पुराने अंक तिथि-अनुसार   //   पुराने अंक विषयानुसार 
फेसबुक पर   // तुक कोश // शब्दकोश // लेखकों से


१. १. २०२४ 

   

साहित्य और संस्कृति में-         

समकालीन कहानियों में
इस माह प्रस्तुत है-
भारत से अमिता नीरव की कहानी
परम आनंद

रात भर रह-रहकर पानी बरसता रहा। यों ये बारिश का मौसम नहीं है, जनवरी बीत रहा है, लेकिन मावठा इन्हीं दिनों पड़ता है। नींद और जागने का क्रम बारी-बारी से चला... फिर नींद लगी। जाने कितनी देर रही और अब नींद पूरी तरह से खुल गई है, इस अँधेरे कमरे में आँखों से टटोल कर सब कुछ देखना चाह रहे हैं, अश्विन। थोड़ी देर इस इंतजार में दम साधे रहे कि शायद सुबह का उजाला नजर आए...
लेकिन बहुत एहतियात से उन्होंने अपना बिस्तर छोड़ दिया। किचन में जाकर चाय बनाई और ड्राईंग रूम में लगी बॉलकनी में जाकर बैठ गए। बाहर के अँधेरे को देखकर लग रहा था, जैसे अभी पौ फटने में वक्त है। एक बार फिर उन्हें लगा हमेशा कल्पनाओं के आगे हकीकतें फीकी होती हैं। जब काम करते थे, लगता था कब रिटायर हो जाएँ, जब रिटायर हो जाएँगे तब वह सब करेंगे, जिसके लिये तरसते थे। काम करते हुए तरस गए थे। देर तक सोना, देर रात तक जागना, खूब फ़िल्में देखना और बहुत सारा वक्त बस रेडियो सुनना.. आगे-

***

धर्मपाल महेन्द्र जैन
का व्यंग्य- गणतत्र के तोते  
***

शुचि अग्रवाल का संस्मरण
अध्यात्म गुरू भारत से विदेशियों का लगाव
***

 अंतरा करवड़े का दृष्टिकोण 
आइने के पार जाने का समय
***

पुनर्पाठ के अंतर्गत शुभकामनाओं से भरपूर
पूर्णिमा वर्मन की रचना- नये साल का शुभ दुलार

***

अनुभूति में- मकर संक्रांति विशेषांक में अनेक विधाओं में लिखी गयी विभिन्न रचनाकारों की मोहक रचनाएँ।

स्थायी स्तंभों में-

गृह सज्जा में- बालकनी, जिसे हम छज्जा कहते हैं भारतीय शैली में सजा हो परंपरा का घना सौंदर्य देखते ही बनता है। इस अंक में- हैंडलूम में सजा सुखद स्वर्ग

रसोईघर में- हमारी रसोई संपादक शुचि अग्रवाल इस माह प्रस्तुत कर रही हैं संक्रांति के अवसर पर विशेष रूप से तैयार-  तिल की बर्फी

बागबानी में- वे बारह पौधे जो पानी मे भी सुगमता से बढ़ते है। इस अंक में प्रस्तुत है- सौभाग्य का प्रतीक बाँस

स्वाद और स्वास्थ्य में- शाकाहारी भोजन में प्रोटीन के लिये महत्वपूर्ण बारह दालें जो अंतरराष्ट्रीय रूप से लोकप्रिय हैं। इस आंक में प्रस्तुत है- चने की दाल

बतरस से लिखवट तक - रतन मूलचंदानी के फोटो निबंध अलबेले फूलों की शृंखला में इस माह जाने- पिक कार्पेट के विषय में

प्रवासी देशों से लघुकथाएँ- लघुकथाओं के इस क्रम में, इस माह प्रस्तुत है संयुक्त अरब इमारात से अनु बाफना की लघुकथा झूठ अच्छे होते हैं।

वर्ग पहेली-३६९
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि आशीष के सहयोग से

नवगीत संग्रहों और संकलनों से परिचय की शृंखला में- मधु शुक्ला के नवगीत संग्रह- आहटें बदले समय की का परिचय डॉ. ओमप्रकाश सिंह की कलम से।

हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग
घर–परिवार नाटक परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई विज्ञान वार्ता
कलम गही नहिं हाथ दो पलबतरस से लिखवट विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरणचुटकुले
डाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसर

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक माह के पहले सप्ताह मे प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : रतन मूलचंदानी
 पता-

Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org