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हास्य व्यंग्य

  मेरी प्रेमिका को लाओ, कार पाओ
- महेशचंद्र द्विवेदी


यह किसी खोई हुई प्रेमिका की तलाश का ज्ञापन नहीं है, वरन साओ पाउलो निवासी राबर्टो बैरोस महाशय द्वारा अपनी रूठी प्रेमिका को मनाकर लाने वाले व्यक्ति को पुरस्कार स्वरूप अपनी कार एवं संपूर्ण सेविंग्स को दे देने की सर्व साधारण को दी गई सूचना है। विश्वास न हो तो ''२२, नवंबर, २००२'' का "दैनिक भास्कर" समाचार पत्र उठाकर देख लीजिए - ग्यारहवें पृष्ठ पर प्रकाशित समाचार इस प्रकार हैं -
'कहते हैं प्यार को पाने के लिए लोग कुछ भी दाँव पर लगा देते हैं। प्रेमियों की इसी क्लास को बिलांग करते हैं साओ पाउलो के राबर्टो बैरोस जिन्होंने अपनी रूठी प्रेमिका को मनाकर लाने वाले व्यक्ति को अपनी कार और सारी सेविंग्ज देने का वादा किया है। कुछ दिनों पूर्व अपनी प्रेमिका लिएन से उनकी तकरार हुई थी और वह उन्हें छोड़कर चली गई थीं और मान-मनौवल पर भी वापस न आई। उन्होंने अख़बार में यह विज्ञापन दिया है कि जो भी लिएन को मनाकर लाएगा, उसे वह अपनी १९८८ माडल की कार और सारी सेविंग्ज इनाम मे दे देंगे।"

सचमुच प्यार की ऐसी मिसाल इतिहास में कहीं नहीं मिलेगी - चाहे सोहनी और महिवाल ने प्यार के लिए अपनी जान दे दी हो, या तुलसीदास पत्नी से मिलने की व्याकुलता में रस्सी को साँप समझकर छत पर चढ़ गए हों, अथवा प्रिंस एडवर्ड ने प्रेमिका के लिए ब्रिटेन का साम्राज्य त्याग दिया हो, परंतु किसी ने अपनी कार और पूरी सेविंग्ज दाँव पर लगा दी हो, ऐसा कभी सुना नहीं गया है। चूँकि यह महान त्याग भविष्य के प्रेमियों के लिए उदाहरण बनेगा, अत: इस विषय में गंभीर चिंतन की आवश्यकता हैं।

अगर आप पश्चिमी देशों का भ्रमण कर चूके हैं तो आप जानते ही होंगे वहाँ दस वर्ष से पुरानी कार कोई धुना-जुलाहा ही चलाता है। उसके पहले ही गाड़ी या तो नई माडल के शौक के कारण बदल दी जाती है, नहीं तो वह इतनी धुआँने लगती है कि उसे वार्षिक फिटनेस का सर्टीफ़िकेट ही नहीं मिलता है। और अगर आप की गाड़ी अनफिट घोषित हो जाय तो उसे कबाड़ी भी नहीं ख़रीदता है क्यों कि वहाँ लोहा-लंगड़ किसी भी भाव नहीं बिकता है। अत: ऐसी गाड़ी को डिस्कार्ड करने का उत्तरदायित्व गाड़ी के मालिक पर आता है।

अब अगर हिंदुस्तान में ऐसी समस्या आए तो गाड़ी की नंबर प्लेट हटाकर कहीं एकांत में सड़क किनारे या किसी के बाग़-बगीचे में चुपचाप छोड़कर मुस्कराते हुए चले आइए, कि कल तक पुलिस वाले उसे उठा ले जाएँगे और चोरी की गाड़ी की बरामदगी का यश कमाकर फ़ाइल बंद कर देंगे। पर पश्चिमी देशों की पुलिस तो गाड़ी की जाँच कर मालिक तक पहुँच ही जाती है और न केवल गाड़ी को टो करने का तमाम खर्चा उससे वसूल करती है वरन उस पर लंबा चौड़ा फ़ाइन भी ठोंक देती है।

