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निक दोनों बहनों के साथ भीतर पहुँचा तो उसने देखा सोफे पर सिर टिकाये कोई महिला बैठी थी। उसके बालों की चोटी सोफे के पीछे झूल रही थी। काले स्याह बाल उसे हमेशा आकर्षित करते थे। निक ने देखा शीनी के बाल थोड़े भूरे और थोड़े काले थे। उसकी तेज इच्छा हुई कि शीनी के बालों को चूम ले, मगर वह जानता था कि यह एक अव्यवहारिक और बेमौके का भाव था।
इन लोगों की आवाज सुन कर भी सोफे पर टिका सिर उसी प्रकार स्थिर बना रहा। शीनी ने माँ के सामने जाकर कहा, "मॉम देखो कौन आया है।''
माँ उसी तरह तनी हुई बैठी रही। निक ने आगे बढ़ कर उसका चरण स्पर्श किया। उसने अनेक हिन्दुस्तानियों को बड़े बूढों के चरण स्पर्श करते देखा था। वह माँ के कदमों के पास ही आलथीपालथी मार कर बैठ गया। माँ के चेहरे का तनाव कुछ कम हुआ। उसने धीरे से कहा, "जीते रहो।''
नेहा ने एक कुशल दुभाषिये की शैली में निक को बताया कि माँ कह रही हैं कि जीना चाहो तो जीते रहो।
"डोण्ट मिसइंटरप्रेट नेहा।'' शीनी ने कहा, "निक माँ तुम्हारी लम्बी उम्र के लिए दुआ कर रही हैं।''
"माँ, बाहर जाकर देखें, निक ने लान की कितनी सफाई कर दी है। जब तक आप सो रही थीं, इसने महीनों से स्थगित रेकिंग और मोईंग कर दी है।''
"इसने नाहक ही इतनी मेहनत की, कुछ दिनों में फिर झाड़ झंखाड़ उग आयेंगे।'' माँ ने कहा।
"रेकिंग और मोईंग के लिए माँ आभार प्रकट कर रही हैं।'' शीनी ने हँसते हुए बताया और अपनी तरफ से यह जोड़ दिया कि माँ की इच्छा है कि हर सप्ताह आकर यह काम कर दिया करो। वह डैडी से बात करके तुम्हारा पारिश्रमिक तय कर देंगी।''
इस बात पर दोनों बहनों ने ठहाका लगाया।
"क्या हिड़ हिड़ लगा रखी है।'' शील को बिटिया की निक से इतनी निकटता अच्छी न लग रही थी। वह अनेक बार उसे समझा चुकी थी कि उसे लड़कों से एक दूरी बना कर रखनी चाहिए। शील को शीनी की यह बात निहायत नागवार गुजरती कि वह लड़कों के बीच लड़कों की तरह पेश आती।
हिड़ हिड़ का अर्थ दोनों बहनें समझती थीं। बेशर्मी से हँसना।
"माँ निक तुम्हारे हाथ के बने चीज पकौड़े खाना चाहता है। मेरे टिफिन से कई बार चुरा कर खा चुका है। वह पकौड़े बनाने की विधि भी सीखना चाहता है।'' शीनी ने कहा।
पकौड़े का जिक्र सुन कर निक उत्साहित हो गया, "यस पकोरा, पकोरा।''
शील ने पहली बार नजर उठा कर निक की तरफ देखा। उसे लड़का खूबसूरत और तेजस्वी लगा। आँखों में एक खास तरह की निश्छलता भी थी। उसके पूरे व्यक्तित्व में नाममात्र की भी उदंडता न थी, जो इस उम्र के लड़कों में अक्सर दिखायी देती है। काश, यह एक हिन्दुस्तानी लड़का होता। उसने मन ही मन निक का नया नामकरण भी कर लिया— नकुल।
शील उठी और रसोई में जाकर बेसन घोलने लगी। निक भी जूते उतार कर पीछे पीछे रसोई में घुस गया। शीनी ने सरसों के तेल की कडाही आँच पर चढा दी। नेहा घर में बनाये गये पनीर के एक एक इंच के टुकड़े काटने लगी। वह आँखों देखा हाल भी बताती जा रही थी। निक ने जेब से छोटी सी नोटबुक निकाल ली थी और व्यंजन विधि लिखने लगा। शील ने बडी सफाई से पनीर के टुकडों को बेसन में भिगो कर कडाही में छोड़ दिया। तेल में तैरते पकौड़े। चट चट करने लगे। पकौड़े अच्छी तरह से तल गये तो शीनी ने बड़े से झन्ने से पकौड़े समेट लिये और कडाही में तेल निथारने लगी।
