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७. १. २१३

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
1
कैलाश निगम, राजेन्द्र तिवारी, शिल्पा अग्रवाल, शेखर मलिक और नीलम जैन की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- पर्वों के दिन जारी हैं और दावतों की तैयारियाँ भी। इस अवसर के लिये विशेष शृंखला में शुचि प्रस्तुत कर रही हैं- मिर्च पनीर।

रूप-पुराना-रंग नया- शौक से खरीदी गई सुंदर चीजें पुरानी हो जाने पर, फिर से सहेजें रूप बदलकर- पुरानी बेंचें सजाएँ पुस्तक-शेल्फ के रूप में

सुनो कहानी- छोटे बच्चों के लिये विशेष रूप से लिखी गई छोटी कहानियों के साप्ताहिक स्तंभ में इस बार प्रस्तुत है कहानी- बागबानी

- रचना और मनोरंजन में

साहित्य समाचार में- देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों, सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये यहाँ देखें

नवगीत की पाठशाला में- ार्यशाला- २५ की रचनाओँ का प्रकाशन पूरा हो गया है। नई कार्यशाला की तिथि और विषय निश्चित होने पर सूचित करेंगे।

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- प्रस्तुत है पुराने अंकों से १ सितंबर २००४ को  प्रकाशित सूरज प्रकाश की कहानी— "मातमपुर्सी"।

वर्ग पहेली-११५
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
          कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

समकालीन कहानियों में अर्जेंटीना से डॉ. प्रेमलता वर्मा की कहानी- चाँदनी की छाँह में टूटता जलपोत

महज़ चन्द घण्टों का वर्तमान और एक पूरी जिन्दगी....।
क्या रूप था उस शख्स का और इतिहास के एक नन्हें टुकड़े का ? क्या नाम था उसका ?
-सेसर!
मगर अनुभव का नामकरण नहीं किया जा सकता!
हाँ तो सेसर- जो ग्रीक सम्राट जूलियस सेसर (सीज़र) नहीं था मगर जिसकी गरिमा से कुछ तो मिलता जुलता ही था, उसके व्यक्तित्व को परिभाषित करना नियति के हिज्जे करना होगा! हाहाकारी बातों को भी जिस सहज विट में घोल कर, अपनी चंचल निगाहों से भरपूर ताक, आपको जिस अजनबी निराले क्षेत्र की तरफ मोड़ेगा, उससे आप एक हल्की उत्फुल्लता के साथ चकित रह जाएँगे। मगर एकदम दूसरे ही पल दार्शनिक तर्ज पर कोई गम्भीर बात, ग़मगीन ल़फ्जों में पिरो कर छींट देगा कि आप उसकी संवेदना पर कुछ विकलता से उत्तरहीन हो जाएँगे। उस जैतून के रंग-रूप वाले अरमेनियन की गहरी चमकदार आँखों की बरौनियाँ खूब लम्बी थीं। उससे अकस्मात मुलाकात के चन्द घण्टों में ही उसके व्यक्तित्व के ये पहलू नीना के अहसास में गुजरे।.
.. आगे-
*

दुर्गेश ओझा की लघुकथा
जिद्द
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योगेन्द्र दत्त शर्मा का आलेख
विज्ञान साहित्य के रचयिता गुणाकर मुले

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श्रीश बेंजवाल से प्रौद्योगिकी में
वर्ष २०१२ का तकनीकी सफर
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पुनर्पाठ में- अनिल जोशी का आलेख
ब्रिटेन में हिंदी अस्तित्व से अस्मिता तक

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पिछले-सप्ताह-


अमिता नीरव का आलेख
व्यापार का किरदार सांता
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रचना श्रीवास्तव से जानें
अफ्रीकी नव-वर्ष क्वांजा के विषय में
*

पर्वों की जानकारी के लिये
पर्व पंचांग - २०१३
*

पुनर्पाठ में- गुणाकर मुले की कलम से
भारतीय कैलेंडर की विकास यात्रा

*

समकालीन कहानियों में
भारत से प्रवीणा जोशी की कहानी- नया सवेरा

वैन के अन्दर सभी खामोश थे उसकी तरह और वह बाहर देख रही थी इस शहर को, कितना कुछ बदल गया था, बस उसे छोड़ कर। दौड़ती सड़के, बोलते वाहन और गगनचुंबी इमारतें, विहंगम दृश्य! सड़कों पर हर ओर रंगीन झंडियाँ लगी हुई, शोर शराबा, संगीत, सजी हुई दूकानें... उसके भीतर जितनी शांति जितना अकेलापन जितनी स्थिरता थी वैन के बाहर की दुनिया उससे बिलकुल अलग थी। शोरगुल उत्सव और हंगामे की दुनिया, एक ऐसी दुनिया जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकती थी, एक ऐसा संसार जो बहुत दूर कहीं पीछे छूट गया था। "आज नया साल है।" साथ बैठी महिला पुलिस ने बताया। नया साल! बरसों से यह दिन उसके जीवन में नहीं आया था। इतने लोग एक साथ उसने पहले देखे ही नहीं थे उसने तो कभी अपने आस–पास भी ध्यान से नहीं देखा था। शायद सूर्य देवता का कमाल था जिसकी चमक से न दिखने वाले लोग भी उसे दिखाई दे रहे थे या उस ओर से आती ठंडी हवा ने उसमे प्राण फूँकने शुरू कर दिए थे। .. आगे-

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : कल्पना रामानी

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