अभिव्यक्ति-समूह : फेसबुक पर

पुरालेख तिथि-अनुसार पुरालेख विषयानुसार हमारे लेखक लेखकों से
तुक कोश // शब्दकोश //
पता-


२४. ३. २०१४

इस सप्ताह-

1
अनुभूति में-
मरुधर मृदुल, देवी नागरानी, अशोक भाटिया, ज्योतिर्मयी पंत और अमित अग्रवाल की  रचनाएँ।

कलम गही नहिं हाथ-

अभिव्यक्ति का यह अंक विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में जल को समर्पित है। यह दिन प्रति वर्ष २२ मार्च को मनाया जाता है। १९९२ में ...आगे पढ़ें

- घर परिवार में

रसोईघर में- हमारी रसोई-संपादक शुचि द्वारा प्रस्तुत है- चैत्र नवरात्रि की तैयारी में फलाहारी व्यंजनों की विशेष शृंखला के अंतर्गत- श्रीखंड

आज के दिन कि आज के दिन (२४ मार्च को) १७७५ में दक्षिण भारतीय कवि और संगीतकार मुत्थुस्वामी दिक्षितर, १९७९ में अभिनेता इमरान हाशमी...

हास परिहास के अंतर्गत- कुछ नये और कुछ पुराने चुटकुलों की मजेदार जुगलबंदी का आनंद...

घर परिवार के अंतर्गत- दैनिक जीवन में पानी के महत्व और उसके उपयोग से संबंधित रोचक जानकारी अर्बुदा ओहरी से- - बिन पानी सब सून

सप्ताह का विचार में- सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है। एक ज़ुल्मों के खिलाफ़ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरुद्ध। - सरदार पटेल

वर्ग पहेली-१७८
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि-आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-
कीर्तीश की कूची से

अपनी प्रतिक्रिया लिखें / पढ़ें

साहित्य एवं संस्कृति में- विश्व-जल-दिवस-के-अवसर-पर

समकालीन कहानियों में भारत से
मनमोहन सरल की कहानी- पानी

सब कुछ चुपचाप हो गया। भाटिया साहब के निर्जीव जैसे शरीर में ऐसा कुछ बचा भी न था कि कोई आवाज़ होती। एक खामोश सी हिचकी आई और बस। पर यह अचानक नहीं हुआ था। ज़्यादा नहीं तो कम से कम दो सप्ताह से तो सावित्री को लगने लगा था कि ऐसा हो सकता है, किसी भी दिन। डॉक्टरों ने तो पहले ही जवाब दे दिया था। तब से ही सावित्री ने इसके लिए अपने को तैयार कर लिया था। उस रात वह बिलकुल सो न सकी थी। भाटिया साहब के मुर्दा जैसे शरीर के निकट ही बैठी रही थी। रह-रह कर उनकी नाक के पास अपनी हथेली रख कर देख लेती कि साँस चल रही है न! जब वह वक्त आया तो उसे झपकी आ गई थी। जैसे ही आँख खुली, उसकी हथेली अपने आप ही भाटिया साहब की नाक के पास पहुँच गई। साँस नहीं आ रही थी, उसने महसूस किया। फिर हड़बड़ा कर उसने उनका शरीर हिलाया डुलाया और बेहाली में वह उनके सीने पर लेट ही गई। पर वहाँ कुछ बचा न था। कहीं कोई कंपन न था। सब निस्पंद, निःशब्द और निर्जीव। आगे-
*

ज्ञान चतुर्वेदी की व्यंग्यकथा
गंगाजल और गंदला नाला
*

कादंबरी मेहरा का आलेख
जलपूजन
*

डॉ. पुष्पारानी का ललित निबंध
शिल्पी है जल
*

पुनर्पाठ में प्रकृति के अंतर्गत
महेश परिमल का आलेख- पानी रे पानी

1

अभिव्यक्ति समूह की निःशुल्क सदस्यता लें।

पिछले सप्ताह- होली के अवसर पर


सरस्वती माथुर की लघुकथा
सपनों का गुलाल
*

ज्योतिर्मयी पंत से प्रकृति में
वसंत का फल काफल
*

राहुल देव का आलेख
समकालीन कहानियों में होली
*

भावना सक्सैना का संस्मरण
सूरीनाम में होली

*

वरिष्ठ कथाकारों की प्रसिद्ध कहानियों के स्तंभ गौरवगाथा में जयशंकर प्रसाद की कहानी-
अमिट स्मृति

फाल्गुनी पूर्णिमा का चन्द्र गंगा के शुभ्र वक्ष पर आलोक-धारा का सृजन कर रहा था। एक छोटा-सा बजरा वसन्त-पवन में आन्दोलित होता हुआ धीरे-धीरे बह रहा था। नगर का आनन्द-कोलाहल सैकड़ों गलियों को पार करके गंगा के मुक्त वातावरण में सुनाई पड़ रहा था। मनोहरदास हाथ-मुँह धोकर तकिये के सहारे बैठ चुके थे। गोपाल ने ब्यालू करके उठते हुए पूछा- बाबूजी, सितार ले आऊँ?
आज और कल, दो दिन नहीं। -मनोहरदास ने कहा।
वाह! बाबूजी, आज सितार न बजा तो फिर बात क्या रही!
नहीं गोपाल, मैं होली के इन दो दिनों में न तो सितार ही बजाता हूँ और न तो नगर में ही जाता हूँ।
तो क्या आप चलेंगे भी नहीं, त्योहार के दिन नाव पर ही बीतेंगे, यह तो बड़ी बुरी बात है।
यद्यपि गोपाल बरस-बरस का त्योहार मनाने के लिए साधारणत: युवकों की तरह उत्कण्ठित था। आगे-

अभिव्यक्ति से जुड़ें आकर्षक विजेट के साथ

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक परिक्रमा
पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
चुटकुलेडाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसरहमारी पुस्तकेंरेडियो सबरंग

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी -|- मीनाक्षी धन्वंतरि
 

Loading
 

आँकड़े विस्तार में

Review www.abhivyakti-hindi.org on alexa.com