इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में यू.एस.ए से
सुधा ओम ढींगरा की कहानी
सूरज क्यों निकलता है
वे गत्ते का एक बड़ा सा टुकड़ा हाथ में लिए
कड़कती धूप में बैठ गए, जहाँ कारें थोड़ी देर के लिए रुक कर
आगे बढ़ जाती हैं। बिना नहाए-धोए, मैले- कुचैले कपड़ों में वे
दयनीय शक्ल बनाए, गत्ते के टुकड़े को थामे हुए हैं, जिस पर
लिखा है -'' होम लेस, नीड यौर हैल्प।'' कारें आगे बढ़ती जा
रहीं हैं, उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा। सैंकड़ों कारों में
से सिर्फ दस बारह कारों वाले, कारों का शीशा नीचे करके उनकी
तरफ कुछ डालर फैंकते हैं और फिर स्पीड बढ़ा कर चले जाते हैं।
दोनों आँखों से ही डालर गिनते हैं, एक दूसरे को देखते हैं और
ना में सिर हिला देते हैं.... अब वे सड़क के नए कोने पर खड़े
हो गए हैं, जिसमें गंतव्य स्थान पर मुड़ने के लिए एग्ज़िट के
कोने पर रुकने का चिह्न है यानि स्टाप साइन। ज्यों ही कारें
रुकतीं हैं, वे गत्ते के टुकड़े को उनके सामने कर देते हैं,
कुछ लोगों ने गाली दी -''बास्टर्ड, यू आर बर्डन ऑन दा
सोसाईटी।'' पूरी कहानी पढ़ें...
*
मनोहर पुरी का व्यंग्य
स्वागत बराक ओबामा का
*
पुष्कर मेले के अवसर पर
पर्यटन के अंतर्गत- कहानी पुष्कर की
*
डॉ. भारतेन्दु मिश्र का आलेख-
समकालीन गीत: आलोचना के आयाम
*
गृहलक्ष्मी के साथ जियें
तनाव मुक्त जीवन |