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शिशु का ५२वाँ सप्ताह
—
इला
गौतम
भाषा पर अधिकार
यह बहुत ही खुशी का समय होता है, जब महीनों बड़बड़ाने के
बाद आब शिशु पहचानने योग्य शब्द बोलने लगा है। वह एक अनमोल
भाषा का मालिक बनने की प्रक्रिया में शामिल हो गया गया। यह
प्रक्रिया रातोंरात हो जाती है और इसकी गति एक बच्चे से
दूसरे बच्चे तक काफ़ी भिन्न होती है। एक बात तो पक्की हैः
शिशु जितना बोलता है उससे कहीं ज़्यादा समझ लेता है। कुछ
बातें जो अब देखने वाली हैं:
शिशु के इशारे शब्दों से अधिक बोलते हैं। शिशु को भले ही
गिने चुने शब्द आते हों लेकिन वह इशारों में ढ़ेर सारी
बातें कर सकता है जैसे, "ऊपर" के इशारे के लिए अपने हाथ
ऊपर उठाना, "यह क्या है?" के इशारे के लिए उस वस्तु की ओर
उँगली करना आदि। जिन बच्चों ने सांकेतिक भाषा सीखी होती है
वह खास तौर पर इसमें माहिर होते हैं।
एक शब्द के कई मतलब होते हैं। एक शब्द जैसे "जूस" का मतलब
हो सकता है "मुझे दूध पीना है", या "नही! मुझे पानी चाहिए"
या फिर "ओह! मैने बोतल गिरा दी!" स्वर के मोड़ की ओर ध्यान
से सुनें। वह एक ही शब्द को अलग-अलग तरीकों से अलग-अलग
इशारे बनाकर कहेगा।
शब्द उसके दैनिक जीवन से ही आते हैं। यह आश्चर्य की बात
नही है कि शिशु के पहले शब्द उसकी ज़िन्दगी के समीप की
वस्तुओं से जुड़े होते हैं। "माँ" या "पापा", या उसके
परिवार के और मनपसंद लोग या पालतु पशु, या उसके खाने से
सम्बंधित शब्द जैसे बोतल के लिए "बाबा", सोने के लिए
"निन्नी" आदि।
घर पर शिशु के दाँत साफ़ करना जारी रखें। तीसरी दाढ़ (जो
दाँत सबसे पीछे होते हैं) आने तक टूथ-ब्रश इस्तेमाल करना
आवश्यक नही है। यह लगभग बीस या तीस महीने की उम्र के बीच
आएँगे। तब तक, केवल रात को सोने से पहले शिशु के दाँत एक
साफ़ मलमल के कपड़े में पानी लगाकर पोंछ दें। (जब आप यह
काम कर रहे हों तब शिशु का ध्यान बाँटने के लिए उसे
टूथ-ब्रश हाथ में पकड़ा दें।)
आपको टूथ-पेस्ट की भी आवश्यक्ता नही है। हालाकि अगर आप
चाहें तो फ़्लूराईड-फ़्री टूथ-पेस्ट का इस्तेमाल कर सकते
हैं। लेकिन ध्यान रखें कि फ़्लूराईड वाला टूथ-पेस्ट शिशु
के सामान्य दिनचर्या में कम से कम दो वर्ष की आयु तक न
शामिल करें।
छोटी उँगलियों के बड़े खतरे
शिशु
की अँगूठे और उँगलियों की पकड़ अब पूरी तरह विकसित हो गई
है और वह आसानी से अपने अँगूठे और तर्जनी के बीच छोटी
वस्तुएँ पकड़ सकता है। वह इस कौशल का अभ्यास बड़े मज़े से
नीचे गिरी छोटी-छोटी वस्तुओं को उठाकर करता है जो आपसे
कहीं अधिक उसकी आँखों को नज़दीक और साफ़ दिखाई देती हैं।
छोटी लेकिन संभावित खतरनाक वस्तुएँ जो बड़ों की नज़र से परे
ज़मीन पर गिर जाती हैं उनसे अत्याधिक सावधान रहना चाहिए
जैसे विटामिन और दूसरी दवाई की गोलियाँ, खाने (पालतु पशु
के खाने) के टुकड़े, आलपिन, बड़े बच्चे के खिलौने का टूटा
छोटा हिस्सा, बटन, आदि। इस सबको शिशु अपने मुँह में डाल
सकता है और यह उसके गले में अटक सकते हैं।
खेल खेल खेल-
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उपहार का आनंद- हम सभी को उपहार पाना बहुत अच्छा लगता
है लेकिन शिशुओं को उत्तेजित करता है उपहार खोलना। कुछ
खोजने का रोमांच तो होता ही है साथ-साथ अपनी उँगलियों
से मनचाहा काम करवा पाने का मज़ा भी होता है। इस खेल
में, यह विशेष नही है कि "उपहार" नहाते समय खेलने वाला
खिलौना है जिससे वह महीनों से खेलता आ रहा है, बल्कि
विशेष यह है कि उपहार को खोलने में उसे कितना आनंद और
आश्चर्य प्राप्त होता है।
इस खेल के लिए हमें चाहिए एक छोटा फलैलन का कपड़ा और
कुछ छोटे नहाने के समय इस्तेमाल होने वाले खेलौने।
शिशु को उसके नहाने वाले तसले में बिठा दें। उसका
ध्यान थोड़ी देर के लिए बटाएँ और फलैलन के कपड़े में
एक छोटा खिलौना जैसे रबर की बत्तख या प्लास्टिक का
डाईनोसार लपेट दें। फिर शिशु के सामने यह पैकेट रखें
यह कहकर- "यह देखो तुम्हारा उपहार"। शिशु फलैलेन
खोलेगा, खुशी से चीखेगा, और तुरंत फिर से यह खेल खेलना
चाहेगा। यदि आपके पास दो कपड़े हों तो जब शिशु एक को
खोलने में व्यस्त हो तभी आप दूसरे की तैयारी कर सकते
हैं।
इस खेल से शिशु के हाथ और आँख के समन्वय का विकास होता
है और उसकी वस्तु स्थायित्व की समझ बढ़ती है।
याद रखें, हर बच्चा अलग होता है
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सभी
बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के
दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या विकास
होने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान
रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में
ज़्यादा समय लेते हैं। यदि माँ के मन में बच्चे के स्वास्थ
या विकास से सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र
की सलाह लेनी चाहिए।
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