"बेसन की जितनी महीन पर्त रहेगी, पनीर पकौड़े उतने ही कुरकुरे और स्वादिष्ट बनेंगे।'' शील ने शीनी को बताया। वह चाहती थी, निक यह गुर भी अपनी नोटबुक में दर्ज कर ले।
पकौड़े तैयार हो गये तो शील एप्रिन उतार कर उसी सोफे पर उसी जगह बैठ गयी।
"लगता है यह मॉम की पसंदीदा जगह है।'' निक ने कहा।
"वह नाराज होती हैं तो यहाँ बैठती हैं।''
"क्या आप नाराज हैं?''
"नहीं, नहीं, बेहद खुश हैं। तुम देख नहीं रहे?'' शीनी बोली।
"इनको कैसे प्रसन्न किया जा सकता है?''
"यह तो मेरे डैड भी नहीं जानते।''
नेहा एक ट्रे में पकौड़े, प्लेटें और टोमेटो कैचप की बोतल उठा लायी। मेज पर ट्रे रखते हुए उसने कहा, "निक, यह कैचप मॉम ने खुद तैयार की है।''
निक ने टाँग्स से कुछ पकौड़े उठा कर एक प्लेट में रखे और बहुत सी कैचप उड़ेल ली। वह कैचप से पकौड़े छुआ कर खाने लगा। कैचप उसे बहुत ताजा लगी, टोमेटो प्यूरी की तरह। कुछ देर बाद वह पकौड़े छोड़ कर अंगुली से कैचप चाटने लगा, "यह तो लाजवाब है।''
"मॉम देखो निक तुम्हारी बनायी कैचप कैसे चाट रहा है।''
मॉम ने उसकी तरफ देखा तो मुस्करा दी। अचानक उसे निक पर बहुत लाड़ आया, मगर उसने अपनी भावनाएँ प्रकट न होने दीं। उसकी हमेशा से यह धारणा रही है कि अजनबियों को ज्यादा मुँह नहीं लगाना चाहिए।
"निक जाने लगे तो उसे कैचप की एक बोतल दे देना।'' शील ने कुछ रुक कर कहा, "रेकिंग और मोईंग का कुछ मेहनताना तो उसे मिलना ही चाहिए।''
नेहा ने निक को मॉम की बात का पूर्वार्द्ध ही बताया। निक बच्चों की तरह शील से चिपट गया, "माई स्वीट मॉम।'' उसने भावातिरेक में शील का बोसा भी ले लिया।
शील को गाल पर अजीब तरह की सिहरन और चिपचिपाहट महसूस होने लगी। जैसे कोई परिन्दा अपने परों से उसके गाल छू गया हो। शील के पास आशीर्वाद देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उसने निक के सिर पर हाथ फेरते हुए आशीष दी। यह सोच कर शील अस्तव्यस्त होने लगी कि अगर निक को थोड़ी सी बात पर खुश होकर लिपटने और चूमाचाटी करने की आदत है तो अब तक सैकडों बार शीनी का चुम्बन ले चुका होगा। यह सोच कर ही वह पुन: तनावग्रस्त हो गयी और तन कर बैठ गयी।
"अंग्रेजों की यह छूनेछुआने की और चूमाचाटी करने की बहुत बुरी आदत है।'' शील बुदबुदायी, "इन्हें जरा भी तमीज नहीं है कि औरतों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।''
