पुरालेख तिथि-अनुसार। पुरालेख विषयानुसार हिंदी लिंक हमारे लेखक लेखकों से
SHUSHA HELP // UNICODE  HELP / पता-

 ९. २. २००९

इस सप्ताह वसंत विशेषांक में
भारत से सुभाष नीरव की कहानी चोट
सफदरजंग एअरपोर्ट के बस-स्टॉप से कुछ हटकर मोटरसाइकिल के समीप खड़े लड़के ने लड़की को अपने निकट आते देख कहा, ''आज कितनी देर कर दी तुमने।''
''हाँ, थोड़ी देर हो गई। सॉरी। बस ही देर से मिली।''
''थोड़ी देर?... पूरे एक घंटे से खड़ा हूँ।'' लड़का गुस्से में था, ''घर से ही देर से निकली होगी। किदवई नगर से एअरपोर्ट के लिए हर एक सेकेंड पर बस है।'' हेल्मिट पहन मोटर-साइकिल स्टार्ट कर लड़का बोला।
लड़की ने एक बार इधर-उधर देखा और फिर उचक कर लड़के के पीछे बैठ गई।
''कहाँ चलना है?'' मोटर-साइकिल के आगे सरकते ही लड़के ने पूछा।
''कहीं भी, पर यहाँ से निकलो।'' लड़की ने दायाँ हाथ लड़के के कंधे पर रख आगे सरकते हुए कहा।
''प्रगति मैदान या पुराना किला चलें?''
''कहीं भी, जहाँ तुम चाहो।''

*

ज्ञान चतुर्वेदी का व्यंग्य
रामबाबू जी का वसंत

*

महेश परिमल का ललित निबंध
वसंत कहाँ हो तुम

*

रमेश चंद से पर्व परिचय
वसंत पंचमी- साधना का संकल्प लेने का दिन

*

पूर्णिमा वर्मन का आलेख
मनबहलाव वसंत के

*

कथा महोत्सव - २००८
के परिणाम २३ फरवरी को घोषित किए जाएँगे

 

पिछले सप्ताह

रामेश्वर दयाल कांबोज का व्यंग्य
अफ़सर करे न चाकरी

*

रंगमंच में हृषिकेश सुलभ का आलेख
रंग अनुभवों का संरक्षण- देवेन्द्र राज अंकुर

*

डॉ. रामनारायण सिंह 'मधुर' के साथ पर्यटन
गोवा की गलियों में

*

स्वाद और स्वास्थ्य में
मधुर मक्का और सदाबहार सेब के विषय में

जानकारी की बातें

*

समकालीन कहानियों में भारत से
मनोरमा वफ़ा की कहानी गौरांगिनी

कीथ हॉल में कत्थक नृत्य देखकर जूली बौरा गई। नृत्य में तबले व सारंगी की लय के साथ घुँघरू की आवाज़ ने जूली के ह्रदय में ऐसा घर किया कि जूली भीड़ चीरती हुई ग्रीनरूम में पहुँच गई व नाचनेवाली मानसी देवी के बगल में खड़ी हो गई। उसने अपनी पर्स में रखी डायरी निकाली, दिल्ली के नृत्य केंद्र का पता नोट कर लिया और मन में तय कर लिया कि वह शीघ्र से शीघ्र कत्थक नृत्य सीखने भारत जाएगी और वह भी मानसी देवी के बताए पशुपति महाराज से। जूली हारवर्ड में मास्टर्स कर रही थी। अवकाश के समय लाइब्रेरी में जाकर भारत की नृत्य शैलियों का अध्ययन करने लगी। पैसे बचाने के लिए केवल एक ही समय खाना शुरू कर दिया व रहने के लिए सस्ता-सा कमरा ले लिया। हर समय चहचहानेवाली जूली रातों-रात बदल गई। भारत में नृत्य सीखने के संकल्प ने उसे एक शांत व्यक्तित्व प्रदान किया। दो वर्ष की कठिन तपस्या कर जूली ने सात हज़ार डॉलर जमा कर लिए,  हिसाब लगाया, एक लाख से ऊपर भारतीय रुपए।

अनुभूति में-
वसंत के रंगों में डूबी
अनेक विधाओं में नए पुराने कवियों की ढेर-सी वासंती
रचनाएँ

 

कलम गही नहिं हाथ- कार चलाना कुछ लोगों के लिए दिनचर्या है कुछ के लिए शौक और कुछ के लिए साहस प्रदर्शित करने का माध्यम... आगे पढ़े

 
रसोई सुझाव- आलू और प्याज को एक ही टोकरी में एक साथ न रखें। ऐसा करने से आलू जल्दी खराब हो जाते हैं।
 

नौ साल पहले- १५ नवंबर २००० के अंक से अरविंद गोखले की मराठी कहानी का हिन्दी रूपांतर- वधू चाहिए, रूपांतरकार हैं दीपिका जोशी 'संध्या'

 

इस सप्ताह विकिपीडिया पर
विशेष लेख- वसंत

 

क्या आप जानते हैं?
संगीत में एक विशेष राग वसंत ऋतु के नाम पर बनाया गया है जिसे राग बसंत कहते हैं।

 

शुक्रवार चौपाल- इस हफ़्ते चौपाल खुश है, मानो वसंत का उपहार हाथ लगा है। एक बड़ा थियेटर कम किराये पर साल भर के लिए...  आगे पढ़ें

 
सप्ताह का विचार- वसंत अपने आप नहीं आता, उसे लाना पड़ता है। सहज आने वाला तो पतझड़ होता है, वसंत नहीं। -हरिशंकर परसाई


हास परिहास

 

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़ें

 

Click here to send this site to a friend!

नए अंकों की पाक्षिक
सूचना के लिए यहाँ क्लिक करें

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंगपर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक। विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
अंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसर

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

 

 
Google


Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org

 

   

आँकड़े विस्तार में
१ २ ३ ५ ६ ७ ८ ९ ०