पुरालेख तिथि-अनुसार। पुरालेख विषयानुसार हिंदी लिंक हमारे लेखक लेखकों से
SHUSHA HELP // UNICODE  HELP / पता-

 १३. ७. २००९

इस सप्ताह- कदंब विशेषांक में
समकालीन कहानियों में - भारत से पारुल पुखराज की कहानी झूला पड़ा कदंब की डारी
फोन जमशेदपुर से था नरेन का, हमें लॉन वाला घर मिल गया है नीता, जल्दी आ जाओ फ़र्निश करने का बजट भी दो चार दिन में मिल जाएगा। मानो पंख लग गए थे मेरी आत्मा को कैसे तो जा पहुँचूँ और हरियाले टुकड़े को किस तरह अपनी बाहों में समेट लूँ। छुट्टियों में मायके आई थी दो हफ्ते के लिए लेकिन चार दिन में ही वापस भागी।  तीन साल से हम तिमंज़ले पर अटके थे और कंपनी के लॉनवाले पहली मंज़िल के फ्लैटों की ओर तरसती निगाहों से देखते। नया घर नए ब्लॉक में था यानि दो मंज़िल वाले खुले-खुले बंगलेनुमा मकानों की कतार और घने पेड़ों की छाया वाली चौड़ी सड़कों का वह दृश्य बार बार आँखों के सामने घूम जाता जो तीन साल के लंबे इंतज़ार के बाद अपना होनेवाला था। घर पहुँची तो ठगी सी रह गई। कार सड़क पर नहीं, चमेली से छाए नन्हें से पोर्टिको में जाकर रुकी। क्यारियों भर फूल और लॉन के गदबदे सौदर्य ने मन मोह लिया। पूरी कहानी पढ़ें-

*

पुष्पा भारती का संस्मरण
विरह विगलित कदंब

*

नीलांबर शिशिर का ललित निबंध
कदंब का रोम रोम अनुराग

*

संस्कृति में अर्बुदा ओहरी की कलम से
संस्कृति पर छाया कदंब

*

प्रकृति और पर्यावरण में प्रवीण का आलेख
उपयोगी ढंग कदंब के

*

पिछले सप्ताह

अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य
ओबामा ने मारी मक्खी

*

भगवानदास मोरवाल के उपन्यास रेत का अंश
महफिल

*

आज सिरहाने नरेंद्र नागदेव का कहानी संग्रह
वापसी के नाखून

*

फुलवारी में भेड़िये के विषय में
जानकारी, शिशु गीत और शिल्

*

कथा महोत्सव में पुरस्कृत- यू.एस.ए. से
रचना श्रीवास्तव की कहानी
कहानी पार्किंग
हवाओं में नया गीत था और चिडियों के कलरव में ताजगी। भास्कर देव भी अपनी मतवाली चाल में धीरे-धीरे ऊपर आ रहे थे। उनकी किरणे लाल से पीली होकर वातावरण को एक मोहक रूप प्रदान कर रही थी। नए देश में ये नई सुबह बहुत ही प्यारी लग रही थी। ओक्लाहोमा के अर्डमोर शहर में हमारी ये दूसरी सुबह थी। दीपक को यहाँ यूनिवर्सिटी में नौकरी क्या मिली हम सपनों के पंख लगा उड़ लिए और यहाँ आ गए। दो कमरों के इस अपार्टमेन्ट में सारी सुख सुविधाएँ थी। हरा भरा जीवन्त सा घर --माइक्रोवेव, ओवन, डिश वाशर, सब कुछ। सुंदर सी कार, क्या मजा था, जीवन में सुख की बूँदें मन आँगन में बरस रही थीं और मैं अपने भाग्य पर इतरा रही थी। शाम को बच्चे घर के बाहर खेलते और मैं भी उनके साथ उनकी मासूम खुशियों में शामिल हो जाती। मुझ वयस्क मन में फिर से एक नन्ही खुशी जागने लगी थी। घर से बाहर निकल कर डूबते सूरज को महसूस करना मुझको बहुत ही अच्छा लगता। पूरी कहानी पढ़ें-

अनुभूति में-
कदंब विशेषांक के रूप में कदंब के रसरंग में डूबी ढेर सी नई - पुरानी रचनाएँ।

रसोई सुझाव- आलू की कचौड़ी बनाते समय मसाले में थोड़ा बेसन भूनकर डाल दें। इससे कचौड़ी को बेलना आसान होता है और स्वाद भी बढ़ता है।

पुनर्पाठ में -  १ मार्च २००२ को प्रकाशित, पद्मा सचदेव की डोगरी कहानी का हिंदी रूपांतर
कल कहाँ जाओगी।

 

शुक्रवार चौपाल- बढ़ती हुई गर्मी, छुट्टियों के दिन और चौपाल में सन्नाटा सदस्यों में सुस्ती का वातावरण बनाते हैं। ...  आगे पढ़ें

सप्ताह का विचार- स्वयं प्रकाशित दीप भी प्रकाश के लिए तेल और बत्ती का जतन करता है, विकास के लिए निरंतर यत्न ही बुद्धिमान पुरुष के लक्षण है।


हास परिहास

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

पाठशाला में इस माह की कार्यशाला-३ का विषय है सुख-दुख इस जीवन में, नवगीतों का क्रमवार प्रकाशन जारी हैं।

अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

अभिव्यक्ति से जुड़ें   आकर्षक विजेट के साथ

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंगपर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
डाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसर

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

 

 
Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org

आँकड़े विस्तार में
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०