझे लड़कपन का मारा समझकर काम का आदमी मानने से साफ़ इंकार कर देते है। उन्हें मुझमें लोकाचार की कोई जागृत सम्भावना दिखाई नहीं देती। मैं खुद भी किसी से खुलकर नहीं मिलता। सच कहूँ तो अपनी दिनचर्या के दायरे से बाहर कदम रखते हुए मुझे घबराहट सी होती है। इसलिए जब एक सर्वथा अपरिचित सज्जन मेरी तरफ़ इस तरह मुतवज्जेह हुए, तो ऐसा लगा जैसे मैं ग़लत वक्त और ग़लत ज़मीन पर ग़लत तरीके से धर लिया गया हूँ। पूरी कहानी पढ़ें-

अनुभूति में- ७ गीत, अन्य विधाओं में वेद प्रकाश अमिताभ, शरद आलोक, ज्ञान प्रकाश विवेक और विष्णु सक्सेना की रचनाएँ।

 
कलम गही नहिं हाथ- कहते है शब्द के वार का घाव तलवार से गहरा होता है और संगीत की शक्ति से बुझे दिये जल उठते हैं.... आगे पढ़ें
रसोई सुझाव- कोई भी चीज तलने से पहले तेल या घी में सिरके की कुछ बूंदें डालें,  इससे उसमें स्वाद व रंग बढ़ेगा।

पुनर्पाठ में - १५ अक्तूबर २००१ को साहित्य संगम में प्रकाशित, सच्चिदानंद राउतराय की उड़िया कहानी का हिंदी रूपांतर जंगल

 

क्या आप जानते हैं?
कि विश्व की सबसे लंबी नदी नील का स्रोत विक्टोरिया झील है।

 
शुक्रवार चौपाल- जुलाई-अगस्त के महीने इमारात में गर्मी की छुट्टियों के होते हैं। अधिकतर अभिभावक और शिक्षक इन दिनो अपने-अपने देश- आगे पढ़ें

सप्ताह का विचार- वेदान्त के अनुसार वैज्ञानिक प्रकृति एवं मानववादी प्रकृति मिलकर आध्यात्मिक विकास का निर्माण करते हैं। - स्वामी रंगनाथानन्द


हास परिहास

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

पाठशाला में इस माह नवगीत से संबंधित लेखों का प्रकाशन किया जा रहा है। सुझावों का स्वागत है।

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
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