गरीबों का भोजन
मक्का अब अपने पौष्टिक गुणों के कारण अमीरों के
मेज की शान बढ़ाने लगा है। पहले भारत में यह केवल
निम्न वर्ग द्वारा ही खाया जाता था। अब कॉर्नफ्लैक
के रूप में अमीरों के नाश्ते और मध्यम वर्ग द्वारा
सूप, दलिया, रोटी और न जाने किन-किन रूपों में
उपयोग किया जाने लगा है।
प्रोटीन और
विटामिनों से भरपूर मक्का जहाँ शरीर को ऊर्जा
प्रदान करता है, वहीं यह बेहद सुपाच्य भी है। इसकी
ख़ासियत यह है कि हर रूप में इसमें पोषक तत्व
विद्यमान रहते हैं। कच्चे और पके रूप में तो यह
फ़ायदेमंद होता ही है। जब इसमें विद्यमान तेल
निकाल लिया जाता है और यह सूखे रूप में रह जाता है
तब भी इसके अवशिष्ट में वसा को छोड़कर शेष पोषक
तत्व विटामिन, प्रोटीन इत्यादि विद्यमान रहते हैं।
बच्चों के सर्वांगीण विकास में मक्के का प्रयोग
सहायक होता है।
ऐतिहासिक
साक्ष्यों से पता चलता है कि आज से दस हज़ार
वर्षों पूर्व सर्वप्रथम, मैक्सिको में भारतीयों
द्वारा ही इसकी उपज पैदा की गई थी। भारत में गेहूँ
के बाद मक्के का उत्पादन सर्वाधिक होता है।
अमेरिका इसका सर्वाधिक निर्यात करने वाला देश है।
मक्का विभिन्न
रूपों में प्रयोग में लाया जाता है। सर्दियों में
मक्के के आटे से रोटी बनाई जाती है। पंजाब की
मक्के की रोटी और सरसों का साग केवल उत्तर
भारतीयों द्वारा ही नहीं, बल्कि पूरे भारतवासियों
द्वारा शौक से खाया जाता है। बड़े-बड़े होटलों और
रेस्तरां में यह सर्दियों की ख़ास डिश बन जाती है।
मक्के के आटे में मूली या मेथी गूँधकर बनाई गई
रोटी मक्खन और दही के साथ अत्यंत स्वादिष्ट लगती
है। मक्के के आटे से पावरोटी, बिस्कुट तथा टोस्ट
भी बनाए जाते हैं।
कच्चे मक्के को
सुखाकर उसे दरदरा पीसकर दलिया बनाया जाता है। यह
दलिया दूध में पकाकर खाने से सुस्वादु होने के साथ
पौष्टिक भी होता है।
बरसात के मौसम
में भूना हुआ भुट्टा छोटे-बड़े सभी के मन को भाता
है। लोग भुट्टे के अलावा पॉपकार्न, भुने हुए मकई
के पक्के दाने के भी दीवाने होते हैं, जो साधारण
से भड़भूजे से लेकर बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा
बेचे जाते हैं। पका भुट्टा उबालकर इमली की चटनी के
साथ खाने में अत्यंत स्वादिष्ट लगता है। मक्के का
गरम-गरम सूप पीना हर मौसम में स्वास्थ्यवर्धक होता
है और स्वीट कार्न सूप का तो जवाब नहीं!
मक्का शर्बत,
मुरब्बा मिठाइयों और बनावटी मक्खन बनाने में
प्रयुक्त होता है और इसके रेशे मिट्टी के बर्तन,
दवाइयाँ, रंगरोगन, काग़ज़ की चीज़ें और कपड़े
बनाने के काम आते हैं। पशुओं के लिए खली के रूप
में भी यह प्रयुक्त होता है। हृदयरोग विशेषज्ञ
मक्के के तेल को खाद्य-पदार्थों में प्रयुक्त करने
की सलाह देते हैं। एक किस्म की शराब और बीयर बनाने
में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
मक्के में
विटामिन 'ए', 'बी-२', 'ई' फास्फोरस, पोटेशियम,
कैल्शियम, आयरन, आग्जैनिक आम्ल, नारसिन, फैट और
प्रोटीन पाया जाता है।
यह पेट के अल्सर
और गैस्ट्रिक अल्सर के छुटकारा दिलाने में सहायक
है साथ ही यह वज़न घटाने में भी सहायक होता है।
कमज़ोरी में यह बेहतर ऊर्जा प्रदान करता है और
बच्चों के सूखे के रोग में अत्यंत फायदेमंद है। यह
मूत्र प्रणाली पर नियंत्रण रखता है, दाँत मजबूत
रखता है और कार्नफ्लेक्स के रूप में लेने से
हृदयरोग में भी लाभदायक होता है। |