शुषा लिपि
सहायता

अनुभूति

9. 1. 2003

कहानियां कविताएंसाहित्य संगम दो पल कला दीर्घा साहित्यिक निबंधउपहारपरिक्रमा
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लेखकों से

इस सप्ताह

नये युग की कहानियों के क्रम में दूसरी कहानी भारत से राजेश जैन की
प्रोग्रामिंग

ह इक्कीसवीं सदी के संध्याकाल का एक भारतीय महानगर हैं – सम्पूर्ण परिवेश 'इंटरनेट' की न दिखने वाली सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक तरंगों के गसे हुए जाल में बंधा पड़ा है।  'हार्ड प्लास्टिक' की दीवारों से बने हुए अपार्टमेंट्स में लोग बैठे–बैठे पूरा कारोबार कर रहे हैं।  सड़कों पर बाहर तभीं निकलते हैं जब पर्यटन की इच्छा हो या बदलाव के लिए वाकई किसीसे रूबरू मिलना हो, अन्यथा टी•वी• साइज के 'पावडा' (पर्सनल आडिओ विजुअल डिवाइस एपरेटस) घर–घर में कल्पवृक्ष की भांति लगे हैं और अपने कमाए हुए 'मेन मिनट्स' खर्च करके लोग अपने–अपने 'पावडा' से अपना अपना काम कर रहे हैं

°

परिक्रमा में 
दिल्ली दरवार के अंतर्गत भारत की
ताज़ातरीन घटनाओं का लेखा जोखा
बृजेश कुमार शुक्ला के शब्दों में
भारत में मेट्रो 
और सस्ती दूरसंचार सेवा


°

प्रेरक प्रसंग में
संसार में प्रणियों और वस्तुओं की
उपयोगिता के विषय में मानस त्रिपाठी
की प्रेरणाप्रद रचना
उपयोगिता

°

महानगर की कहानियां
में महानगर की संवेदनाओं को समेटती बसंत आर्य की लघुकथा
बारिश

°

रसोईघर में
नये वर्ष में प्रस्तुत है शाकाहारी मुगलई
का मस्त ज़ायका। इस अंक में 
प्रस्तुत कर रहे हैं
पनीर के सीक कवाब

1°1

सप्ताह का विचार

साधु अपनी उपयोगिता कर्म से प्रकट
करते हैं वाणी से नहीं।

— नैषधीय चरितम

 

पिछले सप्ताह

धारावाहिक में
अभिज्ञात की आत्मकथा तेरे बगैर
की अगली किस्त
खलासीटोला से बंदूक गली तक का सफर
°

हास्य व्यंग्य में
महेश द्विवेदी का लेख
मेरी प्रेमिका को लाओ
कार पाओ
°

पर्व परिचय में
मकर संक्रांन्ति के अवसर पर
डा गणेश कुमार पाठक की कलम से
विशेष लेख
मकर संक्रांति : एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण
°

फुलवारी में
कथाओं के क्रम में कन्नड़ लोककथा
पुण्यकोटि गाय
और कविता
खिड़की पर गमले
°

कंप्यूटर कहानियों के क्रम में पहली कहानी यू के से शैल अग्रवाल की
सूखे पत्ते

दो दिन बाद खुद ही पलाश ने अचानक
फिरसे वह ठंडी–बुझी राख कुरेद डाली
थी – यदि उसके अस्तित्व की, जीने की
बस यही एक शर्त है कि वह आजीवन
यूं अकेला – इस प्रोग्राम में – इस
कम्प्यूटर के अन्दर, इस कैद में घूमता
रहे, बिना बूढ़ा और बड़ा हुए – हर दर्द
और बेचैनी को महसूस  तो करे पर
कुछ कर न पाए, तो इस जीवन से, इस
अनुभव से, इस बिना स्पर्श और स्वाद
की जिन्दगी से –– क्या फायदा?  नहीं
चाहिए उसे यह बिना रूप और महक 
की बेस्वाद जिन्दगी।

निमंत्रण
अभिव्यक्ति की ओर से 'कथा महोत्सव 2003' के लिये भारत के नागरिक व निवासी  हिन्दी कथाकारों की कहानियां आमंत्रित की जाती हैं। कहानी का आकार 3000 शब्दों से 5000 शब्दों तक होना चाहिये। कहानी का विषय कुछ भी हो सकता है पर उसमें भारत के हवा–पानी की खुशबू होना ज़रूरी है।
   
विस्तृत सूचना

 

अनुभूति


नयी पुरानी दस सुंदर कविताओं 
की
प्रस्तुति
के साथ

–  साहित्य समाचार  –

° पिछले अंकों से °

कला दीर्घा में कला और कलाकार 
के अंतर्गत के के हेब्बार से परिचय उनकी कलाकृतियों के साथ

°
पर्व परिचय में क्रिसमस के विषय में
गीतांजलि सक्सेना का लेख
क्रिसमसःकुछ तथ्य

°
संस्मरण में रानी पात्रिक की मधुर
स्मृतियां
क्रिसमसः जो ढोलक की 
थाप पर पूरा हुआ

°
पर्यटन में वियना के दार्शनिक स्थलों
की जानकारी पर्यटक की कलम से
विचरना वियना में

°
फिल्म इल्म में इस माह की 
प्रमुख फिल्मों
कर्ज, रिश्ते, मसीहा 
और साथिया
से परिचय

°
कहानियों में

कहानियों में अन्विता अब्बी की
कहानी
रबरबैंड

°

सहित्य संगम में लक्ष्मी रमणन की
तमिल कहानी
का हिंदी रूपांतर
टूटा हुआ स्वर

°
परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत यूके से शैल अग्रवाल प्रस्तुत कर रही हैं बीते साल पर एक विहंगम दृष्टि अल्विदा दो
हज़ार दो

°

कनाडा कमान के अंतर्गत कैनेडा के
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झलक सुमन
घेई की कलम से
हिन्दी साहित्य सभा
की वार्षिक सांस्कृतिक संध्या
°1

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार 
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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेन  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन    
      सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया
  साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला