साहित्य और
संस्कृति में-
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समकालीन कहानियों में
इस माह
प्रस्तुत है- कैनेडा से शैलजा सक्सेना
की
कहानी
लेबनान की एक
रात
१२
अगस्त १९४५! दूसरी बड़ी लड़ाई का समय! लेबनॉन के यहूदी लोग
छोटे-छोटे समूहों में छिप कर अपनी ज़मीन पर अपना देश बनाने का
सपना लिये शहरों से चुपचाप निकलने की ताक में थे। शहर उनके
खिलाफ हो रहा था, देश उन्हें ज़िंदा या मुर्दा बाहर खदेड़ने की
योजनायें बना रहा था। लोग एक दूसरे के चेहरों में विश्वास और
अविश्वास के साये नाप रहे थे। ऐसे में
मि.बेन-अब्राहम के घर के अहाते में वह लड़की घुसी। चेहरे से
बदहवास और बेहद थकी हुई लड़की, जिसकी पोशाक से गाँव की घास और
सड़कों की धूल की मिली जुली बू आ रही थी। रात का करीब ११ बजा
होगा जब दरवाज़े पर ज़ोर से खट-खट की आवाज़ हुई थी।
मि.बेन-अब्राहम आजकल एक आँख से सोते हैं। ज़माना ही ऐसा है कि
दोनों आँखों से सोने का मतलब है, मौत। और एक अकेले अपने ही बात
हो तो चलो कभी आँख लग भी जाये पर उनके निकट-दूर के अनेक
रिश्तेदार भी अब अपने ज़रूरी सामान के साथ उनके घर आकर रह रहे
थे। उनका घर राजधानी से दूर सिडान शहर की दक्षिणी सीमा
पर बना हुआ है।
... आगे-
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संयुक्त अरब इमारात से
मंजु तिवारी कुमार की
लघुकथा-
फैक्ट्री
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दृष्टिकोण में
गौतम कुमार सागर का
एकालाप-
२९ हजार फुट वाला विश्व हिम नागरिक
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कला और कलाकार
के अंतर्गत
तैयब मेहता और उनकी कलाकृतियों से परिचय
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परिक्रमा के अंतर्गत आस्ट्रेलिया
निवासी
रेखा राजवंशी की डायरी से
जून माह
की प्रमुख घटनाएँ
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