शील का पारा चढ़ता चला गया। लड़कियाँ भी समझ रही थीं कि माँ क्यों अचानक व्यग्र हो गयी हैं। माँ को यह समझाना बहुत कठिन था कि यहाँ शिष्टाचारवश भी चुम्बन लिया जाता है और एक दूसरे को छूकर बात करना एक सामान्य सी बात है, आत्मीयता प्रदर्शित करने का सबसे सरल उपाय। इस मामले में हिन्दुस्तानी बहुत अर्थ खोजता है। इस दृष्टि से तो वह फ्रायड का बाप है। हो सकता है माँ उतनी पिछड़ी मानसिकता की न हों, जितना वे समझ रही हैं। हो सकता है इतने वर्ष इस मुल्क में रहते रहते और टी .वी .देखते देखते चीजों को समझने लगी हों और समझ कर भी न समझना चाहती हों। यहाँ चैनल बदलते बदलते भी चुम्बन और लिपटने लिपटाने के दृश्य दिख ही जाते हैं। कई बार तो सार्वजनिक स्थानों पर दुनिया जहान से बेखबर तन्मयता से एक दूसरे से लिपटे और एक दूसरे के होंठ चूसते युगल दिख जाते हैं। लोग उस तरफ ज्यादा तवज्जो भी नहीं देते, मुस्करा कर पास से गुजर जाते हैं।
"टी.वी. देख कर तो लगता है, यहाँ के लोगों को इसके अलावा कोई काम ही नहीं है।'' बच्चों की उपस्थिति में शील पाँच सात मिनट भी टी.वी. न देख पाती। रिमोट पटक कर उठ जाती। कई बार तो वह आश्चर्य प्रकट करती कि ये लोग खेलते कूदते इतनी तरक्की कर गये और बच्चे भी ज्यादा पैदा नहीं हुए और दूसरी तरफ हिन्दुस्तानी हैं, इतने संयम और अनुशासन में रहने के बावजूद इतना वैभव न बटोर पाये, बच्चों की कतारें अलग लग गयीं।
शीनी कहना चाहती कि माँ इसका यही अर्थ निकलता है कि जहाँ खुलापन है, सैक्स है, मौजमस्ती है, वहीं दौलत है। जहाँ संयम है, वहाँ गरीबी है, जनसंख्या का विस्फोट है। वह प्रकट रूप से कहती, "माँ, यह इसलिए है कि हम लोगों में दुमुँहापन है। हम लोग पन्नालाल हैं।''
पन्नालाल डैड के एक दोस्त का नाम था। उसने छल कपट और धोखेबाजी से उनका बहुत सा धन मार लिया था। तब से इस घर में हर दुमुँहा और कपटी शख्स इसी नाम से पुकारा जाता था।
"अगली बार मैं आऊँगा तो अपने हाथ से आप सब को पकोरा बना कर खिलाऊँगा। कुकिंग मेरी हाबी है।'' निक ने घोषणा की।
"मेरी मानो, एम्ब्रायडरी भी सीख लो।'' शीनी ने कहा, "जिन लोगों की शादी में विलम्ब होने लगता है वे समय काटने के लिए ऐसे शौक पाल लेते हैं।''
माँ के अलावा सब लोगों ने ठहाका लगाया। निक ने विदा लेते समय एक बार फिर शील के पाँव छुए और हाथ हिलाता हुआ बाहर निकल गया। शीनी ने दरवाजे तक जाकर विदा दी और निक की गाड़ी स्टार्ट होते ही भीतर लौट आयी। माँ के सवालों से बचने के लिए वह सीधी अपने कमरे में घुस गयी।
शील भी सोफे से उठी और रसोई की तरफ चल दी। वह कुर्सी पर बैठ कर आलू छीलने लगी।

चौबीस घंटे बीतने पर भी प्रभु ने ई मेल का उत्तर नहीं भिजवाया तो हरदयाल की बेचैनी बढने लगी। वह चाहता था कि नेहा की उपस्थिति में जवाब आ जाए ताकि सलाह मश्वरा करके आगे की रणनीति तैयार की जाए। आखिर उसने प्रभु को फोन मिलाया।
"भराजी नमस्ते।'' प्रभु ने लाइन पर आते ही बताना शुरू किया, "अभी शाम को प्रपन्नाचार्य जी से भेंट हो पायी। शीनी की जन्मपत्रिका उन्होंने बाँच ली है आप चिन्ता न करें, सब ठीक हो जाएगा।''
"सही सही बात बता, उन्होंने क्या कहा।''
"सही बता रहा हूँ भराजी। आप घबरायें नहीं।'' प्रभु ने बताना शुरू किया, "कितनी भी खराब ग्रह दशा क्यों न हो, उसे शांत करने के उपाय भी शास्त्रों में मौजूद हैं।''
"उपाय शुपाय बाद में बताना। पहले यह बताओ कि पत्री क्या बोलती है?''
