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१. १. २०२१

इस सप्ताह-

अनुभूति में- 11
नव वर्ष के अवसर पर विविध रंगों से सजे गीतों, गजलों, दोहों और छंदमुक्त रचनाओं का सुंदर संकलन।

- घर परिवार में

रसोईघर में- नये साल की तैयारी में हमारी रसोई-संपादक शुचि लाई हैं पहले से तैयार करने के लिये- लेमन केक

सौंदर्य सुझाव - रात में सोने से पहले नाभि में तीन बूँद जैतून का तेल डालें तो सर्दियों में ओंठ नहीं फटते और सामान्य त्वचा भी स्वस्थ होती है।

संस्कृति की पाठशाला- प्राचीन रोमन कैलेंडर में जनवरी और फरवरी के महीने नहीं होते थे। अतः उनका नव वर्ष ३ मार्च को मनाया जाता था।

क्या आप जानते हैं? कि जापान में १ जनवरी को नववर्ष का स्वागत मंदिर में १०८ घंटियाँ बजा कर किया जाता है।

- रचना व मनोरंजन में

गौरवशाली भारतीय- इस माह (जनवरी) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

सप्ताह का विचार- नया कुछ भी पाने के लिये त्याग करना होता है। नये शरीर के लिये पुराना शरीर और नव वर्ष के लिये पुराना वर्ष त्यागना होता है। -मुक्ता

वर्ग पहेली-३३३
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और रश्मि-आशीष
के सहयोग से


 

हास परिहास में
पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में- नव वर्ष के अवसर पर

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
शुभदा मिश्रा की कहानी नव वर्ष शुभ हो

फोन करने जाना था बेटा... परेशानी में डूबे बाबू जी तीसरी बार कह चुके थे। नीलू स्वयं बहुत परेशानी में पड़ गई थी। फोन तो रखा था बगल के कमरे में। दरवाजा खोलो तो रखा है फोन। लेकिन दरवाजा थोड़े ही खोला जा सकता है। दरवाजा तो उस तरफ से बंद है। और उस तरफ है आफिस। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी का जोनल आफिस। सारे दिन काम चलता रहता है वहाँ। बैठा रहता है वहाँ सारे दिन नया मैनेजर। नो नानसेंस टाइप का कड़ियल आदमी। सारे दिन इस नए बास की सधी हुई फरमाबदार आवाज गूँजती रहती है आफिस में। आफिस के बाद वाले कमरे में ही तो रहते हैं नीलू लोग। सारे दिन आफिस की एक एक बात सुनाई पड़ती है नीलू लोगों को। जरूर नीलू लोगों की बातें भी उधर सुनाई देती होंगी ही। यह आफिस देखकर ही बिदके थे नीलू और नितिन। जब यह मकान देखने आए थे। उस समय आफिस के मैनेजर थे अस्थाना साहब।
आगे...
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हास्य व्यंग्य में शरद तैलंग की रचना
शुभकामनाएँ नए साल की

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सुभाष राय का साहित्यिक निबंध
अनंत काल में एक वर्ष का अर्थ

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डॉ. हरिकृष्ण देवसरे और डॉ. मनोहर भंडारी
के शब्दों में कैलेंडर शब्द की उत्पत्ति

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पुनर्पाठ में रचना श्रीवास्तव से जानें
अफ्रीकी नव-वर्ष क्वांजा के विषय में
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पुराने अंकों से-

कहानियों में-

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नया सवेरा- प्रवीणा जोशी

लघुकथाओं में-

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न्यू इयर पार्टी- रघुविन्द्र यादव

दो पल में-

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रास्ते की रुकावट- अश्विन गांधी

व्यंग्य में—

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नया नौ दिन- भावना सक्सेना

यात्रा विवरण में-

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नागालैण्ड इस बार सांता क्लाज- सतीश जायसवाल-

निबंध में—

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नई कविता में नया साल- ब्रजेश कुमार शुक्ल

ललित निबंध में-

bullet समय बहता हुआ- दुर्गा प्रसाद शुक्ला

दृष्टिकोण में—

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नया सालः मूल्यांकन का अवसर- डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी 

पर्व परिचय में-

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तिब्बत का नव वर्ष लोसर- मुक्ता

घर परिवार में-

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बधाई हो बधाई- गृहलक्ष्मी

फुलवारी में—

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कहानी: जादू वाली शाम- पूर्णिमा वर्मन
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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 

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