इस सप्ताह- |
1
अनुभूति
में-
गंगा नदी पर आधारित,
छंदबद्ध एवं छंदमुक्त विविध विधाओं में कुछ और रचनाएँ। |
- घर परिवार में |
रसोईघर में- अंतर्जाल पर सबसे लोकप्रिय भारतीय
पाक-विशेषज्ञ शेफ-शुचि के रसोईघर से राजस्थानी व्यंजनों की
शृंखला
में- मिर्ची वड़ा। |
बचपन की
आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में
संलग्न इला गौतम से जानें एक साल का शिशु-
हाव-भाव की
भाषा।
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बागबानी में-
बगीचे की देखभाल के लिये टीम अभिव्यक्ति के अनुभवजन्य अनमोल
सुझाव- इस अंक में-
निराई-गुड़ाई। |
वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की
जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से-
१
जून से १५ जून २०१२ तक का भविष्यफल।
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- रचना और मनोरंजन में |
नवगीत की पाठशाला में-
कार्यशाला-२२, विषय
'गर्मी के दिन'
के लिये आमंत्रित नवगीतों का प्रकाशन इस सप्ताह से प्रारंभ हो
चुका है। |
साहित्य समाचार में-
देश-विदेश से
साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों,
सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये
यहाँ देखें |
लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- प्रस्तुत है-
२४ मई २००४
के अंक में
प्रकाशित, भारत से प्रत्यक्षा की कहानी—
चोरी।
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वर्ग पहेली-०८४
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल
और रश्मि आशीष के सहयोग से
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सप्ताह
का कार्टून-
कीर्तीश
की कूची से |
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साहित्य एवं
संस्कृति में- |
1
समकालीन कहानियों में
भारत से
पुष्पा तिवारी की कहानी-
फेसबुक वाया फार्मविले
समय ऐसे गुजरा कि कब हाथ पैर
ढीले पड़ने लगे और समय शरीर में पसर गया, पता ही न चला। आलस्य
बेतरतीबी ले आया। दिनचर्या सुस्त हो गई, सुबह उठने का दिल न
करता, सोई अलसाती रहती। नहाना धोना सब घड़ी में खसकता रहता। रात
आती तो थोड़ी सी फुर्ती आती। सब आस पड़ोस... घर सोया रहता। यहाँ
तक कि वस्तुएँ निर्जीव लगने लगतीं। अँधेरा घबराहट भर देता।
रोशनी कुछ करने ने देती। अब रात को क्या करूँ। कहाँ तक पढ़ूँ
लिखूँ मन नहीं लगता। ऊब होने लगी... यह सब बिटिया से फोन पर
शिकायत करती रहती। वह कहती इसीलिए तो कहती हूँ ‘नेट सीख लो।
अपन फ्री में खूब सारी बातें करेंगे।‘ नेट का मतलब कम्प्यूटर
और उसका भी मतलब एक मशीन। मशीनों में मेरी दिलचस्पी बातें करने
तक ही सीमित रही। घर में माइक्रोवेव से लेकर वॉशिंग मशीन तक
है। सब मैं ही लाई हूँ। घर में होना तो चाहिए। सब चलती हैं।
रोज उपयोग होना है। विस्तार
से पढ़ें...
*
अशोक भाटिया की लघुकथा
तीसरा
चित्र
*
भक्तदर्शन श्रीवास्तव से विज्ञानवार्ता
शुक्र का पारगमन
*
प्रभु जोशी का संस्मरण
महान गायक
उस्ताद अमीरखां
*
पुनर्पाठ में प्रभात कुमार
का आलेख-
अभावों का ऋणजल |
अभिव्यक्ति समूह
की निःशुल्क सदस्यता लें। |
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पिछले सप्ताह-
गंगा दशहरा के
अवसर पर विशेष |
१
डॉ. संसारचंद्र का व्यंग्य
गंगा जब उल्टी बहे
*
भावना सक्सेना का आलेख
सूरीनाम में गंगा
*
नीरजा माधव का ललित निबंध
रुकोगी नहीं भागीरथी
?
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पुनर्पाठ में डॉ. राजकुमार सिंह
का आलेख- हिंदी काव्य में
गंगा नदी
*
वरिष्ठ रचनाकारों की
कहानियों के स्तंभ गौरवगाथा में
प्रेमचंद की कहानी-
यह मेरी मातृभूमि है
आज पूरे साठ वर्ष के बाद
मुझे प्यारी मातृभूमि के दर्शन प्राप्त हुए हैं। जिस समय मैं
अपने प्यारे देश से विदा हुआ था और भाग्य मुझे पश्चिम की ओर ले
चला था उस समय मैं पूर्ण युवा था। मेरी नसों में नवीन रक्त
संचारित हो रहा था। हृदय उमंगों और बड़ी-बड़ी आशाओं से भरा हुआ
था। मुझे अपने प्यारे भारतवर्ष से किसी अत्याचारी के अत्याचार
या न्याय के बलवान हाथों ने नहीं जुदा किया था। अत्याचारी के
अत्याचार और कानून की कठोरताएँ मुझसे जो चाहे सो करा सकती हैं
मगर मेरी प्यारी मातृभूमि मुझसे नहीं छुड़ा सकतीं। वे मेरी उच्च
अभिलाषाएँ और बड़े-बड़े ऊँचे विचार ही थे जिन्होंने मुझे
देश-निकाला दिया था। मैंने अमेरिका जा कर वहाँ खूब व्यापार
किया और व्यापार से धन भी खूब पैदा किया तथा धन से आनंद भी खूब
मनमाने लूटे। सौभाग्य से पत्नी भी ऐसी मिली जो सौंदर्य में
अपना सानी आप ही थी।
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