रेस्तरां सचमुच सुरुचिपूर्ण था। इसका डिजाइन अबरोल के एक
आर्किटेक्ट मित्र सैबी (रबजीत) ने किया था। सैबी एक उम्दा
कलाकार भी था, मगर इस देश में उसे काम के नाम पर बस
कंडक्टरी हासिल हुई थी। उसने अबरोल की इच्छा के अनुरूप
रेस्तरां में एक नन्हा सा पंजाब खड़ा कर दिया था। प्रत्येक
टेबिल पर फूलदान में गेहूँ की सुनहरी बालियाँ सजायी गयी
थीं। सुनहरी बालियों में गेहूँ के मोटे मोटे दाने मनको की
तरह दिखायी पड़ते थे। सामने की दीवार पर एक खटिया जड़ दी
गयी थी, जिसे मूँज की रस्सी से कसा गया था। एक दीवार पर
फिल्म बरसात का बड़ा सा पोस्टर लगा था। राजकपूर और नर्गिस
एक छाते के नीचे खड़े थे। एक जगह दीवार के बीचों बीच एक
छोटी सी कारनिस बनायी गयी थी। कारनिस पर पचासों साल पुराने
पारिवारिक चित्र थे, बीच में एक गोल अलार्म क्लाक था।
तस्वीरें और उनके फ्रेम सचमुच पचास साल पुराने थे और पंजाब
से मंगवाये गये थे। सीधे पल्ले में एक अत्यंत सुंदर महिला
की तस्वीर थी। तस्वीर का कागज बहुत पुराना पड़ चुका था,
मगर महिला का सौन्दर्य उन मैले कागज से किरणों की तरह फूट
रहा था। वह किसी की भी दादी, पड़दादी या नानी हो सकती है।
हर आदमी अनायास ही पूछ बैठता, यह किसका चित्र है। दीवारों
पर कहीं कहीं उर्दू, हिन्दी और पंजाबी में कुछ रोचक बातें
बड़े बड़े अक्षरों में लिखी हुई थीं— जैसे आनेस्टी इज द
बेस्ट पालिसी। सत्यमेव जयते। जैसा करोगे, वैसा भरोगे। कहीं
कहीं पुराने टायर भी लटके हुए थे। हाल में दो तीन लालटेनें
भी लटक रही थीं। वे बाकायदा जलायी जाती थीं। उनकी चिमनियाँ
भी साफ की जाती थीं। किसी पंजाबी ढाबे और मध्यवर्गीय
परिवार के वातावरण को साकार करने की कोशिश की गयी थी।
आमंत्रित लोग आसन ग्रहण करने से पहले किसी संग्रहालय की
तरह रेस्तरां का अवलोकन कर रहे थे। एक कोने में स्वामी जी
अपने भक्तों से घिरे हुए खड़े थे और रेस्तरां की प्रशंसा
कर रहे थे। अबरोल ने सुना तो स्वामी जी का चरण स्पर्श कर
उनका आशीर्वाद लिया। उसकी कोशिश थी कि स्वामी जी को जिम से
सम्मानजनक फासले पर रखा जाए। वह चाहता था कि कुछ जगजाहिर
शाकाहारियों के बीच उन्हें स्थापित कर दे ताकि मांसाहारी
बगैर किसी कुंठा के भोजन कर सकें। उसने स्वामी जी को एक
टेबिल पर स्थापित कर दिया तो बोला, "मुझे मालूम है स्वामी
जी कि आप दिन में अन्न ग्रहण नहीं करते। आपके लिए विशेष
रूप से फलाहार का प्रबंध किया गया है।''
स्वामी जी यह सोच कर गदगद हो गये कि भक्त लोग उनका कितना
ध्यान रखते हैं। उन्होंने अबरोल के सिर पर हाथ फेरते हुए
कहा, "बच्चा, अभी तुम बहुत तरक्की करोगे। जितना शाकाहार का
प्रचार करोगे, उतना ही ऊपर जाओगे। इस रेस्तरां में गोमांस
के प्रवेश को वर्जित रखना।''
"जी स्वामी जी। एक दिन मेरा रेस्तरां इस देश का सबसे
प्रसिद्ध शाकाहारी रेस्तरां होगा।'' अबरोल ने अत्यंत चालाक
