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शाकाहारी भोजन में प्रोटीन का भंडार दालें
(जिन्हें नित्य खाना चाहिये
(संकलित)
८- काबुली
चना
स्वाद में नटी,
मिट्टी-से और मलाईदार।
काला चना और काबुली चना दो अलग-अलग प्रकार के चने हैं
जिनमें आकार, रंग, स्वाद और बनावट में अंतर होता है।
इसे छोले, चना मसाला, चाट, पुलाव और बिरयानी में इस्तेमाल
किया जाता है। डिब्बाबंद रूप तुरंत उपयोग किया जा सकता है,
जबकि सूखे चनों को रातभर भिगोना चाहिये।
काबुली चना फाइबर और प्रोटीन
से भरपूर होता है, जो वजन घटाने, ब्लड शुगर नियंत्रित
करने, हड्डियों को मजबूत करने और कब्ज से राहत दिलाने में
मदद करता है। काबुली चना का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता
है। इसलिए डायबिटीज के मरीज के लिए ये एक बेहद पौष्टिक
आहार है, इसके सेवन से ब्लड ग्लूकोज लेवल कम होता है। यह
हृदय को स्वस्थ रखता है, शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, और
पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है। इसमें मौजूद विटामिन और
मिनरल्स शरीर को कई तरह के पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
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दालों में मुख्य रूप से एल्ब्यूमिन और ग्लोब्युलिन जैसे
प्रोटीन पाए जाते हैं। ये प्रोटीन दालों में पाए जाने वाले
प्रमुख भंडारण प्रोटीन हैं, जो पौधे को पोषण प्रदान करते
हैं और मनुष्य की विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं में शामिल
होते हैं। दालों में पाए जाने वाले प्रोटीन की मात्रा
विभिन्न प्रकार की दालों में अलग-अलग होती है, इसके अतिरिक्त, बिना धुली छिलका दालें
या साबुत दालें
फाइबर, आयरन और आवश्यक अमीनो एसिड से भी भरपूर होती हैं,
जो मांसपेशियों के विकास, पाचन और हृदय स्वास्थ्य के लिए
लाभप्रद होते हैं।
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