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वे पुराने धारावाहिक
जिन्हें लोग आज तक नहीं भूले


४- विक्रम और वेताल
 

११वीं शती के कश्मीरी साहित्यकार महाकवि सोमदेव भट्टराव की वेताल पञ्चविंशति' (हिंदी में 'बेताल पच्चीसी') पर आधारित विक्रम और वेताल वर्ष १९८५ के अत्यंत लोकप्रिय धारावाहिकों में से एक था। इसमें प्रमुख भूमिका राजा विक्रमादित्य के रूप में अरुण गोविल ने, भिक्षुक की भूमिका अरविंद त्रिवेदी ने और वेताल के रूप में सज्जन ने निभाई थी। इनके साथ दीपिका चिखलिया, विजय अरोड़ा, रमेश भाटकर, मूलराज राजदा, समीर राजदा, रजनीबाला, सुनील लहरी, लिलिपुट, रमा विज, सतीश कौल और सुरजीत मोहंती विभिन्न भूमिकाओं में थे। इसके निर्माता थे रामानंद सागर। 'विक्रम और बेताल' धारावाहिक का पहला अंक १३ अक्टूबर १९८५ को और अंतिम एपिसोड १६ अप्रैल १९८६ को दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था। इसका हर एपिसोड लगभग २२ मिनट का था और इसके २६ एपिसोड बनाए गए थे। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को पसंद आने वाला यह धारावाहिक रविवार शाम साढ़े चार बजे प्रसारित होता था।

इस धारावाहिक में बुद्धिमान राजा विक्रमादित्य को चालाक भूत बेताल द्वारा बताई गई रहस्य और रोमांच से भरपूर २५ कहानियाँ हैं। महाकवि सोमदेव भट्ट द्वारा रचित वेताल पंचविंशति का स्रोत राजा सातवाहन के मन्त्री “गुणाढ्य” द्वारा रचित “बड कहा” (संस्कृत में बृहत्कथा) नामक ग्रन्थ को दिया जाता है जिसकी रचना ई. पूर्व ४९५ में हुई थी। कहा जाता है कि यह किसी पुरानी प्राकृत में लिखा गया था और इसमे ७ लाख छन्द थे। आज इसका कोई भी अंश कहीं भी प्राप्त नहीं है। महाकवि सोमदेव भट्टराव ने इसको फिर से संस्कृत में लिखा और कथासरित्सागर नाम दिया। बड़कहा की अधिकतम कहानियों को कथा सरित्सागर में संकलित कर दिए जाने के कारण ये आज भी हमारे पास हैं। “वेताल पञ्चविंशति” यानी बेताल पच्चीसी “कथासरित्सागर” का ही भाग है। समय के साथ इन कथाओं की प्रसिद्धि अनेक देशों में पहुँची और इन कथाओं का बहुत सी भाषाओं में अनुवाद हुआ। 

११वीं शती के कश्मीरी साहित्यकार महाकवि सोमदेव भट्टराव की वेताल पञ्चविंशति' (हिंदी में 'बेताल पच्चीसी') पर आधारित विक्रम और वेताल वर्ष १९८५ के अत्यंत लोकप्रिय धारावाहिकों में से एक था। इसमें प्रमुख भूमिका राजा विक्रमादित्य के रूप में अरुण गोविल ने, भिक्षुक की भूमिका अरविंद त्रिवेदी ने और वेताल के रूप में सज्जन ने निभाई थी। इनके साथ दीपिका चिखलिया, विजय अरोड़ा, रमेश भाटकर, मूलराज राजदा, समीर राजदा, रजनीबाला, सुनील लहरी, लिलिपुट, रमा विज, सतीश कौल और सुरजीत मोहंती विभिन्न भूमिकाओं में थे। इसके निर्माता थे रामानंद सागर। 'विक्रम और बेताल' धारावाहिक का पहला अंक १३ अक्टूबर १९८५ को और अंतिम एपिसोड १६ अप्रैल १९८६ को दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था। इसका हर एपिसोड लगभग २२ मिनट का था और इसके २६ एपिसोड बनाए गए थे। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को पसंद आने वाला यह धारावाहिक रविवार शाम साढ़े चार बजे प्रसारित होता था।

इस धारावाहिक में बुद्धिमान राजा विक्रमादित्य को चालाक भूत बेताल द्वारा बताई गई रहस्य और रोमांच से भरपूर २५ कहानियाँ हैं। महाकवि सोमदेव भट्ट द्वारा रचित वेताल पंचविंशति का स्रोत राजा सातवाहन के मन्त्री “गुणाढ्य” द्वारा रचित “बड कहा” (संस्कृत में बृहत्कथा) नामक ग्रन्थ को दिया जाता है जिसकी रचना ई. पूर्व ४९५ में हुई थी। कहा जाता है कि यह किसी पुरानी प्राकृत में लिखा गया था और इसमे ७ लाख छन्द थे। आज इसका कोई भी अंश कहीं भी प्राप्त नहीं है। महाकवि सोमदेव भट्टराव ने इसको फिर से संस्कृत में लिखा और कथासरित्सागर नाम दिया। बड़कहा की अधिकतम कहानियों को कथा सरित्सागर में संकलित कर दिए जाने के कारण ये आज भी हमारे पास हैं। “वेताल पञ्चविंशति” यानी बेताल पच्चीसी “कथासरित्सागर” का ही भाग है। समय के साथ इन कथाओं की प्रसिद्धि अनेक देशों में पहुँची और इन कथाओं का बहुत सी भाषाओं में अनुवाद हुआ।

अक्टूबर २०१८ में इसका पुनः प्रसारण भी किया गया।

१ अप्रैल २०२

(अगले अंक में एक और धारावाहिक के विषय में) पृष्ठ- . . . . .

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