इस सप्ताह-
कथा महोत्सव में पुरस्कृत-
दुर्गादत्त जोशी की कहानी
दूसरी
औरत
शहर
से कोसों दूर बढ़ापुर नाम का एक गाँव है, गाँव में चौहान
जाति के ठाकुर रहते हैं, पुराने ज़मींदार थे। आज भी
किसी-किसी के पास आठ-आठ दस-दस एकड़ ज़मीन है। फसल भी अच्छी
हो जाती है हर एक के खेत में टयूबवेल लगा है, कुछ घर
ब्राह्मणों के हैं जो खेती नहीं करते हैं खेत भी नहीं है,
कुछ और जातियों के घर भी हैं जो इन ज़मींदारों के घर पर काम
करते हैं, फसल पर कुछ अनाज मिल जाता है कुछ मजदूरी करते हैं
जहाँ भी आसपास काम मिल गया, कुल मिलाकर गाँव खुशहाल है। इसी
गाँव में राजेश नाम का एक किसान रहता है, कोई पैंतीस छत्तीस
साल का होगा, सात आठ साल पहले उसकी शादी हुई थी कमलेश के
साथ, कमलेश देखने में खूबसूरत थी, उसके पिता जी भी बड़े
ज़मींदार थे, राजेश के पिता नहीं थे, वह दस बारह साल पहले
किसी दुर्घटना में मारे गए। राजेश ने अपने चाचा चाची के साथ
जाकर कमलेश को देखा, देखते ही राजेश शादी को तैयार हो गया,
होता भी क्यों नहीं ऐसी सुन्दर लड़की और उसका बाप भी मालदार,
शादी बड़े धूमधाम के साथ सम्पन्न हो गई।
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श्यामसुंदर दास का व्यंग्य
नेता जी का भाखा प्रेम
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धारावाहिक में प्रभा
खेतान के उपन्यास
आओ पेपे घर चलें का
अंतिम भाग
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रसोई में दीपिका जोशी प्रस्तुत कर रही हैं
सप्ताहांत का रात्रि भोज
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फुलवारी में हाथी के विषय में
जानकारी,
शिशु गीत और
शिल्प
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पिछले
सप्ताह
अनूप शुक्ला का व्यंग्य
होना चीयर बालाओं का
* वीरेंद्र सिंह का
निबंध
समकालीन गीतकारों की रचना दृष्टि
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धारावाहिक में प्रभा
खेतान के उपन्यास
आओ पेपे घर चलें का
बारहवाँ भाग
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पराग मांदले का नगरनामा
करोगे याद तो... (उज्जैन)
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समकालीन कहानियों में यूएसए से उमेश अग्निहोत्री की कहानी
मैं विवाहित नहीं रहना चाहता
1
गीता
सोच रही थी कि क्रिस के साथ असली बातें तब होंगी जब वे दोनों
अकेले होंगे। रात को जब बच्चे सो चुके होंगे और वे दोनों
अपने बेडरूम में होंगे अपने बिस्तर पर एक-दूसरे की तरफ़ मुँह
किए लेटे हुए, एक-दूसरे की आँखों में भीतर तक देखते हुए...
यों बातें तो उनमें होती आ रही थीं। जो बातें हो रही थीं वे
भी काम की बातें थीं। जब चारों बच्चों को साथ लेकर वह उसे
एअर-पोर्ट लेने गई थी, दोनों ने बातें की थी, बल्कि एक-दूसरे
को गले भी लगाया था। बातें उनमें तब भी हुई थीं जब वे फैमिली
- वेन में एअर-पोर्ट से घर लौटे थे। वह कार चला रही थी, और
कृष्ण उसकी बग़ल में पैसेंजर-सीट में बैठा था। सबसे पीछे
बूस्टर सीटों पर बैठे इरमा और एडवर्ड उछल-उछल कर तरह-तरह के
सवाल पूछते रहे थे, ''पापा, अब तो आप वॉर में नहीं जाओगे?
पापा, क्या हमें कल टायेज़ स्टोर ले चलोगे? पापा...पापा...
और जब उन्हें कुछ न सूझता तो वे स्कूल में मिले अपने ग्रेड्स
के बारे में ही बताने लगते, या फिर आपस में ही लड़ने लगते।
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अनुभूति
में-
कमलेश
कुमार दीवान, हस्ती मल हस्ती, अंशुमान अवस्थी, और आनंद कृष्ण की नई
रचनाएँ |
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कलम गही नहिं
हाथ- इस वर्ष ९ जून को डोनल्ड अपने जीवन के पचहत्तर
वर्ष पूरे कर रहा है। बढ़ती उम्र के बावजूद उसकी लोकप्रियता में... आगे पढ़े |
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रसोई
सुझाव-
अंडे को उबालने से पहले उसमें पिन से एक छेद कर दें। इसके छिलके
आसानी से उतर जाएँगे। |
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पुनर्पाठ
में - १५ मार्च २००१ को प्रकाशित दीपिका जोशी की
कहानी कच्ची नींव। |
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क्या आप जानते हैं?
कि भारत में स्वदेशी साबुन निर्माण की पहली इकाई जमशेदजी टाटा
द्वारा १९१८ में केरल के कोच्चि नगर में स्थापित की गई। |
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शुक्रवार चौपाल-
यह सप्ताह कुछ विशेष समस्याओं के सुलझाने का था। जिस थियेटर में हम
लगातार बुकिंग कर रहे हैं उसका प्रबंधन... आगे
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सप्ताह का विचार- चितवन से जो रुखाई प्रकट की जाती है, वह भी
क्रोध से भरे हुए कटु वचनों से कम नहीं होती। - रामचंद्र शुक्ल |
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हास
परिहास |
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1
सप्ताह का
कार्टून
कीर्तीश की कूची से |
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नवगीत की
पाठशाला- में जारी कार्यशाला-२ का विषय है गर्मी के दिन, सभी
का स्वागत है। |
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