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 १२. १. २००९

इस सप्ताह-
समकालीन कहानियों में
भारत से देविंदर कौर की कहानी प्रायश्चित

मोहन ने कार स्टार्ट की, पान की गिलोरी को मुँह में एक तरफ़ दबाते हुए, उसके मन में कुछ विचार कौंधा और उसके होठों की मुस्कुराहट और अधिक गहरी हो गई। उसने कार का रुख भीड़ भरे बाज़ार की तरफ़ कर दिया। आज उसकी जेब में नोटों की गड्‍डियाँ भरी थीं व आँखों में सपने तैर रहे थे, कई चीज़ों की लिस्ट उसने मन ही मन दोहराई, जिन्हें आज वह उन रुपयों से ख़रीद लेना चाहता था, कई दिनों से उसका पैसा अटका था, यों तो काम हो जाने के कुछ ही दिन बाद उसे उसका रोकड़ा मिल जाता था, लेकिन इस बार काम तो ठीक-ठाक ही हुआ था, उसने व उसके साथियों ने बम सही रखा था, वह फट भी गया, लेकिन गलती से एक थैला उनके हाथों से फिसलकर वहीं गिर गया, भनक लगते ही उनका मालिक दुबई भाग गया था, अब वह मामला ठंडा पड़ने पर ही वापस आने वाला था। और इधर कुछ महीनों की तंगहाली ने उसकी हालत पतली कर दी थी। हाल ही में उसे काम का बड़ा भुगतान हुआ था, तभी मोहन की निगाहें खिलौनों की एक बड़ी-सी सजीधजी दुकान पर पड़ी। कुछ ही देर में नाचता बंदर, दुल्हिन गुड़िया, लाल गेंद आदि से भरे बैग उसकी गाड़ी को चार चाँद लगा रहे थे।

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डॉ. गोपाल बाबू शर्मा का व्यंग्य
पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के नुसख़े

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हीरालाल नागर की लघुकथा
विवशता

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पर्व परिचय में अश्विनी केशरवानी का आलेख
मकर संक्रांति- परंपराएँ और मान्यताएँ

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कला दीर्घा में कला और कलाकार के अंतर्गत
मनजीत बावा अपनी कलाकृतियों के साथ

 

पिछले सप्ताह

कृष्ण मोहन मिश्र का व्यंग्य
मेरा पुष्पक विमान

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शमशेर अहमद खान के साथ कन्याकुमारी पर्यटन
जहाँ तीन महासागर मिलते हैं

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सुशील कुमार सिंह का आलेख
रंगमंच और त्रासदी शून्य

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स्वाद और स्वास्थ्य में रोचक जानकारी
टमाटर और केले के विषय में

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समकालीन कहानियों में
भारत से मुकेश पोपली की कहानी अपील

"अवस्थी साहब, आपको साहब याद कर रहे हैं।" मैं अभी आकर अपनी सीट पर बैठा था। ब्रीफकेस खोल ही रहा था कि चपरासी ने आकर कहा।
मैं अपनी नेकटाई ठीक करता हुआ साहब के केबिन में दाखिल हुआ, "आपने बुलाया सर?"
"हाँ मिस्टर अवस्थी, प्लीज़ कम इन, आइए, मैं आपको ही याद कर रहा था, बैठिए।" उन्होंने अपने सामने पड़ी कुर्सी की ओर इशारा किया। मैं धन्यवाद कहता हुआ उस कुर्सी पर बैठ गया।
"मिस्टर अवस्थी, यह तो आपको पता ही है कि किस तरह से सड़क दुर्घटना में मिस्टर श्रेष्ठ का देहांत हो गया। अभी मेरे पास कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक का फ़ोन आया था। वह आज शाम को ही मिस्टर श्रेष्ठ के यहाँ जाकर उनके परिवार को मुआवज़ा देना चाहते हैं।" साहब ने एक सफ़ेद काग़ज़ जिस पर कुछ नोट किया हुआ था, पेपरवेट के नीचे से निकालते हुए कहा।
"मेरे लिए क्या आदेश है सर?"
"मैं चाहता हूँ कि आप मिस्टर श्रेष्ठ की विधवा के नाम से तीन लाख रुपए का चैक तैयार करवाएँ।" साहब ने अपनी बात पूरी कर दी थी।

अनुभूति में-
बुद्धिनाथ मिश्र, रमेश दीक्षित, तेजराम, चंद्रसेन विराट और सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की रचनाएँ

 

कलम गही नहिं हाथ- आजकल मैंने फिर से पाठशाला का रुख़ किया है। अब यह न पूछें कि क्या पढ़ा जा रहा है क्यों कि.... आगे पढ़े

 
रसोई सुझाव- करेले और अरबी को बनाने से पहले काटकर नमक के पानी में भिगो दें। करेले की कड़वाहट और अरबी की चिकनाहट निकल जाएगी।
 

नौ साल पहले- १५ अक्तूबर २००० के अंक से साहित्य संगम के अंतर्गत मॉरिशस से अभिमन्यु अनत शबनम की कहानी ज़हर और दवा

 

इस सप्ताह विकिपीडिया पर
विशेष लेख- साहित्य अकादमी पुरस्कार

 

क्या आप जानते हैं? साहित्य अकादमी पुरस्कार, सन १९५ से हर वर्ष भारतीय भाषाओं में साहित्य की उत्कृष्ट कृतियों को दिया जाता है।

 
शुक्रवार चौपाल- ९ जनवरी की चौपाल वर्सिलीज़ होटल के अबू शगारा क्लब में लगी जहाँ दस्तक नाटक का मंचन किया गया।  आगे पढ़ें...
 
सप्ताह का विचार- प्रकृति का तमाशा भी ख़ूब है। सृजन में समय लगता है जबकि विनाश कुछ ही पलों में हो जाता है। - ज़क़िया ज़ुबैरी


हास परिहास

 

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

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