इस सप्ताह-
समकालीन कहानियों में -
भारत से
मधुलता अरोरा की कहानी
छोटी छोटी बातें
यह अलार्म भी अजीब है, कभी बजना
नहीं भूलता। शुभि घड़ी देखती है। अभी पाँच ही बजे हैं। कुछ
सोचकर उठती है, फ्रिज में से ठंडी रुई निकालती है, आँखों पर
रखकर फिर लेट जाती है। कुछ समय बाद अलार्म फिर घर्रा उठता है।
अब कोई चारा नहीं। उठना ही पड़ेगा। आज शुभि अपने शरीर में भारीपन
महसूस कर रही है। पूरा बदन अलसा रहा है। कोई भी काम करने का मन
नहीं कर रहा है। लेकिन बलि का बकरा कब तक खैर मनाएगा। हर रात
यह सोचकर सोती हे कि तड़के पाँच बजे सैर पर जाएगी, आकर नींबू
की चाय पिएगी, बेटे का नाश्ता और टिफिन बनाएगी। साढ़े छह बजे
बेटे को स्कूल रवाना करके कंप्यूटर पर अपने पत्र वगैरह
देखेगी। समाचार पत्र में भविष्य पढे़गी कि आज का दिन कैसे
बीतेगा और हिसाब से मूड बनाकर दफ़्तर की तैयारी करेगी। बाकी तो
सारे काम हो जाते हैं। बस, रह जाती है पाँच बजे की सैर और
नींबू की चाय।
पूरी कहानी पढ़ें-
* सुरेश
उनियाल की लघुकथा
विदाई
*
संस्कृति में मोहन टंडन का आलेख
मुट्ठी का महत्त्व
*
स्वाद और स्वास्थ्य में जानें
पौष्टिक पपीते के गुण
*
पर्यटन में राजपाल सिंह की कलम से
उदयपुर में सास-बहू के मंदिर
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पिछले
सप्ताह-
कदंब विशेषांक में
पुष्पा
भारती का संस्मरण
विरह विगलित कदंब
* नीलांबर
शिशिर का ललित निबंध
कदंब का रोम रोम अनुराग
*
संस्कृति में अर्बुदा ओहरी की कलम से
संस्कृति पर छाया कदंब
*
प्रकृति और पर्यावरण में प्रवीण का आलेख
उपयोगी ढंग कदंब के
*
समकालीन कहानियों में -
भारत से
पारुल पुखराज की कहानी
झूला पड़ा कदंब की डारी
फोन जमशेदपुर से था नरेन का,
हमें लॉन वाला घर मिल गया है नीता, जल्दी आ जाओ फ़र्निश
करने का बजट भी दो चार दिन में मिल जाएगा। मानो पंख लग गए
थे मेरी आत्मा को कैसे तो जा पहुँचूँ और हरियाले टुकड़े को किस
तरह अपनी बाहों में समेट लूँ। छुट्टियों में मायके आई थी दो
हफ्ते के लिए लेकिन चार दिन में ही वापस भागी। तीन साल
से हम तिमंज़ले पर अटके थे और कंपनी के लॉनवाले पहली मंज़िल के
फ्लैटों की ओर तरसती निगाहों से देखते। नया घर नए ब्लॉक में
था यानि दो मंज़िल वाले खुले-खुले बंगलेनुमा मकानों की कतार और घने पेड़ों की छाया
वाली चौड़ी सड़कों का वह दृश्य बार बार आँखों के सामने घूम
जाता जो तीन साल के लंबे इंतज़ार के बाद अपना होनेवाला था। घर
पहुँची तो ठगी सी रह गई। कार सड़क पर नहीं, चमेली से छाए
नन्हें से पोर्टिको में जाकर रुकी। क्यारियों भर फूल और लॉन
के गदबदे सौदर्य ने मन मोह लिया।
पूरी कहानी पढ़ें- |
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अनुभूति
में-
वंशीधर अग्रवाल,
अभिज्ञात, विनोद तिवारी, विद्या सागर जोशी और देवेन्द्र रिणवा की रचनाएँ। |
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रसोई
सुझाव-
पनीर को नर्म रखने के लिए उसे तलने के बाद गरम पानी में डालें।
इसके बाद ही उसे सब्ज़ी में मिलाएँ और हल्का पकाएँ। |
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पुनर्पाठ
में - १५ जुलाई २००१ को साहित्य संगम स्तंभ में
प्रकाशित, वी.चंद्रशेखर राव की
तेलुगू कहानी का हिंदी रूपांतर
गोर्की का
पात्र |
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क्या आप जानते हैं?
रॉकेटों का सामरिक प्रयोग पहली बार चीन ने १२३२ में मंगोलों के
खिलाफ़ किया था। |
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सप्ताह का विचार-
समाज के विकास के लिए केवल
अच्छा चरित्र ही काफ़ी नहीं,
उचित उद्देश्य के लिए
खड़े होने का साहस भी आवश्यक है।
--शिव खेड़ा |
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हास
परिहास |
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सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से |
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पाठशाला में इस माह की
कार्यशाला-३ का विषय है सुख-दुख इस जीवन में, नवगीतों का क्रमवार प्रकाशन जारी हैं। |
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