उत्तर दिया। स्वामी जी भी नादान न थे, वह उसकी व्यावसायिक
विवशताओं को समझ रहे थे। वह वैसे भी मांसाहारियों से दूर
ही बैठना चाहते थे।
शीनी जिम से बात करते करते उसी की टेबिल पर बैठ गयी। बगल
की टेबिल पर जिम के स्टाफ के लोग बैठ गये। जिम ने अबरोल को
बुलाया और बोला कि स्वामी जी कहाँ हैं। उन्हें यहाँ लाइए।
"दरअसल स्वामी जी शाकाहारी हैं। मैंने आपके लिए पेशावरी
मुर्ग मुसल्लम तैयार करवाया है।''
"नहीं, नहीं, वह फिर किसी दिन। आज शाकाहारी भोजन ही चलेगा,
स्वामी जी के साथ।''
अबरोल भाग कर स्वामी जी को बुला लाया। जिम ने प्यारा सिंह
को भी बुलवा लिया।
"इस शख्स को चुनाव में हराना बहुत मुश्किल होगा।'' अबरोल
ने हरदयाल से कहा, "हण्ड्रेड परसेण्ट पालिटिकल आदमी है।''
"शीनी तुम हमारे लिए दुभाषिये का काम करोगी।'' स्वामी जी
ने कहा, "मुझे तो गोरों की आधी बातें समझ में ही नहीं
आतीं।''
"आपको मुझसे बेहतर दुभाषिये मिल जाएँगे। मुझे तो कई बार
अपने माता पिता की बातें ही समझ में नहीं आतीं।''
"इसी को जेनरेशन गैप कहते हैं।'' जिम बोला।
सबने जोरदार ठहाका लगाया।
"शीनी तुम्हारा उच्चारण बहुत अच्छा है। शत प्रतिशत
कैनेडियन।''
अबरोल पीछे खड़ा था, बोला, "शीनी का फ्रेन्च का उच्चारण
सुनेंगे तो इसके फ्रांसीसी होने का भ्रम हो जाएगा। फ्रेन्च
सीखने यह पेरिस गयी थी।''
"वाऊ।'' जिम ने तारीफ भरी नजरों से शीनी की तरफ देखा।
"मैं फ्रेन्च क्लब की सदस्या थी जिसके कारण मुझे लो बजट
फील्ड ट्रिप पर पैरिस जाने का अवसर मिला। आज यह सोच कर
आश्चर्य होता है कि फ्रेन्च क्लब मांट्रियाल और क्यूबैक
क्यों नहीं भेजता, जबकि मांट्रियाल विश्व का दूसरा बड़ा
फ्रेन्च स्पीकिंग शहर है।''
"दरअसल अपने देश को लोग उतना फ्रांसीसी नहीं मानते।'' जिम
ने कहा।
सबने एक हल्का सा ठहाका लगाया। यह खुशामद करने का एक शिष्ट
तरीका था। जिम जहाँ भी बैठता, कुछ कुछ देर के बाद हल्के,
कुलीन और मधुर ठहाके उठते रहते। अबरोल बोला, "मेरा बेटा
तीन बरस से फ्रेन्च पढ रहा है। मगर अभी तक केवल इतनी
फ्रेन्च सीख पाया है कि टैक्सी ड्राइवर को रास्ता बता सकता
है या किसी फ्रेन्च स्टोर से सामान खरीद कर ला सकता है।''
"फ्रेन्च सीखने का एक और फायदा है। आप अमरीकियों की
उपस्थिति में गुप्त रूप से बातचीत कर सकते हैं।'' शीनी ने
कहा।
"न जाने कैनेडा पर फ्रेन्च क्यों थोप दी गयी है।'' अबरोल
ने कहा। दरअसल उसका बेटा फ्रेन्च लड़की पर फिदा था, उससे
शादी करने पर आमादा था जबकि सरोज और अबरोल दोनों चाहते थे
कि उनका इकलौता वारिस किसी प्रवासी भारतीय से शादी करे।
जहाँ मौका मिलता वह फ्रेन्च और फ्रांसीसियों की आलोचना में
जुट जाता।
"आप फ्रेन्च से इतना खफा क्यों हैं?'' जिम ने कहा, "देश की
एकता बनाये रखने के लिए फ्रेन्च को दूसरी राजभाषा के रूप
में मान्यता देना जरूरी था।''
