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ज्योतिष से वृक्ष और पौधों
का संबन्ध
(संकलित)


- केतु के लिये कुश और अश्वगंधा
 

केतु का संबंध अश्वगंधा और कुश वनस्पति से है। अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसकी जड़ों का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसके बीज वर्षाकाल में बोए जाते हैं और शीतकाल में फसल आ जाती है। इसकी कच्ची जड़ में अश्व (घोड़े) के समान गन्ध आती है इसलिए इसे अश्वगन्धा कहा जाता है। इसका विधिवत ढँग से पूरे शीतकाल सेवन करने पर घोड़े की तरह शक्ति, पुष्टि और स्फूर्ति उपलब्ध होती है, इससे भी इसका नाम सार्थक सिद्ध होता है। केतु को प्रसन्न करने के लिये अश्वगंधा की लकड़ी से हवन करने के उल्लेख मिलते हैं।

कुश एक दीर्घजीवी घास है। इसका एक नाम कांस भी है। पशु इसे चारे के रूप में खाना पसंद नहीं करते क्योंकि इसके लंबे सिरे चाकू की तरह तेज होते हैं। इसे उखाड़ते समय भी सावधानी रखनी पड़ती है कि यह जड़ सहित उखड़े और हाथ भी न कटे। कुश का प्रयोग हवन में समिधा के रूप में भी होता है। कुश से आसन आदि सामान भी बनाए जाते हैं।

१ अक्तूबर २०१८

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