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योके और सेल्मा
एकाएक सन्नाटा छा गया। उस सन्नाटे में ही योके ठीक से समझ सकी कि उससे निमिष भर
पहले ही कितनी जोर का धमाका हुआ था-बल्कि धमाके को मानो अधबीच में दबाकर ही
एकाएक सन्नाटा छा गया था।
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वह क्या उस नीरवता के कारण ही था, या कि अवचेतन रूप से सन्नाटे का ठीक-ठाक अर्थ
भी योके समझ गयी थी, कि उसका दिल इतने जोर से धडकने लगा था? मानो सन्नाटे के
दबाव को उसके हृदय की धडकन का दबाव रोककर अपने वश कर लेना चाहता हो।
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बर्फ तो पिछली रात से ही पड़ती रही थी। वहाँ उस मौसम में बर्फ का गिरना, या
लगातार गिरते रहना, कोई अचम्भे की बात नहीं थी। शायद उसका न गिरना ही कुछ
असाधारण बात होती। लेकिन योके ने यह सम्भावना नहीं की थी कि बर्फ का पहाड़ यों
टूटकर उनके ऊपर गिर पड़ेगा और वे इस तरह उसके नीचे दब जाएँगे। जरूर वह बर्फ के
नीचे दब गयी है, नहीं तो उस अधूरे धमाके और उसके बाद की नीरवता
का और क्या अर्थ हो सकता है?
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‘वे दब जाएँगे’-सहसा उसे ध्यान आया कि वह अकेली नहीं है और मानो इससे उसकी
तात्कालिक समस्या हल हो गयी, क्योंकि उसे तुरन्त ही चिन्ता करने को कोई दूसरी
बात मिल गयी जिससे उसका ध्यान तूफान की ओर से हट जाए। |