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२६. १२. २०११

इस सप्ताह-

1
अनुभूति में-
नववर्ष के अवसर पर अनेक विधाओं नए-पुराने रचनाकारों की विविध रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- सर्दियों के मौसम में पराठों के क्या कहने ! १५ व्यंजनों की स्वादिष्ट शृंखला, भरवाँ पराठों में इस सप्ताह प्रस्तुत हैं- फूलगोभी का पराठा।

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- शिशु का ५२वाँ सप्ताह।

स्वास्थ्य सुझाव- आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग में शोधरत अलका मिश्रा के औषधालय से- खराश या सूखी खाँसी के लिये अदरक और गुड़

वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से- १६ दिसंबर से ३१ दिसंबर २०११ तक का भविष्यफल

- रचना और मनोरंजन में

कंप्यूटर की कक्षा में- माऊस व्हील एक तीसरे बटन की तरह काम करता है। किसी भी लिंक पर माऊस व्हील को क्लिक करने से वह जालपृष्ठ ...

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला-१९, नववर्ष से संबंधित रचनाओं का क्रम पूरा हो गया है। चुनी हुई रचनाओं को अनुभूति मैं प्रकाशित किया जाएगा। 

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- प्रस्तुत है- ७ जनवरी २००८ को प्रकाशित रवींद्रनाथ भारतीय की कहानी— नव वर्ष : दो डायरियाँ समानान्तर

वर्ग पहेली-०६१
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

1
नववर्ष के अवसर पर अज्ञेय का उपन्यास
अपने अपने अजनबी

एकाएक सन्नाटा छा गया। उस सन्नाटे में ही योके ठीक से समझ सकी कि उससे निमिष भर पहले ही कितनी जोर का धमाका हुआ था-बल्कि धमाके को मानो अधबीच में दबाकर ही एकाएक सन्नाटा छा गया था। वह क्या उस नीरवता के कारण ही था, या कि अवचेतन रूप से सन्नाटे का ठीक-ठाक अर्थ भी योके समझ गयी थी, कि उसका दिल इतने जोर से धडकने लगा था? मानो सन्नाटे के दबाव को उसके हृदय की धडकन का दबाव रोककर अपने वश कर लेना चाहता हो। बर्फ तो पिछली रात से ही पड़ती रही थी। वहाँ उस मौसम में बर्फ का गिरना, या लगातार गिरते रहना, कोई अचम्भे की बात नहीं थी। शायद उसका न गिरना ही कुछ असाधारण बात होती। लेकिन योके ने यह सम्भावना नहीं की थी कि बर्फ का पहाड़ यों टूटकर उनके ऊपर गिर पड़ेगा और वे इस तरह उसके नीचे दब जाएँगे। जरूर वह बर्फ के नीचे दब गयी है, नहीं तो उस अधूरे धमाके और...  विस्तार से पढ़ें...

*

कुमार शर्मा 'अनिल' की लघुकथा
नववर्ष का स्वागत

*

घर परिवार में जाने-
एक संसार ढेरों नए साल

*

साल भर के भारतीय पर्वों की
जानकारी के लिये- पर्व पंचांग
*

समाचारों में
देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ

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पिछले सप्ताह-

1
समीर लाल का व्यंग्य
कड़वा वाला हनी
*

आज सिरहाने- विमलेश कुमार त्रिपाठी
का कविता संग्रह- हम बचे रहेंगे

*

दिवंगत गीतकार को श्रद्धांजलि
गीतों के चितेरे भारत भूषण
*

पुनर्पाठ में- अंबरीश मिश्र का
संस्मरण- सुनंदा भाभी

*

समकालीन कहानियों में यू.एस.ए. से
सुधा ओम ढींगरा की कहानी- परिचय की खोज

मेरी भारत यात्रा के दौरान अक्सर अजय भनोट जालंधर में अपने घर पर गोष्ठी रख लेते हैं। उनकी गोष्ठियों में पुराने मित्रों से मिलना हो जाता है और नए उभरते रचनाकारों से परिचय। इस बार भी बहुत सी नई प्रतिभाओं से मिलना हुआ। उभरते उपन्यासकार मयंक भारती को देख कर लगा कि इसे पहले कहीं देखा है। पूरी गोष्ठी में याद नहीं आया कि उसे कहाँ देखा है..बहुत सोचती रही। गोष्ठी की समाप्ति उपरांत वह मेरे पास आकर बोला, ''मैडम, पूरी गोष्ठी मैंने महसूस किया कि आप बार- बार मुझे देख रही थीं, जिस चेहरे को आप मेरे चेहरे में ढूँढ रही हैं...मैं उन्हीं का बेटा हूँ...अंत तक वे अपनी कहानी का इंतज़ार करती रहीं, आप ने भी औरों की तरह उनका विश्वास नहीं किया। इसी बात का दुःख उन्हें मरते दम तक रहा। वे आप को दूसरों से भिन्न समझती थीं। मरने से... विस्तार से पढ़ें...

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

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