बिन पानी सब
सून
- अर्बुदा ओहरी
तेज
रफ़्तार ज़िंदगी, ढेरों ज़िम्मेदारियां और व्यस्तता का
आलम! फिर भी कोमल त्वचा, फुर्तीला बदन और शांत मन किसे
पसंद नहीं? तो क्यों न इसके लिए कुछ करें। बिलकुल आसान
उपाय और ढेरों फ़ायदे- खूब पानी पिएं, एक ही हफ़्ते बाद
इसका जादू आपको साफ दिखाई देने लगेगा। न केवल त्वचा का
सौंदर्य बल्कि स्वास्थ्य भी निश्चित रूप से बेहतर होगा।
पानी सभी
शारीरिक तंत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर के
भार का ७० प्रतिशत अंश पानी का ही बना हुआ है। कुदरती तौर
पर बने इस अनुपात को अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से बनाए
रखना जरूरी है। इसलिए काम के बीच में पानी पीना न भूलें।
पानी हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित भी रखता है। हमारी
सेहत और तंदुरूस्ती शरीर का तापमान स्थिर रखने पर ही
निर्भर करती है। पानी की कमी से शरीर में कमज़ोरी,
घबराहट, सिर दर्द, माँसपेशियों में दर्द आदि तकलीफ़ें हो
सकती हैं। तो फिर शरीर में पानी की कमी न होने दें।
गर्म
जलवायु में निवास करने वाले लोगों को स्वयं को शीतल रखना
बड़ा ही मुश्किल हो जाता है ख़ास कर तब जब यह गर्मी
मरुस्थलीय वातावरण की हो। मरूस्थलीय वातावरण शरीर में
निर्जलीकरण कर देता है जिसका शरीर और त्वचा पर बहुत बुरा
असर पड़ता है। ऐसी जलवायु में
रहने वाले लोगों को पानी के साथ अन्य तरल पदार्थ भी लेने
चाहिए।
हाँ, ठंडी जगह रहने वाले लोग यदि अपने घरों में हीटर या
ब्लोअर लगा कर रखते हैं तब उन्हें भी अच्छी मात्रा में
पानी जरूर पीना चाहिए क्योंकि गर्म हवा में त्वचा नमी
खोती है और इससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है। अच्छे
खाद्य विशेषज्ञ त्वचा के लचीलेपन से ही पता लगा लेते हैं
कि आप जरूरत के हिसाब से पानी पीते हैं या नहीं। आप स्वयं
भी यह परीक्षण कर सकते हैं- बस यह ध्यान में रखें कि मूत्र
गंधरहित व हल्के पीले रंग का रहे। पीला रंग गहरा है तो
शरीर को ज़्यादा पानी की जरूरत है।
दिन भर में कितना पानी पीना चाहिए यह बहुत-सी बातों पर
निर्भर करता है जैसे कि वातावरण या जलवायु, शारीरिक
परिश्रम, आपका स्वास्थ्य आदि। सिर्फ पानी ही आपके शरीर
में जल की जरूरत को पूरा कर सकता है, शीतल पेय व एल्कोहल
मूत्रवर्धक होते हैं और असल में ये सब आपके शरीर में पानी
का स्तर कम कर देते हैं।
पानी के प्रभाव को ध्यान में रख कर किए गए कुछ अध्ययन
बताते हैं कि जो व्यक्ति नियमित रूप से खूब पानी पीते हैं
और अपने शरीर में जल का स्तर कायम रखते हैं उनमें आंत के
कैंसर का खतरा बहुत कम होता है। मेनोपॉज के पूर्व महिलाओं
में स्तन कैंसर का खतरा ३३ प्रतिशत तक घट सकता है जबकि
मेनोपॉज के पश्चात महिलाओं में यह ७९ प्रतिशत तक टल सकता
है यदि वे भरपूर पानी पीएं तो। यहाँ तक कि प्रोस्टेट
कैंसर व ब्लैडर कैंसर का भी विकास कम होता है।
कुछ
शोध यह भी दर्शाते हैं कि यदि दिन में कम से कम दस ग्लास
पानी पिया जाए तो कमर दर्द व जोड़ों के दर्द से राहत मिलती
है। पानी हमारे शरीर से अनावश्यक व नुकसानदायक तत्वों का
निष्कासन करता है। तो बस पानी पीजिए और बीमारियों से बचिए।
पानी ही ऐसा है जिसमें ज़ीरो कैलोरी होती है और जिसे
ग्रहण करके आपको पेट भरने का आभास हो जाता है।
इसलिए पानी पीने में कंजूसी न करें क्योंकि अध्ययन बताते
हैं कि आवश्यकता अनुरूप पानी पीने से वजन भी घटता है।
शरीर में पानी की कमी चय-उपचय (मेटाबोलिज़्म) की दर को ३
प्रतिशत तक कम कर देती है। अक्सर जब हम थक जाते हैं तब
ऊर्जा को पाने के लिए कुछ खाने का सामान ढूंढते हैं पर
वास्तव में शरीर को उस समय पानी की जरूरत होती है। क्योंकि
थकान भी शरीर में पानी की कमी का ही एक लक्षण है। तो इस
बार थकान में एक गिलास पानी पीकर देखें और फिर से
तरोताज़ा महसूस करें।
ज़्यादा मीठे ठंडे पेय पदार्थों से बचें क्योंकि इन्हें
मोटापे का ज़िम्मेदार पाया गया है। इसलिए केवल सादा पानी
पिएं यह एक तरफ तो वजन पर नियंत्रण रखेगा वहीं दूसरी ओर
जरूरी पोषण भी देगा।
व्यायाम के साथ भी जरूरत होती है ज़्यादा पानी पीने की।
मूत्र नली में पथरी अथवा ब्लैडर में संक्रमण हो तब भी
ज़्यादा पानी पीने की
सलाह दी जाती है। कुछ बीमारियों जैसे कि बुखार, उल्टी,
दस्त में भी शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में
बार-बार किसी विशेष तरल पदार्थ की आवश्यकता हो सकती है।
ऐसे में 'ओ आर एस' भी बहुत फ़ायदा करता है।
पानी
के इतने सारे गुण जानने के बाद आप भी आजमा कर देखें। इस
बदलाव को अपनाने में कुछ दिन लग सकते हैं पर पानी का कमाल
आपको जल्दी ही दिखने लगेगा। आपके चेहरे की कांति और शरीर
की तरावट आपको अहसास जरूर कराएगी कि बिन पानी सब सूना।
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