पपीता बहुत ही जल्दी जल्दी बढ़नेवाला पेड़ है।
साधारण जमीन, थोडी गरमी और अच्छी धूप मिले तो यह
पेड़ अच्छा पनपता है, पर इसे अधिक पानी या जमीन में
क्षार की ज्यादा मात्रा रास नहीं आती। इसकी पूरी
ऊँचाई करीब १०-१२ फुट तक होती है। जैसे-जैसे पेड़
बढ़ता है, नीचे से एक एक पत्ता गिरता रहता है और
अपना निशान तने पर छोड़ जाता है। तना एकदम सीधा हरे
या भूरे रंग का और अन्दर से खोखला होता है। पत्ते
पेड़ के सबसे ऊपरी हिस्से में ही होते हैं। एक समय
में एक पेड़ पर ८० से १०० फल तक भी लग जाते हैं।
पेड़ के ऊपर के हिस्से में पत्तों के घेरे के नीचे
पपीते के फल आते हैं ताकि यह पत्तों का घेरा कोमल फल
की सुरक्षा कर सके। कच्चा पपीता हरे रंग का और पकने
के बाद हरे पीले रंग का होता है। पपीते का फल थोड़ा
लम्बा व गोलाकार होता है तथा गूदा पीले रंग का होता
है। गूदे के बीच में काले रंग के बीज होते हैं। आजकल
नयी जातियों में बिना बीज के पपीते का आविष्कार भी
किया गया है। एक पपीते का वजन ३००-४०० ग्राम से
लेकर १ किलो ग्राम, तक हो सकता है।
पपीते के पेड़ नर और मादा अलग होते हैं लेकिन कभी-कभी एक ही पेड़ पर दोनों तरह के फूल खिलते हैं।
हवाईयन और मेक्सिकन पपीते बहुत प्रसिद्ध हैं। भारतीय
पपीते भी अत्यन्त स्वादिष्ट होते हैं। अलग-अलग
किस्मों के अनुसार इनके स्वाद में थोड़ी बहुत
भिन्नता हो सकती है।
१०० ग्राम पपीते में ९८ कैलरी, एक से दो ग्राम
प्रोटीन, एक से दो ग्राम रेशे तथा ७० मिग्रा लोहा
होता है साथ ही यह विटामिन सी और विटामिन बी का बड़ा
अच्छा स्रोत है। इन्हीं गुणों के कारण इसे
स्वास्थ्य के लिये सबसे लाभदायक फलों में से एक माना
जाता है। कच्चे पपीते में पपेन नामक एन्ज़ाइम पाया
जाता है। इस एनज़ाइम का उपयोग मीट टेन्डराइज़र में
किया जाता है। कच्चे पपीते को छील कर उसके छोटे-छोटे
टुकड़े कर के भी मांसाहार आसानी से गलाया जा सकता
है। यह एनज़ाइम पाचन तंत्र के लिये बहुत लाभदायक
होता है।
पपीता एक सर्वसुलभ और अत्यंत गुणकारी फल है पर यह
तोड़ने के बाद ज्यादा दिनों तक ताज़ा नहीं रहता इसलिए
ताजा पपीता खाना ही स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता
है।
पका हुआ पपीता छील कर खाने में बड़ा ही स्वादिष्ट
होता है। इसका गूदा पेय, जैम और जेली बनाने में
प्रयोग किया जाता है। कच्चे पपीते की सब्ज़ी टिक्की
और चटनी अत्यंत स्वादिष्ट और गुणकारी होती है। लौकी
के हलवे की तरह पपीते का हलवा भी बनाया जा सकता है
या इसके लच्छों को कपूरकंद की तरह शकर मे पाग कर भी
खाया जाता है।
सौन्दर्य प्रसाधनों में भी इसका प्रयोग होता है। पके
हुए पपीते का गूदा चेहरे पर लगाने से मुहाँसे और
झाँई से बचाव किया जा सकता है। इससे त्वचा का रूखापन
दूर होता है और झुर्रियों को रोका जा सकता है। यह
स्वाभाविक ब्लीच के साथ साथ त्वचा की स्निग्धता की
भी रक्षा करता है इस कारण चेहरे के दाग धब्बों को
मिटाने के लिये इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक है।
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