एक राजा था। उसने आज्ञा दी कि
संसार में इस बात की खोज की जाय कि कौन से जीव-जंतु
निरुपयोगी हैं। बहुत दिनों तक खोज बीन करने के बाद उसे
जानकारी मिली कि संसार में दो जीव जंगली मक्खी और मकड़ी
बिल्कुल बेकार हैं। राजा ने सोचा, क्यों न जंगली मक्खियों और
मकड़ियों को ख़त्म कर दिया जाए।
इसी बीच उस राजा पर एक अन्य
शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर दिया, जिसमें राजा हार गया और
जान बचाने के लिए राजपाट छोड़ कर जंगल में चला गया। शत्रु के
सैनिक उसका पीछा करने लगे। काफ़ी दौड़-भाग के बाद राजा ने
अपनी जान बचाई और थक कर एक पेड़ के नीचे सो गया। तभी एक
जंगली मक्खी ने उसकी नाक पर डंक मारा जिससे राजा की नींद खुल
गई। उसे ख़याल आया कि खुले में ऐसे सोना सुरक्षित नहीं और वह
एक गुफ़ा में जा छिपा। राजा के गुफ़ा में जाने के बाद
मकड़ियों ने गुफ़ा के द्वार पर जाला बुन दिया।
शत्रु के सैनिक उसे ढूँढ ही
रहे थे। जब वे गुफ़ा के पास पहुँचे तो द्वार पर घना जाला देख
कर आपस में कहने लगे, "अरे! चलो आगे। इस गुफ़ा में वह आया
होता तो द्वार पर बना यह जाला क्या नष्ट न हो जाता।"
गुफ़ा में छिपा बैठा राजा
ये बातें सुन रहा था। शत्रु के सैनिक आगे निकल गए। उस समय
राजा की समझ में यह बात आई कि संसार में कोई भी प्राणी या
चीज़ बेकार नहीं। अगर जंगली मक्खी और मकड़ी न होतीं तो उसकी
जान न बच पाती। इस संसार में कोई भी चीज़ या प्राणी बेकार
नहीं। हर एक की कहीं न कहीं उपयोगिता है।
-मानस त्रिपाठी |