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घर-परिवार बागबानी


ज्योतिष से वृक्ष और पौधों
का संबन्ध
(संकलित)


- शुक्र के लिये गूलर

शुक्र ग्रह का संबंध गूलर के वृक्ष से माना गया है। यह एक बड़ा पेड़ है और इसकी ऊँचाई ६ मीटर से १२ मीटर तक होती है। पके हुए गूलर के फल को खाया जाता है और इसकी सब्जी भी बनाई जाती है। इसे उगन के लिये अधिक पानी की आवश्यकता होती है इसलिये अधिकतर गूलर के पेड़ किसी नदी या झरने के आसपास होते हैं। ऐसा माना जाता है कि गूलर के पास कुआँ खोदने से जल्दी पानी निकल आता है और इस कुएँ का पानी स्वास्थ्यवर्धक होता है।

गूलर की छाया ठंडी और सुखकारी होती है। गूलर की लकड़ी बहुत मजबूत और चिकनी होती है। गूलर का तना, मोटा, लम्बा, तथा टेढ़ा होता है। गूलर की छाल लाल व मटमैली रंग की होती है। गूलर के पत्ते ३ से ५ इंच लम्बे, १.५ से ३ इंच चौडे़, नुकीले, चिकने और चमकीले होते हैं। इसके फूल अक्सर दिखाई नहीं देते हैं। गूलर के फल गर्मी के मौसम में १ से २ इंच व्यास के गोलाकार अंजीर के फल के समान होते हैं तथा ये गुच्छों में होते हैं। गूलर के कच्चे फल हरे रंग और पके फल लाल रंग के होते हैं। गूलर के फल को थोड़ा सा दबाते ही वह फूट जाता है और इसमें सूक्ष्म कीटाणु भी पाये जाते हैं। गूलर के पेड़ के सभी अंगों में दूध भरा होता है और यदि इसके किसी भी भाग को धारदार चीज से काटते हैं तो उस भाग से दूध निकलने लगता है। इसका दूध जब शुरू-शुरू में निकलता है तो वह सफेद रंग का होता है लेकिन हवा के संपर्क में आते ही कुछ ही देर में पीला हो जाता है। इसके दूध का उपयोग औषधियों के रूप में किया जा सकता है क्योंकि इसमें रोगों को ठीक करने की शक्ति होती है।

१ जून २०१७

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