गौरवगाथा में
गजानान माधव मुक्तिबोध की कहानी
ब्रह्मराक्षस का शिष्य
वह एकदम, बात करनेवालों के पास खड़ा हुआ। हाथ जोड़े, माथा जमीन पर टेका।
चेहरे पर आश्चर्य और प्रार्थना के दयनीय भाव! कहने लगा, ' हे विद्वानों!
मैं मूर्ख हूँ। अपढ़ देहाती हूँ किन्तु ज्ञान–प्राप्ति की महत्वाकांक्षा
रखता हूँ। हे महाभागो! आप विद्यार्थी प्रतीत होते हैं। मुझे विद्वान गुरू
के घर की राह बताओ।'
रत्न रहस्य में
रत्न चिकित्सा से संबंधित लेखों में
ट्यूमर
के बारे में डा वी के जैन के सुझाव
°
कला दीर्घा में
कला और कलाकार के अंतर्गत
बी प्रभा
अपनी दो सुंदर कलाकृतियों के
साथ
°
वास्तु विवेक में
विमल झाझरिया का आलेख
भू खण्डों का चुनाव
°
फुलवारी में
दर्शन सिंह आशट की कहानी
गोटू और मोटू
और पूर्णिमा वर्मन की कविता
मसखरे
|
साहित्य संगम में
इंदुलता महान्ति की उड़िया कहानी का
हिन्दी रूपांतर
सुरभित संपर्क
लोकल ट्रेन में उस समय
सुचरिता ने नया–नया ही जाना शुरू किया था। महानगर में उसको रहते और नौकरी
करते कुछ महीने हो गये थे, फिर भी सुचरिता अपने चतुर्दिक परिवेश से अछूती
थी। घर एवं ऑफिस के निरापद और भद्र परिवेश के अंदर रहकर दुनिया के
प्रतियोगितापूर्ण धक्कों के बारे में वह अनभिज्ञ थी। इतनी भीड़, प्रत्येक
स्टेशन पर गाड़ी एक निर्दिष्ट समय के लिए रूकेगी, यह सभी जानते, पर एक साथ
चढ़ने की होड़ लग जाती।
°
परिक्रमा में
दिल्ली दरबार में भारत की विभिन्न
घटनाओं के साथ बृजेशकुमार
शुक्ला की रपट
सीमा पर सेनाएं
°
रसोईघर में
मिठाइयों में प्रस्तुत है
बदाम
बर्फ़ी
की व्यंजन विधि और नमकीन में
आलू की
टिक्की
°
प्रेरक प्रसंग में
राजकुमार पासवान की
बुद्धिमान कौन
|
अनुभूति में |
|
सत्येन्द्र सिंह,
अमर गुप्ता और बृजेश कुमार शुक्ला की नई कविताएं
|
पिछले
अंक से-
कहानियों में
भारत से संतोष गोयल की कहानी
घर
°
पर्यटन में
पर्यटक के साथ बर्लिन की यात्रा
और मनोरम चित्र
रोमानिया
°
संस्मरण में
वीरेन्द्र मिश्र के विषय में रूपम मिश्र
का भावभीना संस्मरण
राग यात्री
°
परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत यू के से
शैल अग्रवाल का आलेख
जहाँ तक नज़र जाए
°
घर परिवार में
दीपिका जोशी बता रही हैं
साथ खाना
खाने के ढेर से फायदे
°
पर्व परिचय में
अजयेन्द्रनाथ त्रिवेदी का आलेख
रंगाली बिहुःगीतों का रसभाव
|