1
समकालीन कहानियों में भारत से
सुनील कुमार श्रीवास्तव की कहानी
वापसी
सर्वेश्वर
राय के गाँव के लिए वाराणसी से आखिरी सीधी बस अपराह्न दो बजे
होती थी, जो शाम पाँच बजे मुगलसराय को पीछे छोड़ती हुई बिहार
की सीमा में प्रवेश करती और करीब घंटे भर बाद उनके गाँव को
छूती हुई पूर्व में डिहरी-ऑन-सोन तक चली जाती। पिछले पन्द्रह
वर्षों में उन्हें जब-जब गाँव जाना हुआ, इस बस ने उनकी यात्रा
काफी व्यवस्थित रखी। लेकिन इस बार उन्हें सपरिवार वाराणसी
पहुँचने पर पता लगा कि अब वह सीधी बस सेवा बंद हो गई है।
उत्तर प्रदेश की बसें राज्य की सीमा तक जाती हैं और नौ बजे
रात तक वहाँ पहुँचती हैं। सवारियों को आगे ले जाने के लिए अब
बिहार की अपनी बसें हैं। लेकिन शाम पाँच बजे के बाद वहाँ से कोई बस
नहीं जाती। इस व्यवस्था से उन्हें खासी दिककत पेश आई, लेकिन
उत्तर प्रदेश सीमा से आगे आखिरी बस उन्हें मिल गई। सड़क काफी
टूट चुकी हे और लंबी-लंबी दूरियों तक...
पूरी कहानी पढ़ें...
*
भारती पंडित की लघुकथा
गुरु दक्षिणा
*
ईश्वर भट्ट
का आलेख
तटीय कर्नाटक की लोककला- यक्षगान
*
सुधा अरोड़ा का
दृष्टिकोण
महिलाएँ- शिक्षा और आत्मनिर्भरता के बाद
*
पुनर्पाठ में विश्वनाथ सचदेव का आलेख
बिन चिड़िया का जंगल |