वे पुराने धारावाहिक
जिन्हें लोग आज तक
नहीं भूले
११- सुरभि
सुरभि भारतीय टीवी का पहला
सांस्कृतिक पत्रिका शो था, जिसका प्रसारण पहले दूरदर्शन और
उसके बाद स्टार प्लस में होने लगा। यह १९९३ से २००१ तक
चला। इसके निर्देशक थे अभिलाष भट्टाचार्य और इसे प्रस्तुत
करते थे सिद्धार्थ काक और रेणुका शाहाणे। सुरभि का निर्माण
काक के मुंबई स्थित प्रोडक्शन हाउस सिनेमा विजन इंडिया
द्वारा किया गया था और इसका केंद्रीय विषय भारतीय संस्कृति
थी। यह शो भारत की सबसे लंबी चलने वाली सांस्कृतिक
श्रृंखला होने का गौरव भी रखता है और भारतीय टेलीविजन के
इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी दर्शकों की प्रतिक्रिया
प्राप्त करने के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल
है। सुरभि का शीर्षक संगीत प्रशंसित भारतीय संगीतकार और
शास्त्रीय वायलिन वादक डॉ. एल. सुब्रमण्यम द्वारा रचा गया
था। भारतीय सहकारी डेयरी अमूल ने इसे लंबे समय तक
प्रायोजित किया। इसकी लोकप्रियता के कारण ही स्टार प्लस ने
इसके अधिकार खरीदे और अपने चैनल पर दिखाना आरंभ किया।
सुरभि पहला कार्यक्रम था जिसमे एपिसोड के अंत में एक
प्रश्न पूछा जाता था जिसका उत्तर पोस्टकार्ड पर लिख कर
भेजना होता था। पोस्टकार्ड बनाने में सरकार को खर्च ज्यादा
होता था, फिर भी जनता के लिये इसे १५ पैसे में बेचा जाता
थे। सुरभि इतना लोकप्रिय था कि हर महीने लाखों पोस्टकार्ड
इनके नाम से जाने लगे। फिर इस तरह के प्रश्न-उत्तर के लिए
डाक विभाग ने अलग से २ रुपये का पोस्टकार्ड निकाला। कभी
कभी ऐसा भी हुआ कि एक सप्ताह में सबसे ज्यादा १५ लाख उत्तर
मिले, इसके विपरीत ऐसा भी हुआ कि एक सप्ताह में हज़ारों
उत्तर मिले पर सही उत्तर सिर्फ एक था। उस समय इंटरनेट नही
होता था तो सही उत्तर का पता लगाना बहुत आसान नहीं था। सही
उत्तर जानने के लिए सही किताब को ढूँढना कठिन काम था। आज
भी यूट्यूब पर इसके एपिसोड मिल जाएँगे। इसका शीर्षक संगीत
भी अत्यंत कर्णप्रिय था।
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