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स्मृति शेष

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श्रद्धांजलि चाचा अनंत पई को
टीम अभिव्यक्ति


विगत २४ फरवरी को अमर चित्र कथा के संस्थापक अनंत पै का निधन हो गया। वे भारत में इतिहास, पुराण, लोक-कथा, महापुरुषों की जीवनियाँ और कामिक प्रकाशित करने के अपने ऐतिहासिक काम के लिये जाने जाते हैं। १९६७ से प्रारंभ इन सुंदर चित्रों वाली किताबों ने भारत में तहलका मचा दिया था। शायद ही कोई भारतवासी हो जिसने अमर चित्र कथाएँ अपने जीवन में न पढ़ी हों। अमर चित्र कथा के नाम से उन्होंने सचित्र पुस्तकों के प्रकाशन का अभूतपूर्व काम किया।

माना जाता है कि अमर चित्र कथा नामक शृंखला की अब तक ४४० शीर्षकों से १० करोड़ से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं, आज भी कई भाषाओं में उसका प्रकाशन होता है और प्रति वर्ष उसकी ३० लाख से अधिक प्रतियाँ बिकती हैं। बच्चों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराने में अमर चित्र कथा का बड़ा योगदान रहा है। 'भारत के महापुरुष', 'वीर महिलाएँ', 'प्रख्यात वैज्ञानिक', 'स्वतंत्रता सेनानी' और 'पौराणिक पात्र' जैसी अनेक श्रृंखलाओं के माध्यम से उन्होंने न सिर्फ़ मनोरंजन किया बल्कि बच्चों का ज्ञान बढ़ाया, अपनी संस्कृति से परिचित कराया और बच्चों को प्रेरित भी किया।

कर्नाटक के करकला स्थान में १९२९ में, वेंकटराय और सुशीला पई के घर में जनमें अनंत ने अपने माता पिता को दो वर्ष की आयु में खो दिया था। १२ वर्ष की आयु में वे मुंबई आए जहाँ माहिम के ओरिएंट स्कूल में उनकी पढ़ाई हुई। बाद में उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय में कैमिकल टेक्नोलॉजी विभाग से दो उपाधियाँ प्राप्त की। अपने जीवन के प्रारंभ में ही उन्होंने बच्चों के लिये कामिक तथा पत्रिका निकालने का प्रयत्न किया लेकिन असफल रहे। इसके बाद उन्होंने टाइम्स आफ इंडिया में नौकरी की जहाँ वे इंद्रजाल कामिक्स के प्रकाशन विभाग से संबद्ध रहे।

अमर चित्रकथा प्रकाशित करने के लिये उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और इंडिया पब्लिशिंग हाउस के जी।एल। मीरचंदानी के साथ काम प्रारंभ किया। उस समय के प्रसिद्ध प्रकाशक एलाइट से लेकर जैको तक अधिकतर सभी ने उनके अमर चित्र कथा के विचार का समर्थन नहीं किया। इसलिये उन्होंने लेखक संपादक और प्रकाशक का सारा काम स्वयं करने का निश्चय किया। १९६९ में उन्होंने रंगरेखा फीचर्स की स्थापना की और १९८० में बच्चों की पत्रिका टिंकल प्रकाश में आई। बाद में उन्होंने रामू और श्यामू, कपीश, छोटा राजी, रेखा, तथा बच्चों में सफलता के रहस्य से संबंधित अनेक पुस्तकें प्रकाशित की। उन्होंने एकम सत (ईश्वर की वैदिक अवधारणा) और सफलता के रहस्य नाम दो वीडियो फिल्मों का निर्माण भी किया। उन्होंने बच्चों और किशोरों के लिये व्यक्तित्व निर्माण की पुस्तकें भी लिखी हैं और अमर चित्रकथा के आडियो संस्करण निकाले हैं जिसमें कहानियों को स्वयं उनकी आवाज में कहा गया है।

१९८० में उन्होंने हिंदी और अँगरेज़ी में बच्चों की एक लोकप्रिय पत्रिका 'टिंकल' का भी प्रकाशन शुरू किया। उन्होंने 'रामू, श्यामू' और 'कपीश' जैसे लोकप्रिय कॉमिक चरित्रों को जन्म दिया जो वर्षों तक भारतीय पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहे। २० फरवरी २०११ को दिल्ली में आयोजित भारत के पहले 'कॉमिक कन्वेंशन' में अनंत पै को 'लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया गया था।

२८ फरवरी २०११

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