अभिव्यक्ति में सूर्यबाला
की
रचनाएँ
संस्मरण में
एक छोटी यात्रा : एक नन्हीं सहयात्री
गौरव गाथा में-
कहानियों
में-
व्यंग्य
में-
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सूर्यबाला
जन्म- २५ अक्तूबर १९४३ वाराणसी में।
शिक्षा- वाराणसी विश्वविद्यालय
से हिंदी साहित्य में पीएच. डी.।
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कार्यक्षेत्र- कार्य का प्रारंभ आर्य महिला विद्यालय में अध्यापन से। १९७२
में पहली कहानी सारिका में प्रकाशित। १९७५ में बंबई आने के बाद लेखन में विशेष
प्रगति। १९७५ में प्रकाशित पहला उपन्यास मेरे संधिपत्र विशेष रूप से चर्चित। डॉ.
सूर्यबाला ने अभी तक १५० से अधिक कहानियाँ, उपन्यास, व हास्य व्यंग्य लिखे हैं।
इनमें से अधिकांश हिंदी की प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। अनेकों
आकाशवाणी व दूरदर्शन पर प्रसारित हुए हैं और बहुतों का देश विदेश की अनेक भाषाओं
में अनुवाद हुआ है।
देश विदेश के रेडियो व
टीवी चैनलों से उन्होंने अपनी रचनाओं का पाठ किया है और अनेक रचनाएँ
कक्षा आठ से लेकर स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर तक के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं।
समकालीन कथा साहित्य में सूर्यबाला का लेखन अपनी विशिष्ट भूमिका और महत्त्व रखता
है। समाज, जीवन, परंपरा, आधुनिकता एवं उससे जुड़ी समसयाओं को सूर्यबाला एक खुली,
मुक्त और नितांत अपनी दृष्टि से देखने की कोशिश करती हैं। उसमें न अंध श्रद्धा है न
एकांगी विद्रोह।
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सम्मान-पुरस्कार: साहित्य में
योगदान के लिए प्रियदर्शिनी पुरस्कार, घनश्याम दास सराफ़ पुरस्कार,
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, काशी
नागरी प्रचारिणी सभा, सतपुड़ा लोक संस्कृति परिषद, अभियान, मुंबई विद्यापीठ,
व्यंग्य-श्री पुरस्कार, रत्नीदेवी गोइन्का वाग्देवी पुरसकार, राजस्थान लेखिका मंच
वाग्मणि सम्मान, आजीवन उपलब्धि सम्मान, सवजन, हरिशंकर परसाईं स्मृति सम्मान,
अभियान, आरोही, अखिल
भारतीय कायस्थ महासभा, आदि संस्थाओं से सम्मानित।
आपका व्यक्तिगत जालघर यहाँ है।
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प्रमुख कृतियाँ -
उपन्यासः 'मेरे संधि पत्र', 'सुबह के इंतज़ार तक',
'अग्निपंखी', 'यामिनी-कथा', 'दीक्षांत '
कहानी संग्रहः 'एक इंद्रधनुष', 'दिशाहीन', 'थाली भर चाँद', 'मुँडेर पर',
'गृह-प्रवेश', 'सांझवाती', 'कात्यायनी संवाद', 'इक्कीस कहानियाँ',
पाँच लंबी कहानियाँ, सिस्टर प्लीज आप जाना नहीं, मानुषगंध, वेणु का नया घर,
'प्रतिनिधि कहानियाँ', 'सूर्यबाला की प्रेम कहानियाँ', 'इक्कीस श्रेष्ठ कहानियाँ', 'समग्र
कहानियाँ' आदि।
व्यंग्यः 'अजगर करे न चाकरी', 'धृतराष्ट्र टाइम्स', 'देशसेवा के अखाड़े में',
'भगवान ने कहा था', 'झगड़ा निपटारक दफ़तर', ।
दूरदर्शन धारावाहिक: 'पलाश के फूल', 'न, किन्नी न', 'सौदागर दुआओं के', 'एक
इंद्रधनुष जुबेदा के नाम', 'सबको पता हैं', 'रेस' तथा' निर्वासित' आदि प्रमुख हैं।
सज़ायाफ्ता कहानी पर बनी टेलीफ़िल्म पुरस्कृत।
संपर्क :
anurag_lal@hotmail.com |