वे पुराने धारावाहिक
जिन्हें लोग आज तक
नहीं भूले
१०- नुक्कड़
नुक्कड़ ने साल १९८६ और १९८७
में टेलीविजन पर अपनी खास पहचान बनाई। कुंदन शाह और सईद
मिर्ज़ा द्वारा निर्देशित इस धारावाहिक की कहानी प्रबोध
जोशी और अनिल चौधरी ने लिखी थी। दिलीप धवन, रमा विज, पवन
मल्होत्रा, संगीता नाईक और अवतार गिल की इसमें प्रमुख
भूमिकाएँ थीं। अपने प्रदर्शन के दिनों में इसकी लोकप्रियता
चरम पर थी। नुक्कड़ ने ८० के दशक में प्रसारित किए जाने
वाले तीन सबसे अधिक लोकप्रिय धारावाहिकों में अपनी जगह बना
ली थी।
धारावाहिक का पहला सीजन ४० एपीसोड का था। यह निम्न आय वर्ग
के लोगों की दैनिक समस्याओं पर आधारित था। शहरों में बढ़ती
हुई कठिन सामाजिक और आर्थिक समस्याओं के कारण कम आय वाले
लोगों की आशा-निराशा, सफलता-असफलता, प्रेम-घृणा और सुख-दुख
को बहुत ही स्वाभाविक ढँग से चित्रित किया गया था। अपनी
इसी स्वाभाविकता के कारण यह धारावाहिक दर्शकों को बाँधे
रखता था।
धारावाहिक की प्रमुख भूमिकाओं में एलेक्ट्रीशियन गुरु उर्फ
रघुनाथ (दिलीप धवन) जो बिजली सुधारता है और नुक्कड़ समूह
का सर्वसम्मति से चयनित मुखिया है। रेस्तरां का मालिक कादर
भाई उर्फ कुट्टी (अवतार गिल) जहाँ नुक्कड़ के सदस्य अक्सर
मिलते हैं। और जो नुक्कड़ के गरीब सदस्यों को मुफ्त में
चाय और नाश्ता देते हैं। हरी (पवन मल्होत्रा) की साइकिल
मरम्मत की दुकान है, वह एक अमीर लड़की मधु से प्यार करता
है। गुप्ता सेठ, मधु के पिता, इससे चिढ़ते हैं और हमेशा
दोनों पर नजर रखते हैं। खोपड़ी (समीर खख्खर) उर्फ गोपाल एक
शराबी है जिसे नुक्कड़ के सभी सदस्य बेहद पसंद करते
हैं। गणपत हवलदार (अजय वाडकर), टीचर जी (रमा विज), दुखिया
शायर (सुरेश चटवाल), चौरसिया पान वाला (श्रीचंद मखीजा),
राधा कामवाली बाई (संगीता नायक), घंशू भिखारी (सुरेश
भागवत), तांबी वेटर (संकल्प दुबे), हरफन मौला राजा
(हैदरअली) आदि सभी धारावाहिक के ऐसे पात्र थे जो बेहद
लोकप्रिय हुए और दर्शकों में अपनी अनूठी छाप छोड़ने में
सफल हुए।
नुक्कड़ की सफलता को दोहराने की आशा में नए जमाने में ढला
हुआ इसका नया रूप १९९३ में बनाया गया जिसे नया नुक्कड़ नाम
दिया गया। इसमें पहले सीजन के कलाकरों ने नए नामों के साथ
अलग भूमिकाएँ निभाई परंतु वह इतना लोकप्रिय न हो सका।
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