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कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है
अर्जेंटीना से डॉ. प्रेमलता वर्मा की कहानी— चाँदनी की छाँह में टूटता जलपोत


महज़ चन्द घण्टों का वर्तमान और एक पूरी जिन्दगी....।
क्या रूप था उस शख्स का और इतिहास के एक नन्हें टुकड़े का ? क्या नाम था उसका ?
-सेसर!
मगर अनुभव का नामकरण नहीं किया जा सकता!
हाँ तो सेसर-जो ग्रीक सम्राट जूलियस सेसर (सीज़र) नहीं था मगर जिसकी गरिमा से कुछ तो मिलता जुलता ही था, उसके व्यक्तित्व को परिभाषित करना नियति के हिज्जे करना होगा! हाहाकारी बातों को भी जिस सहज विट में घोल कर, अपनी चंचल निगाहों से भरपूर ताक, आपको जिस अजनबी निराले क्षेत्र की तरफ मोड़ेगा, उससे आप एक हल्की उत्फुल्लता के साथ चकित रह जाएँगे। मगर एकदम दूसरे ही पल दार्शनिक तर्ज पर कोई गम्भीर बात, ग़मगीन ल़फ्जों में पिरो कर छींट देगा कि आप उसकी संवेदना पर कुछ विकलता से उत्तरहीन हो जाएँगे।
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उस जैतून के रंग-रूप वाले अरमेनियन की गहरी चमकदार आँखों की बरौनियाँ खूब लम्बी थीं। उससे अकस्मात मुलाकात के चन्द घण्टों में ही उसके व्यक्तित्व के ये पहलू नीना के अहसास में गुजरे।
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‘‘जी, आपकी खिदमत में यह सेसर दी अरमेनियन। आपको घर पहुँचाने का काम इसी खिदमतगार को सौंपा गया है।

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