"हम लोगों के रोजमर्रा के जीवन में फ्रेन्च का कोई महत्व
नहीं है। दवा की शीशी तक में दो भाषाओं में हिदायतें पढ कर
मुझे कोफ्त होने लगती है।''
"अगर कैनेडा द्विभाषी राष्ट्र न होता तो इसका विघटन हो
चुका होता। आज नार्थ अमरीका का दूसरा मानचित्र होता। देश
की अखंडता के लिए यह कमाल की रणनीति थी। कहा नहीं जा सकता,
यह इंटेशनल थी या एक्सीडेण्टल।''
"आपकी बातचीत से मुझे कोक का प्रसंग याद आ रहा है।'' शीनी
बोली, "१९८५ में कोका कोला ने जब अपना फार्मूला बदला और
कोक क्लासिक बाजार में उतारा तो पूरे विश्व में इसे लेकर
तरह तरह के कयास लगाये गये। किसी ने कहा कि यह कोक का
बिक्री बढाने का नया करतब है। किसी ने कहा कि कोक का
फार्मूला 'लीक' हो गया था, इसलिए कोक के लिए कुछ नया करना
जरूरी हो गया था। जब कोक से इस बारे में बयान देने को कहा
गया तो कोक ने बहुत दिलचस्प जवाब दिया— "वेल वी आर नाट दैट
स्मार्ट एंड वी आर नाट दैट स्टुपिड।'' यही जवाब कैनेडा के
द्विभाषी होने के प्रश्न पर दिया जा सकता है।
"शीनी तुम तो गजब की पोलिटिशियन हो। क्यों नहीं हमारी
पार्टी में शामिल हो जाती?''
"आइडिया बुरा नहीं है।'' अबरोल ने कहा, "जिम का समर्थन मिल
जाए तो टिकट भी पा सकती हो।''
अब स्वामी जी के सक्रिय होने की बारी थी। उन्होंने शीनी का
हाथ थाम लिया और रेखाओं का अध्ययन करते हुए भविष्यवाणी
शुरू कर दी, "सत्ताईस साल की उम्र में तुम चुनाव लड़ोगी।
तुम्हारे हाथ में मंत्रीपद हासिल करने का भी योग है।
तुम्हारी शादी भारतीय मूल के एक होनहार नवयुवक से होगी। वह
शादी के बाद बहुत तरक्की करेगा और यहाँ का नामी उद्योगपति
बन जाएगा। दो संतानें होंगी। लड़का लास एँजिल्स में जा
बसेगा और लड़की भारत में। तुम पूरे विश्व का भ्रमण करोगी।
लोग तुमसे ईष्र्या करेंगे।''
"ओ नो स्वामी जी। मैं आपकी तरह नहीं सोचती।'' शीनी ने अपना
हाथ छुड़ाते हुए कहा। स्वामी उसकी हथेली पर अपनी गोरी और
भारी अंगुलियाँ फेर रहा था और उसे गुदगुदी हो रही थी।
"तुम्हारे सोचने न सोचने से क्या होगा। तुम्हारा भाग्य ऐसे
ही संकेत दे रहा है।''
"स्वामी जी, मुझे डराइए नहीं। मैं अपनी तरह से जिन्दा रहना
चाहती हूँ। पालिटिक्स इज नाट माई कप आफ टी।''
"फ्रेन्च और अंग्रेजी में से तुम्हें कौन सी भाषा पसंद
है?'' जिम अंग्रेजी फ्रांसीसी सम्बंधों के बारे में नयी
पीढी के विचार जानना चाहता था।
"यकीनन अंग्रेजी। मगर इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता कि
जो ग्लैमर फ्रेन्च में है, वह अंग्रेजी में नहीं।'' शीनी
ने कहा, "लड़कपन में मैं फ्रांस में जा बसने की सोचा करती
थी।''
"तुमने कैसे मान लिया कि तुम्हारा लड़कपन गुजर चुका है।''
जिम ने फ्रांसीसी में कहा, "मैं तो लड़कपन को जीवन का
सुंदरतम हिस्सा मानता हूँ। क्या फ्रांस में जा बसने के
बारे में अब भी सोचती हो?''
