हास्य व्यंग्य | |
|
होना चीयर
बालाओं का |
|
''आज नहीं तो कल मैच के लिए चीयरबालाएँ अपरिहार्य हो
जाएँगी।'' ''उनका रूप कैसा होगा हमें पता नहीं लेकिन हमें कल्पना के घोड़े दौडाने से कौन रोक सकता है।'' किसी क्रिकेट मैच के पहले टीम की घोषणा होगी तो लोग कहेंगे, ''हमें खिलाड़ी में इंटरेस्ट नहीं है। चाहे पोवार को लो या हरभजन को। हमें ये बताओ कि चीयर कौन करेगा? कायदे का चीयर न हुआ तो समझ लो गया मैच हाथ से। क्रिकेट की कमेंट्री के साथ-साथ चीयरबालाओं की भी कमेंट्री होने लगे शायद। कमेंट्रेटर चीयरिंग अप का आँखों देखा हाल सुनाते हुये बोले- ''अब मैच शुरू होने वाला है। गेंदबाज रन अप पर। बल्लेबाज क्रीज पर। चीयरबालाएँ तैयार। चीयरबालाओं के वर्णन के लिये रीतिकाल विशेषज्ञ आने ही वाले हैं। तब तक हम शुरू होते हैं।'' चीयर बाला ने तीन ठुमके
बायीं तरफ़ की पब्लिक के लिए लगाए। जनता चौथे ठुमके की आशा में थी लेकिन उसने
चौथी बार रिवर्स ठुमका लगा दिया है और ये दायीं तरफ़ की जनता के कलेजे के पार। -पहला पावर प्ले शुरू होने वाला है। युवा चीयरबालाऒं को स्टैंड के सामने से हटाकार ठीक बैट्समैन के सामने लगा दिया गया है। बल्लेबाज को बहुत सावधान होकर खेलना होगा। ज़रा-सी चूक होते ही वे विकेट के नज़दीक से हटकर चीयरबाला के नज़दीक से होते हुए पवेलियन तक जा सकते हैं। -चीयरबालाओं के चेहरे पर आत्मविश्वास। पिछला मैच
उन्होंने, जो भारत की टीम लगभग हार चुकी थी, केवल अपनी चीयरिंग से जितवा दिया था।
उनको देखकर खिलाडियों की साँसें सेन्सेक्स की तरह ऊपर-नीचे हो रही हैं। आउट होने पर खिलाड़ी उछलता हुआ बाहर चला जाएगा। आने
वाले खिलाड़ी का मुँह लटका होगा। उसकी चीयर-चेन जो टूट गई है। खिलाड़ी भी कामना करेंगे- काश पानी बरस जाए तो
पवेलियन में टाँग पसार के चीयरफ़ुल हो जाएँ। होने को हो तो यह भी सकता है कि कल को चीयरबालाएँ
और चीयरबालकों का ही जलवा हो सकता है। यह जलवा इतना तक हो सकता है कि वे कहें - इन
खिलाडियों को रखो, इनको बाहर करो तभी हम चीयर करेंगे। अगर ये कम्बीनेशन रखेंगे तभी
हमारा चीयरइफ़ेक्ट काम करेगा। आपको शायद यह मजाक लग रहा होगा कि खिलाड़ी से ज्यादा उनका हौसला बढ़ाने वाले की औकात कैसे हो जायेगी। क्रिकेट है तो चीयरबालायें /चीयरबालक हैं। क्रिकेट ही नहीं होगा तो बालायें क्या करेंगी? मज़ाक तो हम कर ही रहे हैं। लेकिन लगता है कि यह हो भी सकता है। जब क्रिकेट में जीत हार को देश की जीत-हार मान लिया जाए। क्रिकेट में जीत गए तो मानो दुनिया जीत गए। सारा देश क्रिकेट के पीछे पगलाया घूमता है। इसके ग्लैमर के नशे में टुन्न। तो यह भी काहे नहीं हो सकता है। आखिर यह भी तो ग्लैमर है। ये चीज़ बड़ी है मस्त-मस्त। १ जून २००९ |