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घर-परिवार जीवन शैली - स्वास्थ्य


शाकाहारी भोजन में प्रोटीन का भंडार दाले
(जिन्हें नित्य खाना चाहिये
(संकलित)


३- मूँग दाल धुली और मूँगदाल छिलका
स्वाद में हल्की और मक्खन जैसी।

यह मूंग दाल की छिलका उतरी और फोड़ी हुई पीली किस्म है।
इसे दलिया, दाल तड़का, चीला, पकौड़ा, वड़ा, पराठा और मिठाइयों (जैसे मूँग दाल हलवा) में प्रयोग किया जाता है। यह जल्दी पक जाती है और भिगोने की आवश्यकता नहीं होती। भारतीय व्यंजनों में खिचड़ी के लिये इसका प्रयोग सबसे अधिक होती है। इसे हल्का और पौष्टिक माना जाता है। यही कारण है कि बीमार व्यक्ति के पथ्य के लिये इसका बहुत महत्व है। मूँग के चीले बनते हैं जो काफी स्वादिष्ट और पाचक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार मूँग की दाल की तासीर ठंडी होती है। यह आसानी से पच जाती है और गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडा रखने में मदद करती है. इसका सेवन पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने और गर्मी से जुड़ी समस्याओं जैसे गैस, एसिडिटी और अपच से राहत दिलाने में भी सहायक है।

मूँग दाल छिलका
स्वाद में हल्की और मुलायम।

यह छिलके वाली मूँग दाल है—अंदर से सफेद और बाहर से हरी।
इससे मूँग चीला, मूँग डोसा, हांडवो, पराठा या पापड़ बनाए जाते हैं।
भिगोने की आवश्यकता नहीं होती और जल्दी पक जाती है।

प्रोटीन, फाइबर, और कई आवश्यक विटामिन और खनिजों का एक उत्कृष्ट स्रोत यह दाल वजन घटाने, पाचन में सुधार, और हृदय स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। इसमें उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन में सुधार करता है, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, और वजन घटाने में मदद करता है।
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दालों में मुख्य रूप से एल्ब्यूमिन और ग्लोब्युलिन जैसे प्रोटीन पाए जाते हैं। ये प्रोटीन दालों में पाए जाने वाले प्रमुख भंडारण प्रोटीन हैं, जो पौधे को पोषण प्रदान करते हैं और मनुष्य की विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं में शामिल होते हैं। दालों में पाए जाने वाले प्रोटीन की मात्रा विभिन्न प्रकार की दालों में अलग-अलग होती है, इसके अतिरिक्त, बिना धुली छिलका दालें या साबुत दालें फाइबर, आयरन और आवश्यक अमीनो एसिड से भी भरपूर होती हैं, जो मांसपेशियों के विकास, पाचन और हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होते हैं।

१. . . . . . . . . १०. ११. १२.

१ मार्च २०२४

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