अभिव्यक्ति में
उषा राजे
की रचनाएँ
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उषा राजे सक्सेना
इंग्लैंड में प्रवासी भारतीय के रूप में जीवन-यापन करने वाली
जानी मानी लेखिका उषा राजे का पूरा नाम उषा राजे सक्सेना है। वे सर्जनात्मक
प्रतिभा-संपन्न एक ऐसी लेखिका हैं जिनके साहित्य में अपने देश, सभ्यता, संस्कृति,
तथा भाषा के प्रति गहरे और सच्चे राग के साथ प्रवासी जीवन के व्यापक अनुभवों और गहन
सोच का मंथन मिलता है जिससे एक नई जीवन-दृष्टि विकसित होती है। उषा जी की कहानियाँ
घटनाओं के माध्यम से अत्यंत गहरे प्रवासी यथार्थ-बोध का मनोवैज्ञानिक परिचय देती है।
हिंदी के प्रचार-प्रसार से जुड़ी उषा राजे सक्सेना का लेखन
(हिंदी, अंग्रेज़ी) इस सदी के आठवें दशक में साउथ लंदन के स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं
एवं रेडियो प्रसारण के द्वारा प्रकाश में आया तदनंतर आपकी कविताएँ, कहानियाँ एवं
लेख आदि भारत, अमेरिका, एवं योरोप के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहे। आपकी कई
रचनाएँ विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदित हो चुकी है। कुछ रचनाएँ जापान के ओसाका
विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित हैं।
उषा राजे जी ब्रिटेन की एक मात्र हिंदी की साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका 'पुरवाई' की
सह-संपादिका तथा हिंदी समिति यू.के. की उपाध्यक्षा है। तीन दशक, आप ब्रिटेन के बॉरो
ऑफ मर्टन की शैक्षिक संस्थाओं में विभिन्न पदों पर कार्यरत रही हैं। आपने बॉरो ऑफ
मर्टन के पाठ्यक्रम का हिंदी अनुवाद किया।
प्रमुख कृतियाँ
काव्य-संग्रह : 'विश्वास की रजत
सीपियाँ,' 'इंद्रधनुष की तलाश में'।
संकलन में : 'मिट्टी की सुगंध' (ब्रिटेन के प्रवासी भारतवंशी लेखकों का
प्रथम कहानी-संग्रह)
कहानी संग्रह : प्रवास में, वॉकिंग पार्टनर, वह रात और अन्य कहानियाँ।
संपर्क :
usharajesaxena@hotmail.com
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