इस
सप्ताह
समकालीन कहानियों के अंतर्गत
भारत से अनिल रघुराज की कहानी
मियाँ तुम होते कौन
हो?
जतिन
गांधी का न तो गांधी से कोई ताल्लुक है और न ही गुजरात से। वह तो कोलकाता
के मशहूर सितारवादक उस्ताद अली मोहम्मद शेख का सबसे छोटा बेटा मतीन
मोहम्मद शेख है। अभी कुछ ही दिनों पहले उसने अपना धर्म बदला है। फिर नाम
तो बदलना ही था। ये सारा कुछ उसने किसी के कहने पर नहीं, बल्कि अपनी
मर्ज़ी से किया है। नाम जतिन रख लिया। उपनाम की समस्या थी तो उसे इंदिरा
नेहरू और फिरोज खान की शादी का किस्सा याद आया तो गांधी उपनाम रखना काफ़ी
मुनासिब लगा। वैसे, इसी दौरान उसे ये चौंकानेवाली बात भी पता लगी कि
इंदिरा गांधी के बाबा मोतीलाल नेहरू के पिता मुसलमान थे।
*
हास्य-व्यंग्य के अंतर्गत
मॉस्को से विनोद कुमार सिनंदी की रचना
आजकल के चमचे
यों तो रसोई में तरह-तरह के चमचे होते हैं, जैसे छोटा
चमचा, बड़ा चमचा -
खाना परोसने का चमचा, खाने का चमचा, मीठा खाने का चमचा, चाय में चीनी मिलाने का
चमचा आदि आदि... रसोई में इन चमचों की उपयोगिता एक गृहिणी ही बेहतर जान सकती है।
इसी तरह समाज में भी तरह-तरह के चमचों से आपका सामना हो सकता है। यहाँ चमचों के भी
चमचे होते हैं। ये बात सोलह आने सच है कि रसोई में चमचे जितने श्रेष्ठ हैं, समाज
में ये चमचे उतने ही पथभ्रष्ट हैं। आज के चमचों की ख़ासियत ये है कि समाज में अपना
बरतन ये स्वयं ढूँढ़ते हैं, और ये उस बरतन के लिए कितने उपयोगी हो सकते
है, ये भी स्वयं ही बताते हैं।
*
प्रौद्योगिकी में रविशंकर श्रीवास्तव से जानकारी
हिन्दी ब्लॉग: नए लेखक, नए तेवर, नई रचनाएँ
अगर
आप बकरी की लेंड़ी के ऊपर भाषा से अलंकृत कोई कविता लिखते हैं तो क्या आप
उम्मीद कर सकते हैं कि उसे कोई प्रकाशक या संपादक प्रकाशित करेगा? संभवतः
नहीं। परंतु निजी ब्लॉगों पर आप इस तरह की प्रयोग धर्मी रचनाओं को धड़ल्ले से
प्रकाशित कर सकते हैं और, न सिर्फ़ प्रकाशित कर सकते हैं, बल्कि आपकी इस नवीन
रचनाशैली के प्रशंसकों और पाठकों की कतारें भी लग सकती हैं। जिस कविता का
उदाहरण ऊपर दिया गया है, वो काल्पनिक नहीं है इसे मशहूर साहित्यकार और फ़िल्म
समीक्षक प्रमोद सिंह ने अपने ब्लॉग 'अजदक' पर लिखा हैं और बहुत से पाठकों ने
उत्साहजनक टिप्पणियाँ भी की हैं।
*
विज्ञानवार्ता में डॉ. गुरुदयाल प्रदीप का आलेख-
हमारी अपनी सुरक्षा प्रणाली और उसके जुझारू सैनिक
भाग-2
पिछले
अंक में आप का परिचय आप की सुरक्षा प्रणाली के न्युट्रोफिल्स, मोनोसाइट्स,
एवं नेचुरल किलर सेल्स जैसे उन योद्धाओं से कराया गया था जो नैसर्गिक तंत्र
का हिस्सा हैं, लेकिन इन सूरमाओं के रहते हुए भी आप पूरी तरह सुरक्षित नहीं
हैं। दुश्मन बडे ही चालाक होते हैं।बड़ी आसानी से इन सूरमाओं को धता बता देते
हैं।ऐसे चालाक दुश्मनों से निपटने के लिए ही प्रकृति ने हमें अर्जित सुरक्षा
प्रणाली से लैस कर रखा है। लिंफोसाइट्स इस सुरक्षा प्रणाली के प्रमुख योद्धा
हैं। न्युट्रोफिल्स एवं मोनोसाइट्स के समान ये भी एक प्रकार के ल्युकोसाइट्स
ही हैं। बस इनके काम करने का तरीका अलग और बुद्धिमत्तापूर्ण होता है।
*
साहित्य समाचार में-
|