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शहर से कोसों दूर बढ़ापुर नाम का
एक गाँव है, गाँव में चौहान जाति के ठाकुर रहते हैं, पुराने
ज़मींदार थे। आज भी किसी-किसी के पास आठ-आठ दस-दस एकड़ ज़मीन
है। फसल भी अच्छी हो जाती है हर एक के खेत में टयूबवेल लगा है,
कुछ घर ब्राह्मणों के हैं जो खेती नहीं करते हैं खेत भी नहीं
है, कुछ और जातियों के घर भी हैं जो इन ज़मींदारों के घर पर
काम करते हैं, फसल पर कुछ अनाज मिल जाता है कुछ मजदूरी करते
हैं जहाँ भी आसपास काम मिल गया, कुल मिलाकर गाँव खुशहाल है।
इसी गाँव में राजेश नाम का एक किसान रहता है, कोई पैंतीस
छत्तीस साल का होगा, सात आठ साल पहले उसकी शादी हुई थी कमलेश
के साथ, कमलेश देखने में खूबसूरत थी, उसके पिता जी भी बड़े
ज़मींदार थे, राजेश के पिता नहीं थे, वह दस बारह साल पहले किसी
दुर्घटना में मारे गए। राजेश ने अपने चाचा चाची के साथ जाकर
कमलेश को देखा, देखते ही राजेश शादी को तैयार हो गया, होता भी
क्यों नहीं ऐसी सुन्दर लड़की और उसका बाप भी मालदार, शादी बड़े
धूमधाम के साथ सम्पन्न हो गई।
कमलेश को पाकर राजेश धन्य हो
गया, साल भर बाद उसने एक लड़के को जन्म दिया, जिसका कुलदीपक
नाम रखा, दो साल बाद एक लड़की हुई मीनाक्षी। |