"नहीं, अब मैं किसी छोटे शहर में बसना पसंद करुँगी।''
"आई थिंक, वी आल नो देयर इज ए स्माल टाउन इन ईच आव अस।''
मेज पर सूप और सलाद परसे जा रहे थे। लोगों ने टूँगना शुरू
कर दिया था। स्वामी जी के सामने चाँदी के एक बड़े से कटोरे
में फलाहार आ गया था। चाँदी का ही छुरी काँटा था। कैनेडा
में पपीता देख कर स्वामी जी की भूख चमक उठी। उन्होंने
काँटे से अंगूर उठाने की मशक्कत शुरू कर दी, मगर अंगूर
बहुत चंचल था। काँटे का स्पर्श पाते ही मचल उठता। थोड़ी
देर में वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि वह पपीते के अलावा
काँटे से कुछ भी न खा सकेंगे। उन्होंने अपनी मोटी गर्दन
घुमा कर चारों तरफ का जायजा लिया, लोग खटाखट छुरी काँटे का
इस्तेमाल कर रहे थे। जिम के सामने कई तरह के सलाद परोसे
गये थे, मगर वह चुपचाप जूस पी रहा था, शीनी सूप पी रही थी।
स्वामी जी ने खोज निकाला, उनके सामने भी जूस का गिलास रखा
था। उन्होंने फ्रूट सलाद से उलझना बंद किया और एक ही घूँट
में संतरे का जूस उदरस्थ कर लिया। शीनी को लगा कि स्वामी
जी को जूस पसंद आया है, उसने बैरे को बुला कर हिदायत दी कि
स्वामी जी के लिए और जूस लाये। स्वामी जी शीनी के सिर पर
हाथ फेरते हुए आशीर्वाद देने लगे। बोले, "बिटिया बहुत
समझदार है, उड़ती चिडिया को पहचान लेती है।''
स्वामी जी को फलाहार करते हुए आभास हुआ कि इस गोरे को
फलाहार का महत्व बताना चाहिए। हजारों प्रवासी भारतीय उसके
मतदाता हैं, उसे मालूम रहना चाहिए कि नवरात्रि के दौरान
लोग फलाहार क्यों करते हैं। उन्होंने शीनी से कहा कि वह
उनके प्रवचनों का अंग्रेजी में अनुवाद करती जाए।
शीनी की न नवरात्रि में दिलचस्पी थी न फलाहार में। उसने
फ्रेन्च में जिम को अपनी समस्या बतायी और बोली, "इससे कहीं
अच्छा है हम लोग फ्रेन्च बोलने का अभ्यास कर लें।''
जिम ने शीनी की बात का न समर्थन किया और न विरोध। वह
राजनीतिक व्यक्ति था, स्वामी जी के शिष्य समुदाय के
राजनीतिक महत्व को समझता था। उसने मुस्करा कर स्वामी जी की
तरफ देखा और ऐसा अभिनय करने लगा जैसे स्वामी जी बहुत ही
अमूल्य गुरुमंत्र उसे दे रहे हों और जिसे पाकर वह बहुत
धन्य अनुभव कर रहा है। जिम स्वामी जी की तरफ देख कर सिर
हिला रहा था, जबकि शीनी उसे अपने पेरिस के संस्मरण सुना
रही थी। क्युबेक की भी बहुत सी बातें उसे याद आ रही थीं।
वह सचमुच कैनेडा का पैरिस है। गिरजाघरों को देखते हुए कैसे
उसने घोड़ागाड़ी में पूरी शाम बितायी थी। ला कैरावला नाम
का छोटा सा रेस्तरां वह आज भी नहीं भूली जहाँ उसने नफासत
से परोसा गया लजीज खाना खाया था। रात को घोड़ागाड़ी पर
चलते हुए परीलोक का आभास होता था। उसने उगते सूरज को भी
देखा था, वे सिन्दूरी सुबहें फिर देखने को न मिलीं। प्यार
की धुन भी सुनी थी और अपना पोर्ट्रेट भी बनवाया था। वहाँ
की खामोश नदी देखते देखते दो महीनों में बर्फ की सिल की
तरह जम गयी।
जिम स्वामी जी और शीनी की तरफ देख कर आभास दे रहा था कि वह
दोनों को सुन रहा है। उसने अपने सेक्रेटरी को बुला कर कहा
कि वह शीनी और स्वामी जी का पता और काँटेक्ट नम्बर नोट कर
ले। उसने दोनों को अपना विजिटिंग कार्ड भी दिया, जो वह
बहुत कम लोगों को देता था। |