कथा
महोत्सव
२००२
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प्रवासी भारतीय लेखकों की कहानियों की शृंखला
में प्रस्तुत है
यू एस ए से
सुरेन्द्रनाथ तिवारी की कहानी
उपलब्धियाँ
मैं
मन ही मन सोच रहा था इंजीनियरिंग कालेज का टापर, कोर ऑफ इंजीनियर्स
का ब्रिगेडियर, किस तरह अपने गरूर को ताक पर रख कर टेकनीशियन की
नौकरी करता होगा।
वे शायद मेरी चुप्पी के चलते मेरे
मन का दर्द भाँप गये थे, बोलते गये "बड़ी कोशिश की, इस उमर में कोई
नई चीज पढ़ भी नहीं सकता और यहाँ इस देश की डिग्री के बिना कोई
इज्जत की नौकरी भी नहीं मिलती। खैर संजय अच्छा कर रहा है,
यही मेरी उपलब्धि है।"
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कनाडा से अश्विन गांधी की कहानी
अनजाना सफर
एक
कश लोगे, अमर?' गहरा कश ले कर जेनेट ने अपनी सिगरेट अमर की ओर
बढ़ाई।
'मैं सिर्फ एक ही ब्रान्ड की सिगरेट पीता हूँ। जब भी ब्रान्ड बदली है,
सरदर्द को दावत दी है। मगर, तुम्हारी सिगरेट कुछ अलग सी दिखती है।
क्या कोई स्पेशियल चीज़ है?' अमर ने जेनेट की सिगरेट अपने हाथ में
ली।
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अगले अंक में यूके से शैल
अग्रवाल की कहानी वापसी
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'वतन से दूर'
यदि आप भी प्रवासी हैं, कहानी लिखते हैं तो पीछे न रहें।
आपकी कहानी में आपके देश की खुशबू ज़रूर हो। कहानी हमें ३१ अगस्त
तक अवश्य मिल जानी चाहिये।
चुनी हुयी कहानियों को अभिव्यक्ति के जाल संकलन 'वतन से दूर' में
प्रकाशित किया जाएगा।
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