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शाकाहारी भोजन में प्रोटीन का भंडार दाले
(जिन्हें नित्य खाना चाहिये
(संकलित)
२- उड़द दाल
धुली और उड़द दाल छिलका
स्वाद में हल्की और मलाईदार।
यह उड़द दाल का छिलका उतारकर
फोड़ा हुआ रूप है। छोटी, लंबी और सफेद क्रीमी रंग की इस
दाल का उपयोग दक्षिण भारतीय व्यंजनों- डोसा, इडली, वड़ा
आदि के बैटर में किया जाता है। साथ ही तड़के में भी इसे
डाला जाता है, जिससे व्यंजन कुरकुरे और स्वादिष्ट बनते
हैं।
इसे बिना भिगोए भी पकाया जा
सकता है। उत्तर भारत का लोकप्रिय व्यंजन और चाट का एक
प्रमुख सहयोगी दही बड़ी भी उड़द की दाल से ही बनाया जाता
है। लगभग सौ ग्राम उड़द में लगभग चौबीस पचीस ग्राम प्रोटीन
होता है। उड़द दाल प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, आयरन
और कैल्शियम का अच्छा स्रोत है।
उड़द
दाल छिलका
यह उड़द दाल का फोड़ा हुआ
रूप है जिसमें छिलका मौजूद रहता है। बाहर से काला और भीतर
से सफेद। इसका स्वाद धुली उड़द से कहीं ज्यादा गहरा होता
है। इसे आमतौर पर मसालेदार दाल के रूप में पकाया जाता है
या भिगोकर बैटर बनाया जाता है। पकाने से पहले केवल 30 मिनट
भिगोना चाहिए।
यह दाल विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, कैल्शियम, मैग्नीशियम,
पोटेशियम, और आयरन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जो
हड्डियों को मजबूत बनाने, ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने, और
हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करती है। उड़द दाल
छिलका में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट सूजन को कम करने और पुरानी
बीमारियों के जोखिम को कम करने में भी सहायक होते हैं।
उड़द दाल का छिलका अपने कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना
जाता है। इसमें वसा और कैलोरी कम होती है, जिससे पाचन
क्रिया बेहतर होती है और वज़न नियंत्रित रहता है।
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दालों में मुख्य रूप से एल्ब्यूमिन और ग्लोब्युलिन जैसे
प्रोटीन पाए जाते हैं। ये प्रोटीन दालों में पाए जाने वाले
प्रमुख भंडारण प्रोटीन हैं, जो पौधे को पोषण प्रदान करते
हैं और मनुष्य की विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं में शामिल
होते हैं। दालों में पाए जाने वाले प्रोटीन की मात्रा
विभिन्न प्रकार की दालों में अलग-अलग होती है, इसके अतिरिक्त, बिना धुली छिलका दालें
या साबुत दालें
फाइबर, आयरन और आवश्यक अमीनो एसिड से भी भरपूर होती हैं,
जो मांसपेशियों के विकास, पाचन और हृदय स्वास्थ्य के लिए
लाभप्रद होते हैं।
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