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वे पुराने धारावाहिक
जिन्हें लोग आज तक
नहीं भूले
८- रजनी
साल १९८५ में दूरदर्शन पर प्रसारित 'रजनी' सीरियल ने एक
नयी पृष्ठभूमि और विषय वस्तु के कारण बहुत लोकप्रियता
प्राप्त की। रजनी में प्रिया तेंदुलकर की मुख्य भूमिका थी।
सीरियल में उस दौर के ढीले रवैये वाले ऑफिसों और
कर्मचारियों में जागरुकता लाने की कोशिश दर्शकों को खूब
भाई। इसे करन राजदान ने लिखा और वासु चैटर्जी ने निर्देशित
किया था। रजनी के पति की भूमिका उनके वास्तविक पति करन
राजदान ने निभाई थी और पुत्री की भूमिका बाल कलाकार बेबी
गुड्डु ने। धारावाहिक का शीर्षक गीत आशा भोंसले ने गाया
था। इसके निर्माता थे आनंद महेन्द्रू।
रजनी एक गृहिणी थी जो सरकार में छाए ढीले रवैए के खिलाफ
हर एपीसोड में आवाज उठाती थी। घरेलू हिंसा का मुद्दा हो या
भ्रष्टाचार का रजनी हर स्थिति में आत्मबल और सूझबूझ का
परिचय देते हुए उसे सुलझाने की समझ रखती थी। हर एक एपिसोड
में एक नए मुद्दे के साथ एक ही सीख दी जाती थी कि- बुराई
को सिर्फ पहचानना काफी नहीं होता बल्कि उसे खत्म करने की
कोशिश की आवश्यकता भी होती है।
रजनी के पात्र में एक अनछुआ पहलू यह भी था कि आमतौर पर
घरेलू महिलाओं के समाज में योगदान को न सिर्फ नजरअंदाज
किया जाता है बल्कि नकारा भी जाता है। रजनी एक गैर-कामकाजी
महिला होने पर भी ऐसे मुद्दों पर समझ और सोच रखती है जिनके
खिलाफ पुरुष भी चुप्पी साध लेते हैं।
गैस सिलिंडर की सप्लाई में धांधली और टैक्सी चालकों द्वारा
समाज को परेशान करने वाले एपिसोडों का प्रभाव यह हुई कि
गैस कंपनियों और टैक्सी चालकों द्वारा इसका खुलकर विरोध
किया जाने लगा। इन सभी विरोधों के बावजूद रजनी की
लोकप्रियता हर नए एपीसोड और समस्या के अपने तरीके से खोजे
जाने वाले हल के साथ बढ़ती गई। रजनी की लोकप्रियता का आलम
यह थी कि स्वयं तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री को रजनी
सीरियल बंद किए जाने संबंधी अफवाहों पर बयान देना पड़ गया।
इसके पहले सीजन का पहला एपिसोड १ जनवरी १९८५ को प्रसारित
हुआ था। इसके दो सीजन थे और प्रत्येक सीजन में १३ एपिसोड
प्रसारित हुए। हर एपिसोड २२ मिनट का था।
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