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"अवस्थी साहब, आपको साहब याद
कर रहे हैं।" मैं अभी आकर अपनी सीट पर बैठा था। ब्रीफकेस खोल
ही रहा था कि चपरासी ने आकर कहा।
मैं अपनी नेकटाई ठीक करता हुआ साहब के केबिन में दाखिल हुआ,
"आपने बुलाया सर?"
"हाँ मिस्टर अवस्थी, प्लीज़ कम इन, आइए, मैं आपको ही याद कर
रहा था, बैठिए।" उन्होंने अपने सामने पड़ी कुर्सी की ओर इशारा
किया। मैं धन्यवाद कहता हुआ उस कुर्सी पर बैठ गया।
"मिस्टर अवस्थी, यह तो आपको पता ही है कि किस तरह से सड़क
दुर्घटना में मिस्टर श्रेष्ठ का देहाँत हो गया। अभी मेरे पास
कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक का फ़ोन आया था। वह आज शाम को ही
मिस्टर श्रेष्ठ के यहाँ जाकर उनके परिवार को मुआवज़ा देना
चाहते हैं।" साहब ने एक सफ़ेद काग़ज़ जिस पर कुछ नोट किया हुआ
था, पेपरवेट के नीचे से निकालते हुए कहा।
"मेरे लिए क्या आदेश है सर?" मैंने अपनी जिज्ञासा शांत करने के
लिए पूछा।
"मैं चाहता हूँ कि आप कंपनी के क्रय विभाग से पूरी 'डिटेल` ले
कर और रोकड़ विभाग को आदेश देकर यह कार्यवाही पूरी करें और
मिस्टर श्रेष्ठ की विधवा के नाम से तीन लाख रुपए का चेक तैयार
करवाएँ।" साहब ने अपनी बात पूरी कर दी थी।
"लेकिन सर, इसमें कोई कानूनी अड़चन...?"
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