"भराजी, पत्री में और तो सब ठीक है, मगर दाम्पत्य सम्बंधों पर कुछ क्रूर ग्रहों की दृष्टि है। आचार्य जी ने बताया कि सप्तम स्थान पर शनि और मंगल की पूर्ण दृष्टि पड़ रही है। शुक्र सप्तम स्थान पर स्वगृही है, राजयोग कारक है। उच्च का शनि भी राजयोग बनाता है। शनि की महादशा में शुक्र का अंतर और मंगल का प्रत्यंतर चल रहा है। शनि और शुक्र दोनों बली हैं, दोनों में एक निर्बल होता तो यह संकट उत्पन्न न होता। शनि शुक्र की दशा अंतर्दशा में राजा भी रंक हो जाता है। यह समय निकल जाए तो आगे कोई खतरा नहीं।''
"ओ कब तक रहेगा यह खतरा?''
"जब तक शनि में शुक्र चल रहा है।''
"कब चलेगी यह अंतर्दशा?''
"दो महीने पहले ही तो शुरू हुई है। तीन साल तक चलेगी। आप परेशान न हों। आचार्य जी ने कुछ उपाय बताये हैं।''
"जैसे?''
"कुछ धार्मिक उपचार हैं।''
"शिव जी की आराधना तथा प्रदोष व्रत और शीनी को नीलम धारण करायें।''
"यह सब कुछ नहीं करना उसने।'' हरदयाल ने पूछा, "कोई ऐसा उपाय नहीं बताया जो हम कर सकें।''
"जब तक मंगल का प्रत्यंतर है आप मंगल के मंगल काली गाय को गुड़ की रोटी खिलायें। काले कौवों को काले तिल का चुग्गा खिलायें। पीपल को जल चढ़ाने से भी शनि देवता शांत होते हैं।''
"तू तो पागलाँ वाली गलाँ कर रेयाँ एँ। ऐ, ऐत्थे कित्थे मिलेगा पीपल दा पेड़, अलबत्ता काली गाय जरूर मिल सकती है।''
"भरा जी बंदर मिल जाएगा?''
"क्यों?''
"बंदर को गुड़ चना खिला सकते हैं। भाभी से कहें, सुंदर कांड का पाठ रखवा दें। अब तो कैसेट भी मिलने लगे हैं, कहें तो भिजवा दूँ।''
"सुंदर कांड के कैसेट तो यहाँ घर घर में हैं। तुम्हारी भाभी हर मंगल को सुंदर कांड सुनती है, व्रत करती है। फिर गलती कहाँ हो गयी?''
"सब कर्मों का फेर है भराजी।'' प्रभु ने कहा, "जो हो, मुझे खबर करते रहना।''
"अच्छा भाई।'' कह कर हरदयाल ने रिसीवर रख दिया।
हरदयाल ने शील और नेहा से प्रभुदयाल से हुई बातचीत का खुलासा किया। नेहा ने बताया कि सेण्ट पाल से आते समय रास्ते में उसने एक बहुत विशाल ड़ेरी फार्म देखा था। वहाँ काली गाय जरूर मिल जाएगी। हर मंगल को आप वहाँ जा सकते हैं। काले कौवे तो कभी दिखायी नहीं पड़े।''

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