वहाँ ऐसी गाड़ी के डिस्पोज़ल का एक ही उपाय होता है कि जंकयार्ड के मालिक को किराया भरकर गाड़ी को वहीं पहुँचा दिया जाय। सो जहाँ तक प्रेमिका को मनाकर वापस लाने वाले को अपनी १९८८ माडल की गाड़ी इनाम में देने की बात है, मुझे बैरोस साहब की नीयत पर गंभीर शक है कि कहीं वह अपनी अनफिट गाड़ी के फ्री डिस्पोजल का तरीका तो नहीं ढूंढ़ रहे हैं।

बैरोस साहब ने अपनी सारी सेविंग्ज भी उस भलेमानुस के नाम कर देने का वादा किया है जो उनकी रूठी प्रेमिका को मनाकर लाए। प्रश्न तो यह उठता है पश्चिमी देशों के कितने प्रेमियों के पास सेविंग्ज़ होती हैं। सेविंग्ज़ तो तब हो जब प्रेमिकाएँ रहने दें - उनके साज-श्रृंगार, होली डे एवं कारों के शौक प्राय: बेचारे प्रेमियों को किसी क्रेडिट कार्ड, ट्रैविल एजेंसी अथवा कार कंपनी का ऋणी बनाए रखते हैं। इसके अतिरिक्त प्रेमिकाएँ जब तनफनाते हुए घर छोड़कर जाती हैं तो कोई खाली हाथ थोड़े ही जाती हैं - प्रेमी जीव के घर में बची खुची पूँजी को पहले हथियाने के बाद ही जाती हैं। इसलिए मुझे तो लगता है कि बैरोस साहब न केवल फटे-नंगे गिरधारी होंगे वरन कई फाइनेंस कंपनियों के ऋणी भी होंगे, और उन ऋणों की अदायगी किसी अन्य के माथे मढ़ने के तरीके के रूप में बैरोस साहब ने अपनी पुरानी कार के साथ अपनी पूरी सेविंग्ज़ भी देने का वादा किया है। नहीं तो सोचने की बात है कि जब बैरोस साहब अपनी पूरी सेविंग्ज़ इनाम मे दे चुके होंगे और उनके पास फूटी कौड़ी भी नहीं बचेंगी, तो प्रेमिका उनके पास क्या झक मारने आएगी। अब भई अगर उनकी पुरानी कार को जंकयार्ड में जमा करने और उनके ऋणों की अदायगी अपने माथे लेने का शौक आप को हो, तो उनकी प्रेमिका को मनाने अवश्य जाओ।

मैं मानता हूँ कि वृंदावन की गोपियों ने कृष्ण को वापस वृंदावन बुलाने हेतु उधो को भेजा था, परंतु प्रेमिका को मनाने हेतु दूसरे पुरुषों को लगाने की विधि अपने में अनूठी है। इससे सबके अधिक माथा ठनकाने वाली बात यह है कि बैरोस साहब की प्रेमिका को मनाने मे जो पुरुषरत्न सफल होगा, वह बैरोस साहब से हर तरह से अधिक योग्य तो होगा ही। अब बताइए कि प्रेमिका जी जब उस पुरुष के पटाने की कला से पटेंगी ही तो बैरोस साहब के लिए क्यों पटेंगी, उसी पटाने वाले के लिए क्यों नहीं पट जाएँगी। मुझे तो लगता है कि बैरोस साहब ने अपनी पुरानी कार एवं ऋणात्मक सेविंग्ज के साथ अपनी पुरानी प्रेमिका से भी छुटकारा पाने के गूढ़ उद्येश्य से ही इस प्रकार का विज्ञापन निकाला है।

मैंने समय रहते सावधान करना कर्तव्य समझा है - फिर भी अगर आप को पुरानी वस्तुएँ बटोरने का शौक हो, तो आप बेधड़क लग जाइए बैरोस साहब की प्रेमिका जी को ढूँढ़ने में।

 
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